Anhad Naad Column Indore: ईश्वर शर्मा, नईदुनिया इंदौर। अयोध्या करती है आह्वान, ठाठ से कर मंदिर निर्माण। शिला की जगह लगा दे प्राण ठाठ से कर मंदिर निर्माण। इन दिनों ये पंक्तियां हर ह्रदय में गूंज रही हैं। जो अयोध्या जाएंगे, वे भाग्यशाली होंगे, किंतु जो नहीं जा पाएंगे, वे भी कम भाग्यशाली नहीं। दरअसल, इन दिनों घर-घर द्वारे-द्वारे प्रभु श्रीराम के अक्षत कलश पधार रहे हैं। यह कार्य राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने कांधों पर ले रखा है। संघ के शाखा-क्षेत्र में कलश की प्रभात फेरी/शोभायात्रा निकाली जा रही है, जिसमें समाज के भक्तजन शंख, घंटी व मंझीरे के साथ पूरे भक्ति भाव से भाग लेते हैं। एक जनवरी 2024 से प्रत्येक शाखा से स्वयंसेवक व भक्तजन अयोध्या के लिए निमंत्रण देने हेतु घर-घर अक्षत, निमंत्रण पत्र व प्रभु श्रीराम का चित्र वितरित करेंगे।
इन दिनों युवाओं के संगीत का टेस्ट जरा बदल रहा है। लोग अब धमनियों में रक्त प्रवाह को शिथिल करने और मन के आनंद को बढ़ा देने वाला संगीत सुन रहे हैं। खासकर 30 पार से लेकर 50 की उम्र तक के लोगों के कानों को इन दिनों राहगीर का संगीत भा रहा है। राहगीर राजस्थान का एक यायावर है, जो देशभर में घुमक्कड़ी करता है। उसके हाथों में गिटार है, गले में लोक-जीवन की गंध वाले गीत। वह दर्द के गीत लिखता है, उन्हें संगीतबद्ध करता है और अपनी गिटार पर गाता है। इस कारण नोबल पुरस्कार प्राप्त बाब डिलन की तरह लोकप्रिय हो रहा है। जीवन की आपाधापी से ऊब चुका राहगीर गाता है- अभी पतझड़ नहीं आया, अभी से पत्ते झड़ गए। भाई राहगीर ये हम कौन सी गाड़ी पे चढ़ गए।
दशकों तक ऐसा हुआ कि महिलाएं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से दूर रहीं। इनके लिए अलग से संघ की महिला विंग रही, जिसमें इनकी अपनी गतिविधियां होती रहीं। किंतु संघ की शाखाओं में महिलाओं का प्रवेश वर्जित ही रहा। इस पर कभी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुटकी ली थी कि संघ में महिलाएं क्यों नहीं जातीं। खैर, अब संघ में बदलाव की बयार है। बीते दिनों इंदौर की महालक्ष्मी नगर शाखा में एक अनूठा कार्यक्रम हुआ। यहां शाखा संचालक भोंसले गुरुजी ने शाखा आने वाले स्वयंसेवकों का परिवार मिलन आयोजित किया और सबको अपनी माताजी, धर्मपत्नी, बहनों या बेटियों के साथ आमंत्रित किया। संघ के बड़े पदाधिकारी की उपस्थिति में सब महालक्ष्मी मंदिर में एकत्रित हुए, परिचय हुआ, हंसी-आमोद-प्रमोद भी। इस तरह मातृशक्ति के प्रवेश का रास्ता खुला है। लगता है अब राहुल गांधी इस बारे में कुछ नहीं कह पाएंगे।
कोई भारतीय चाहे अमेरिका में रहे या आस्ट्रेलिया में, यदि उसे अवसर मिले तो वह अपनी जड़ों की ओर लौटता ही है। ऐसा ही किया अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में रह रहे साफ्टवेयर इंजीनियर राहुल और राधिका मेहता ने। ये इन दिनों अपने दो बच्चों विक्रम और शिवि के साथ भारत प्रवास पर इंदौर आए हैं। दोनों बच्चों का जन्मदिन दिसंबर में आया, जिसे इन्होंने केक काटने या कटा हुआ केक मूखर्तापूर्ण ढंग से मुंह पर पोतने के बजाय गोशाला में मनाया। पूरा परिवार हातोद में सेवाभावी रामकिशन राठौड़ की रामकृष्ण रामस्नेही गोशाला पहुंचा और बच्चों से गोमाता का पूजन करवाया, उन्हें गो ग्रास दिलवाया और भारतीय संस्कृति को अपने भीतर सदैव प्रज्वलित रखने का संकल्प दिलवाया। बच्चों के दादाजी नरेश मेहता ने इसकी प्रेरणा दी। वे वर्षों से हातोद व आसपास के गांवों में लोगों को जीवन-दर्शन और स्वाध्याय के प्रति जागरूक कर रहे हैं।