GST Tax System: पांच साल बाद जीएसटी में शुरू आडिट, विभाग के एसओपी पर विशेषज्ञों ने डाला प्रकाश
GST Tax System: जीएसटी के आडिट में रखी जाने वाली सावधानियों से लेकर बदलावों को लेकर भी विशेषज्ञों ने सुझाव दिए।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Thu, 06 Apr 2023 02:20:18 PM (IST)
Updated Date: Thu, 06 Apr 2023 02:20:18 PM (IST)
GST Tax System: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। जीएसटी में पांच वर्ष बाद आडिट शुरू हो गए हैं। स्टेट टैक्स यानी राज्य जीएसटी कमिश्नर लोकेश जाटव ने आडिट पर विभाग के लिए एसओपी जारी कर दिया है। बुधवार शाम माहेश्वरी भवन में कमर्शियल टैक्स प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन और मप्र टैक्स ला बार एसोसिएशन ने जीएसटी आडिट पर चर्चा व सेमिनार का आयोजन किया। शाम से देर रात तक चले सेमिनार में जीएसटी के आडिट में रखी जाने वाली सावधानियों से लेकर बदलावों को लेकर भी विशेषज्ञों ने सुझाव दिए।
सेमिनार की शुरुआत करते हुए सीटीपीए के अध्यक्ष केदार हेड़ा ने कहा कि जीएसटी की समस्याएं आज भी बनी हुई है। सरकार द्वारा जीएसटी लागू होने के बाद लगभग 2,000 से अधिक सर्कुलर अधिसूचना एवं गाइडलाइन जारी की है, परंतु आज भी रिवाइज्ड रिटर्न की व्यवस्था नहीं होने से यह कर कानून अधूरा सा लगता है। मध्य प्रदेश टैक्स ला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विनी लखोटिया ने कहा कि हमारे आडिट स्टेट जीएसटी विभाग द्वारा किए जाने हैं। उसके संबंध में विभाग एवं व्यवसाइयों के प्रकरणों में एकरूपता से कार्य करने के लिए एक एसओपी जारी करने का निवेदन किया था, जोकि आयुक्त महोदय द्वारा जारी की जा चुकी है। इससे ऑडिट के प्रकरण में एकरूपता आएगी एवं लिटिगेशन कम से कम होंगे। यह व्यापारियों के साथ कर सलाहकारों के लिए भी सहायक सिद्ध होगी।
सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए ए.के. गौर एवं अमित दवे ने कहा कि जीएसटी ने वर्ष 2017 से 2022 तक के ऑडिट (चुनिंदा फर्म) किए जाने का निर्णय लिया है। एसओपी में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा गया है। हालांकि ऑडिट के कुछ बिंदु बहुत ही जनरल तरीके से लिए गए हैं इसमें अधिक स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।एसओपी एक मार्गदर्शक होता है।
अधिकारी इसे कानून नहीं मान सकते इस बात का विशेष ध्यान देना होगा। ऑडिट प्रक्रिया में एक साथ कई वर्षों को सम्मिलित किया जाने से व्यवसाई एवं अधिकारी पर एक ही सीमित समय में कार्य का दबाव बढ़ता है। इससे फर्म की गुणवत्ता पर फर्क पड़ता है। अतः एक समय में एक या दो वर्षों का ऑडिट होना चाहिए।
जीएसटी लगने के बाद ऑडिट प्रक्रिया लगभग पांच वर्षों के बाद चालू हुई है अतः ऑडिट में पाई जाने वाली विसंगति पर व्यवसाई को कर के सामने ब्याज एवं शास्ति का अत्यधिक भार आएगा जो न्यायसंगत नहीं है। सेमिनार के दौरान 31 मार्च को केंद्र द्वारा जीएसटी में दी गई राहतों का ब्यौरा भी बताया गया। संगठन ने कहा कि विक्रेता द्वारा पूर्व वर्षों के लिए जो कर जमा करवाया गया है उसका आइटीसी क्रेता को मिलेगा या नहीं। इस मुद्दे पर काउंसिल से स्पष्टीकरण की अपेक्षा है। कार्यक्रम का संचालन हेमंत शाह ने किया आभार देवेंद्र जैन ने माना। कार्यक्रम में सीए सुनील पी जैन , एवम एडवोकेट राजेश जैन, अनिल जैन,यशवंत लोभाने, सुधीर मिश्रा, हेमंत जोशी, आर के नीमा, एम एम नीमा उपस्थित थे।