- फिल्म 'गुलाबो सिताबो' में दुल्हन के किरदार में शहर की टीना भाटिया
इंदौर (नईदुनिया रिपोर्टर)। इस फिल्म में मुझे तीन ऐसी शख्सियतों के साथ काम करने का मौका मिला जिन्होंने अपना एक अलग ही मुकाम बनाया है। इनमें से सबसे पहला नाम अमिताभ बच्चन, दूसरा नाम शुजीत सरकार और तीसरा नाम आयुष्मान खुराना का आता है। अमिताभ बच्चन जब सेट पर आए और मेरा सीन उनके साथ शूट होना था तो मैं बहुत नर्वस थी। जो कि स्वाभाविक था लेकिन 1-2 मिनट में ही सारी नर्वसनेस दूर हो गई क्योंकि वे कभी खुद को बड़ा नहीं जताते बल्कि हर कलाकार को अपना हुनर दिखाने की पूरी आजादी देते हैं। तीन घंटे तक मेकअप कराना, सारे डायलॉग याद करना और अनुशासन के साथ पूरे समय सेट पर रहने की जो जीवटता उनकी है वह मेरे लिए बहुत प्रेरणादायी रही। यह कहना है कलाकार टीना भाटिया का। टीना फिल्म 'गुलाबो सिताबो' में हवेली की केयर टेकर 'दुल्हन' बनी है।
इंदौर की ही रहने वाली टीना की यह चौथी फिल्म है। इस फिल्म और इंदौर से मुंबई तक के सफर के बारे में उन्होंने नईदुनिया से खास चर्चा कर अनुभव साझा किए। टीना का मानना है कि यह फिल्म उनके लिए किसी स्कूल से कम साबित नहीं हुई। जिसमें शुजीत सरकार और आयुष्मान खुराना से भी बहुत कुछ सीखने को मिला। सबसे बड़ी बात तो यह जानी कि इन हस्तियों के लिए हमने अपने मन में एक आभामंडल बना रखा है जबकि ये सभी खुद को बड़ा महसूस नहीं करते। इनमें अहंकार नहीं है और हुनर की कद्र करते हैं। जब मैं आयुष्मान से पहली बार मिली तो उन्होंने मुझे देखते ही कह दिया कि आप तो गली बॉय की छोटी अम्मी ही हैं ना! उन्होंने मेरा छोटा सा किरदार भी याद रखा और यही मेरे लिए बड़ी बात है।
कथक से अभिनय की दुनिया में रूख
इंदौर में कथक सीख उसमें स्कॉलरशिप प्राप्त करने वाली टीना बताती हैं जब मैंने कुछ नाटकों का मंचन देखा तो महसूस हुआ कि मुझे भी एक्सप्रेशन की इस कला से रूबरू होना चाहिए। यही सोचकर मैंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में एडमिशन के लिए आवेदन दिया और पहली बार में ही चयन हो गया। 2005 में दिल्ली गई, वहां कोर्स पूरा किया और फिर करीब चार साल दिल्ली में ही थियेटर किया। इसके बाद मुंबई की ओर रूख किया। पहले टीवी सीरियल और फिर फिल्मों मे काम मिलना शुरू हुआ।
काम करते रहना जरूरी
बात अगर फिल्मी दुनिया में आने की करूं तो चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर बनी फिल्म ओस मेरी पहली फिल्म थी। इसके बाद इंटरकनेक्ट फिर गली बॉय और अब गुलाबो सिताबो में काम करने का मौका मिला। दो सीरियल में भी काम किया। मेरा मानना है कि मीडियम कोई भी हो काम करते रहना चाहिए। हम तो फ्री लांसर आर्टिस्ट हैं ऐसे में कई बार महीनों काम नहीं होता। तब मैं थियेटर करने लगती हूं। असल में काम करना बहुत जरूरी है। माध्यम चाहे कोई भी हो इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
लॉबी सिस्टम तो बहुत है यहां
मुंबई की दुनिया बहुत अलग है। यहां लॉबी सिस्टम भी बहुत हावी है। कई बार कास्टिंग डायरेक्टर की अपनी लॉबी होती है जिसमें वे उन्हें ही चुनते हैं जिन्हें उन्हें लेना हो। ऐसे में कई बार जो कलाकार उस रोल के लिए माफिक होता है वह भी रोल से दूर रह जाता है। पर यदि आप अनुभवी और प्रशिक्षित हैं तो आपका आत्मविश्वास भी बढ़ा हुआ होगा और कहीं न कहीं आपके हुनर को पहचान मिलेगी ही।
फोटोः टीना भाटिया के नाम से है।