नईदुनिया प्रतिनिधि, नर्मदापुरम। पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम स्वर्ण पदक जीतने की तैयारी के साथ ही गई थी, पूरी टीम की रणनीति और मनोबल काफी मजबूत था, यही वजह रही कि हमने कई मैच में बेहतर प्रदर्शन किया। ओलंपिक खिलाड़ी विवेक सागर ने नईदुनिया से खास बातचीत में कहा कि जर्मनी से सेमीफाइनल हारने के बाद टीम काफी दबाव में आ गई थी, उस रात पूरी टीम का मुंह उतरा हुआ था, रात में किसी को नींद नहीं आई।
विवेक सागर ने कहा कि सुबह उठने के साथ हमने मजबूत रणनीति बनाई, भारत को जिताने का सपना तो था ही, साथ ही विशेष लक्ष्य यह था कि हमारा साथी खिलाड़ी श्रीजेश जो हॉकी से संन्यास ले रहा है, उसके साथ आखिरी मैच में उसे जीत के साथ विदा करें।
विवेक सागर ने कहा कि टीम कोच और कप्तान के साथ हमने पूरी टीम को तैयार किया, प्रतिद्वंदी से मैदान पर टक्कर काफी कड़ी थी, लेकिन हमारे सारे साथी बेहतर खेले। इसका नतीजा यह रहा कि हमारी टीम कांस्य पदक हासिल कर चुकी है।
भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मिडफील्डर एवं स्टार खिलाड़ी विवेक सागर इटारसी के रहने वाले हैं। वीडियो कॉल पर नईदुनिया के साथ चर्चा करते हुए विवेक ने पेरिस ओलंपिक के अनुभव साझा किए। विवेक ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत के लिए सभी 8 मुकाबले में भाग लिया, उन्होंने अर्जेंटीना के खिलाफ मैच मैच के अंतिम क्षणों में एक अहम गोल करते हुए भारत को 2-1 से आगे कर दिया था, इसके बाद से पूरी टीम के साथ वे हॉकी अकादमी में अगले ओलंपिक की तैयारी में लगे हुए थे।
विवेक ने बताया कि पूरी टीम ने रात में तय कर लिया था कि इस ओलंपिक में हम खाली हाथ नहीं जाएंगे। लक्ष्य बड़ा था लेकिन पूरी टीम ने इसे कर दिखाया। पूरी देश की निगाहें हमारे प्रदर्शन पर थीं, विश्व स्तरीय मुकाबले में हमें पता नहीं होता कि सामने वाली टीम किस बड़ी रणनीति के तहत कैसा खेलेगी, इसलिए अनिश्चितता का दौर बना रहता है। मुझे बहुत खुशी है कि पूरा देश हमारी जीत की खुशियां मना रहा है।
हार के बाद सभी लौट आए थे, लेकिन पूरे मैच का एक-एक क्षण बार-बार याद आ रहा था, लग रहा था किस मिनट में कहां हमसे चूक हो गई। काश वहां दूसरी तरह से खेल लेते तो शायद हम जीत जाते, इस तरह आंखों-आंखों में पूरी रात कट गई, उस मैच के सीन बार बार सामने आ रहे थे। अभी हम 10 अगस्त का दिल्ली आएंगे, इसके बाद कहां जाएंगे यह तय नहीं है।
विवेक ने बताया कि भारतीय टीम की जीत पर खुशी है, लेकिन मेडल का रंग बदलने का सपना पूरा नहीं हुआ। इस बात का मलाल है। घर से निकला था, तब बहन ने रक्षाबंधन पर गोल्ड मेडल मांगा था। पूरी टीम ने बेहतर खेला, जी जान लगा दी, लेकिन कांस्य ही जीत सके।
ये पक्का है कि बहन को आज नहीं तो कल गोल्ड जीतकर बताऊंगा। विवेक ने कहा कि स्वर्ण पदक के हिसाब से पूरी तैयारी थी, प्रदर्शन भी किया, लेकिन कुछ कमी रही, इस वजह से नहीं जीत पाए। यह खुशी है कि भारतीय टीम खाली हाथ नहीं आ रही है।