नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय में फिर एक बार बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। शिक्षकों की कमी से जूझ रहे जेयू के अधिकारियों ने लैब टेक्नीशियनों के पद पर नियुक्त आधे से अधिक कर्मचारियों को अपनी चाकरी में लगा रखा है। जिन कर्मचारियों को लैब में विद्यार्थियों को प्रयोग करवाना चाहिए वह अपने चहेते अधिकारियों के दफ्तरों में बाबूगीरी कर रहे हैं। जेयू ने हाल ही में जो वरिष्ठता सूची जारी की है उसमें दिख रहे अधिकतर लैब टेक्नीशियन प्रशासनिक भवन सहित अन्य विभागों में बाबू गीरी कर रहे हैं।
जेयू के अधिकारियों का लापरवाह और आरामपसंद रवैया भी ऐसा है जिसके चलते छात्रों को टेंडर होने के बाद भी अब तक केमिकल नहीं मिल पा रहे हैं। विभाग को अतिथि विद्वानों के भरोसे चलाया जा रहा है और ए प्लस प्लस का तमगा सजाए बैठे विश्वविद्यालय में परेशान छात्र आज भी चंदा कर केमिकल खरीद कर ला रहे हैं । जब अधिकारियों से सवाल जवाब करो तो वो भी अलग-अलग बहाने लेकर बैठ जाते हैं।
नाम - नियुक्ति पद - पदस्थ
धनंजय मिश्रा - लैब टेक्नीशियन - एकाउंट विभाग
अतुल पांडे - लैब टेक्नीशियन - विकास विभाग
पकंज त्रिपाठी - लैब टेक्नीशियन - पीएचडी गोपनीय
अनुराधा शर्मा - लैब टेक्नीशियन - पीएचडी अकादमी
राजकुमार - लैब टेक्नीशियन - कुलसचिव इकाई
महेश गुप्ता - लैब टेक्नीशियन - बजट शाखा
जेयू में शोध के लिए महत्वपूर्ण विभाग जैसे जूलोली, बाटनी, बायोकेमिस्टी सहित कई ऐसे विभाग हैं जो एक दो नहीं सात-आठ सालों से लैब टेक्नीशियन के बिना ही संचालित हो रहे हैं। यहां विभाग के प्राध्यापक,अतिथि विद्वान और लिपिक मिलकर प्रयोगशाला संचालित करते हैं और छात्रों को प्रयोग करवाते हैं। जिन छात्रों को प्रयोग करना होता है उन्हें अपने पैसे से ही कैमिकल खरीद कर लाना होते हैं क्योंकि वर्षों से कैमिकल को लेकर विभागों से नोटशीट तो भेजी जा रही हैं लेकिन टेंडर होने के बाद भी अब तक विभागों को कैमिकल नहीं मिले हैं। बता दें कई लैब अटेंडेंट भी जेयू के गोपनीय विभाग मे काम कर रहे हैं।
केमिकल के रेट कांट्रेक्ट हो चुके हैं, वर्कआर्डर भी जारी होते जा रहे है,बाकी लैब टेक्नीशियन को लेकर जो आप स्थिति बता रहें हैं उसकी जांच करवाते हैं ।
-अरुण चौहान , कुलसचिव , जेयू