सतीश चौरसिया, सोहागपुर(नर्मदापुरम)। शोभापुर में दो साल पहले छह वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने के आरोपित ममेरे भाई को सोहागपुर में प्रथम अतिरिक्त ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेश कुमार चौबे की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। सोहागपुर में अपर सत्र न्यायलय की स्थापना के बाद यह पहला मामला है जिसमें किसी आरोपित को मृत्युदंड की सजा दी गई है।
सहायक लोक अभियोजन आधिकारी बाबूलाल काकोडिया एवं अपर लोक अभियोजक शंकर लाल मालवीय ने बताया कि आरोपित किशन उर्फ चिन्नू पिता पुरषोत्तम माछिया उम्र 22वर्ष निवासी राजा वार्ड शोभापुर को अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई गई हैं। दो धाराओं में मृत्युदंड की सजा दी गई है।
न्यायालय द्वारा जो फैसला दिया गया है उसमें भादवि की धारा 302 में मृत्युदंड, धारा 5,6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम में मृत्युदंड, धारा 377 में 10वर्ष का सश्रम कारावास, धारा 450 में 7 वर्ष का कारावास के साथ 5 हजार के अर्थदंड से दंडित किया गया है।
ज़िला लोक अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने बताया कि 25 दिसंबर 2021 को सुबह 8 बजे बालिका के पिता काम से बाहर चले गए थे। शाम को जब घर वापस आए तो पत्नी ने बताया कि बालिका दोपहर दो बजे से घर नहीं अई है सभी लोग ढूंढ रहें हैं। पिता ने शोभापुर चौकी पर रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पिता के साथ बच्ची को ढूढने का प्रयास किया। इसी दौरान जब पुलिस घर की छत पर पहुंची तो बालिका मृत हालत में मिली।
पुलिस ने अज्ञात आरोपित के खिलाफ हत्या व दुष्कर्म, पाक्सो एक्ट का केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। पुलिस ने बालिका के ममेरे भाई किशन उर्फ चिन्नू माछिया से पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबूल किया।
न्यायालय ने आरोपित को मृत्युदंड की सजा सुनाते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। जिसमें कहा गया है कि हर एक निश्चल, निर्दोष मासूम अबोध बालिका का दुष्कर्म स्वयं ही विरलतम से विरलतम घटना हैं और दुष्कर्म सहित हत्या का मामला जो किसी भी दृष्टि से सामान्य नहीं माना जा सकता है। न्यायालय के फैसले में रामचरित मानस की चौपाई का भी उल्लेख किया।
आरोपित किशन उर्फ चिन्नू माछिया को फांसी का निर्णय पारित करने में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने वैज्ञानिक साक्ष्यों को आधार बनाया।
फैसले में घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं था परंतु बालिका के साथ दुष्कर्म कर गला दबाकर हत्या की गई थी। आरोपित के नाखून के निशान बालिका के गले पर मिले थे। पुलिस की ओर से परीक्षण कराया गया था। जांच नमूने के परीक्षण में दोनों ही के सैंपल एक जैसे पाए गए।
न्यायालय के फैसले में आरोपित की मनोदशा भी देखी गई हैं विचरण के दौरान आरोपित के व्यवहार में इस कृत्य के लिए न तो पश्चाताप देखा गया और न ही उसने कभी घटना पर अफसोस जताया।