Maha Shivratri 2020 : चौरागढ़ महादेव मंदिर, जहां श्रद्धालु चढ़ाते हैं दो क्विंटल तक के त्रिशूल
Maha Shivratri 2020 : चौरागढ़ मंदिर को लेकर मान्यता है भस्मासुर को वरदान देने बाद भगवान शिव ने यहीं निवास किया था।
By Prashant Pandey
Edited By: Prashant Pandey
Publish Date: Thu, 20 Feb 2020 09:48:09 AM (IST)
Updated Date: Thu, 20 Feb 2020 11:07:51 AM (IST)
Maha Shivratri 2020 : अच्छेलाल वर्मा, होशंगाबाद। सतपुड़ा की रानी कही जाने वाली पचमढ़ी की वादियां इन दिनों बोल बम के जयकारों से गूंज रही हैं। त्रिशूल लिए हजारों श्रद्धालुओं में चौरागढ़ पहुंचने की धुन है। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के अतंर्गत सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में चौरागढ़ महादेव मंदिर मौजूद है, जहां महाशिवरात्रि तक चलने वाले आठ दिनी मेले के दौरान आसपास के जिलों सहित नजदीकी प्रदेशों से करीब छह लाख श्रद्धालु बाबा के दर्शनों को पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि के दिन यहां अपार जनसमूह उमड़ेगा। मन्नत पूरी होने पर एक इंच आकार से लेकर दो क्विंटल तक वजनी त्रिशूल बाबा को अर्पित किए जाते हैं। पुजारी बाबा गरीबदास बताते हैं कि चौरागढ़ महादेव की मान्यता को लेकर अनेक कथाएं हैं। एक कथा यह भी है कि भस्मासुर को वरदान देने के बाद भगवान शिव ने यहां निवास किया था। चौरागढ़ में आदिवासियों की प्राचीन बसाहट रही है। चौरागढ़ मेला के नोडल अधिकारी जिला पंचायत सीईओ आदित्य सिंह ने बताया कि अब तक 50 हजार से अधिक त्रिशूल भेंट हो चुके हैं। महाशिवरात्रि पर यह संख्या कई गुना बढ़ जाएगा।
छिंदवाड़ा जिले के जुन्नरदेव निवासी बंशीलाल खापरे करीब एक क्विंटल वजनी त्रिशूल भेंट करने चौरागढ़ आए हैं। वे अपने परिवार की मदद से यह त्रिशूल लेकर मंदिर की ओर नंगे पांव बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र के अकोला और अमरावती से दो बसों से श्रद्धालु यहां त्रिशूल चढ़ाने आए हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया है। पचमढ़ी से 10 किमी तक वाहन जाता है। यहां से चार किमी पैदल रास्ता है। फिर 325 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर पहुंचते हैं। पचमढ़ी मध्य प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन है। सतपुड़ा श्रेणियों के बीच स्थित होने के कारण और अपने सुंदर स्थलों के कारण इसे सतपुडा की रानी भी कहा जाता है।