Indore Law College Vivad: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। विवादित पुस्तक से हिंदू धर्म के प्रति नफरत और घृणा फैलाने का पाठ पढ़ाने के आरोपित ला कालेज के प्रोफेसर की अग्रिम जमानत अर्जी हाई कोर्ट ने खारिज कर दी। शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के प्रोफेसर मिर्जा मोजिज बैग ने अग्रिम जमानत अर्जी हाई कोर्ट में दाखिल की थी। प्रोफेसर बैग ने कोर्ट के सामने दलील पेश की थी कि वह सिर्फ कालेज प्रिंसिपल द्वारा दिए दायित्व के निर्वहन में कक्षा में संविधान विषय पढ़ाता था। विवादित किताब लिखने या उसे कालेज की लायब्रेरी के लिए खरीदी में उसकी कोई भूमिका नहीं है।
अग्रिम जमानत याचिका दायर करने के साथ प्रोफेसर बैग ने इसी मामले में अभियुक्त बनाए गए कालेज के प्राचार्य इनार्मुर रहमान के प्रकरण का हवाला भी याचिका पेश करते हुए दिया था। दरअसल प्रिंसिपल रहमान को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है और गिरफ्तारी पर रोक लग चुकी है। बैग ने उसी को आधार बनाया। इस पर शासन के वकील ने जमानत का विरोध किया। कोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि प्रोफेसर इनार्मुर रहमान का मामला अलग है। प्राचार्य रहमान के पास कालेज में प्रशासकीय पद था, जबकि याचिकाकर्ता एक शिक्षक के तौर पर काम कर रहा है।
प्रोफेसर के रूप में वह नियमित तौर पर लेक्चर देता है। ऐसे में वह इस भूमिका में है जो विद्यार्थियों के विचारों और मानस को प्रभावित कर सकता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने प्राचार्य को तो राहत दी है लेकिन सह अभियुक्त प्रोफेसर को ऐसी कोई राहत नहीं दी। ऐसे में प्रोफेसर बैग की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है।
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों शासकीय ला कालेज में एक किताब के जरिए हिंदू धर्म के लिए आपत्तिजनक बातें फैलाने, पढ़ाने के मामले ने तूल पकड़ा था। अभाविप के पदाधिकारी और कालेज के छात्रों ने मुद्दा उठाया था। इस पर भंवरकुआं थाने में प्राचार्य और शिक्षकों समेत विवादित किताब की लेखक डा. फरहत खान के खिलाफ भी नफरत फैलाने और अन्य संगीन धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया था।