Indore News: रंगों के जरिए प्रकृति के चित्रण से खुशियों के रंग भरने की कोशिश
Indore News: शहर की यह कलाकार उसे हमेशा सुर्ख रंग से ही कैनवास पर उतारती है।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sat, 11 Mar 2023 12:44:58 PM (IST)
Updated Date: Sat, 11 Mar 2023 12:44:58 PM (IST)
Indore News: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। वो पेड़ ...जो मेरे, घर के दरवाजे के सामने मैदान में लगे थे, वो मेरी स्मृतियों में कभी बूढ़े नहीं हुए, उनपर चहकती चिडि़यों की आवाज, आज भी मुझे सुनाई देती है कविता की यह पंक्ति केवल शब्द नहीं बल्कि लेखिका के मन के वह भाव हैं जिन्हें शब्दों में एक बार ढ़ाला लेकिन रंगों से नित कैनवास पर उतारकर अभिव्यक्त करती हैं। मौसम के अनुरूप प्रकृति का भले ही कोई भी रूप-रंग हो लेकिन शहर की यह कलाकार उसे हमेशा सुर्ख रंग से ही कैनवास पर उतारती है ताकि उन कलाकृतियों को देखने वाले के मन में भी निराशा के धूसर रंग नहीं बल्कि सकारात्मकता और उल्लास के चटख रंग भरे रहें। यहां जिक्र हो रहा है शहर की चित्रकार नवीना गंजू का जो कलाकार होने के साथ कलागुरु भी है।
नवीना बताती हैं कि परिवार में शुरू से ही कला के प्रति आदर भाव रहा और परिवार के सभी सदस्य कला व साहित्य से जुड़े थे। मुझे सितार और चित्रकला दोनों में रूचि थी पर अभिभावकों ने जब एक ही विधा को साधने को कहा तो चित्रकला चुना। ग्वालियर के फाइनआर्ट कालेज और वनस्थली से चित्रकला में स्नातक और स्नातकोत्तर कर मैंने चित्रकला में ही करियर बनाने का निर्णय लिया जबकि ग्वालियर में मूर्तिकला की बारीकियां भी जानी थीं। मेरे मन पर हेनरी मातिस, पाल गागिन, पाल सेजा और वेनगाग के चित्रों का बहुत प्रभाव पड़ा था।
एक बार गुरु निर्दीप राय ने मुझसे कहा था कि तुम कला में भले ही कैसे भी बदलाव लाना लेकिन जिस तरह से रंग लगाती हो उसे मत बदलना। वही बात मैंने कायम रखी। मैं कभी सोच कर कैनवास पर रंग नहीं लगाती। जिस रंग पर हाथ पड़ा वह कैनवास पर उतर जाता है। वास्तव में मुझे रंगों की प्रयोगधर्मिता पसंद आती है।
यह प्रतिसाद सतत कार्य करने के लिए करता है प्रेरित
नवीना कहती हैं कि मेरा मानना यह है कि आज जो रचनाकर्म कर रहे हैं उसमें आपको तो आनंद आए ही साथ ही देखने वाला भी आनंदित रहे। शायद इसलिए कभी धूसर, मोनोक्रोम रंग ने मुझे आकर्षित ही नहीं किया। चूंकि प्रकृति से शुरू से जुड़ाव रहा इसलिए चित्रों में पेड़, पशु, पक्षी, मानव सहित प्रकृति के विविध रूपों को अंकित करती हूं। ललित कला अकादमी दिल्ली में लगी कला प्रदर्शनी में एक फोटोग्राफर प्रतिदिन आता और मेरे चित्र देखकर चले जाता।
एक दिन मैंने जब उसके बार-बार प्रदर्शनी में आने की वजह पूछी तो उसने कहा कि कलाकृति के रंग मुझे बार-बार बुलाते हैं। मैं इन चित्रों को देख सुकून महसूस करता हूं। वास्तव में हम कलाकारों को मिलने वाला यही प्रतिसाद सतत कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।