अमित मिश्रा. नईदुनिया ग्वालियर: देशभर में तेजी से बढ़ रहे साइबर फ्राड को रोकना और अपराधी तक पहुंचना सबसे मुश्किल है। इसकी वजह है-हजारों किलोमीटर दूर दूसरे राज्यों में बैठकर शातिर ठग अपराध करते हैं। सिम से लेकर सबकुछ फर्जी होता है। किसी तरह कड़ी मेहनत से पुलिस अपराधियों तक पहुंच भी जाए तो इन ठगों ने बचने का नया पैंतरा ढूंढ लिया है।
अपने वकील व एजेंटों के जरिये पकड़े जाते ही सीधे फरियादी से संपर्क करते हैं, समझौते के लिए ठगी गई पूरी रकम लौटाने से लेकर अतिरिक्त धन देने की पेशगी करते हैं। फरियादी भी लालच में आकर समझौता कर लेते हैं और जैसे ही कोर्ट के बाहर समझौता होता है, तो पूरा मामला ठंडा पड़ जाता है। आरोपित बच निकलते हैं और दोबारा ठगी की दुकान बेखौफ शुरू कर देते हैं। हाल ही में ग्वालियर में ऐसा मामला सामने आया है।
ग्वालियर के मुरार स्थित सीपी कालोनी में रहने वालीं 71 वर्षीय आशा भटनागर को 14 मार्च को डिजिटल अरेस्ट कर 51 लाख रुपये की ठगी हुई थी। पुलिस ने कड़ी मेहनत से आरोपितों को छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर तक से पकड़ा। अब इस मामले में आशा भटनागर ने कोर्ट के बाहर समझौता कर लिया। उन्होंने कोर्ट में कहा-उन्हें उनकी रकम वापस मिल गई। इस आधार पर एफआइआर रद् कर दी गई।
अब आरोपित जेल से छूट जाएंगे। उन्हें जमानत भी नहीं मिल रही थी। ऐसा यह पहला मामला नहीं है। नईदुनिया ने जब पड़ताल की तो सामने आया कि ग्वालियर में ही साइबर फ्राड के ऐसे कई केस हैं, जिनमें आरोपितों को दूसरे राज्यों से पुलिस पकड़कर लाई। आरोपितों ने फरियादी से समझौता किया और बच निकले।
पलक माथुर के साथ 2022 में क्रेडिट कार्ड के नाम पर 8.30 लाख रुपये का साइबर फ्राड हुआ था। क्राइम ब्रांच ने कलकत्ता के मनोहर राय, संदीप, अरिंदम शाह और मुक्ति विश्वास को गिरफ्तार किया। पलक को आरोपितों ने रुपये लौटा दिए और समझौता हो गया।
गोला का मंदिर निवासी पंकज जैन नोएडा की कंपनी में काम करते हैं। जनवरी माह में उनके साथ आइसीआइसीआइ बैंक का कर्मचारी बनकर ठग ने 4.50 लाख रुपये की ठगी की। राजस्थान के जयपुर से आरोपित जितेंद्र गुर्जर और श्रवण शर्मा को पकड़ा गया। पांच दिन बाद ही आरोपितों ने ठगी की रकम लौटा दी और समझौता हो गया।
2022 में गया के नवादा से विकास गिरी, निमेश और गया से राजीव कुमार को क्राइम ब्रांच ने पकड़ा था। यह ठग एटीएम बूथ पर जाकर ही ठगी करते थे। यहां कार्ड स्लाट खोलकर पहले कार्ड मशीन के अंदर गिरवा देते थे, फिर मदद के बहाने पहुंचकर कार्ड बदल लेते थे। पूरे अंचल में ठगी की थी। इस मामले में फरियादियों से राजीनामा कर लिया और केस ठंडे बस्ते में चला गया।
आशा भटनागर केस का सरगना कुणाल जायसवाल भिलाई से पकड़ा गया था। वह करोड़ों का मालिक है। उसने ठगी का रुपया दुबई तक भेज दिया था। ठगी के पैसे से क्रिप्टो ट्रेडिंग करता था। अब वह भी छूट जाएगा, जबकि उसने देशभर में ठगी की थी।
इस तरह के मामलों में फरियादी लालच में आकर राजीनामा कर लेते हैं। हजारों किलोमीटर दूर दबिश देकर पुलिस आरोपितों को पकड़ती है। सरकारी धन पड़ताल में खर्च होता है, लेकिन इस तरह से समझौता होने पर पूरी मेहनत ही बर्बाद हो जाती है।
सोसाइटी के खिलाफ अपराध में समझौते की गुंजाइश नहीं : साइबर ठगी के मामले सोसाइटी के खिलाफ अपराध की श्रेणी मे आते हैं ऐसे मामलों में समझौते के आधार पर मामले को खत्म नहीं किया जा सकता। यह अपराध ऐसे है जो सीधा समाज को प्रभावित करते हैं। अगर इस प्रकार के मामलों में समझौते किए जाएंगे तो कहीं न कहीं अपराध को बढ़ावा मिलेगा सकता है।
-प्रभात हिन्नारिया, अधिवक्ता, हाई कोर्ट, ग्वालियर।