फरियादी को आवेदन पर मिलेगी तारीख पर तारीख, एफआइआर भूल ही जाओ
ग्वालियर पुलिस ने जमीनों के नाम पर धोखाधड़ी के मामलों में एफआइआर करना ही बंद कर दिया है। लोग थानों से लेकर पुलिस अधिकारियों के दफ्तरों तक के चक्कर लगाकर परेशान हैं, लेकिन एफआइआर दर्ज नहीं हो रही है। पुलिस आवेदन ले रही है, जांचें भी हो रही हैं, लेकिन एफआइआर नहीं। थानों में एक ही जवाब मिलता है, धोखाधड़ी की एफआइआर पर रोक है। रोक किसने लगाई, क्यों लगाई।येकोईनहींबताता।
By amit mishra
Publish Date: Fri, 08 Nov 2024 10:57:08 AM (IST)
Updated Date: Fri, 08 Nov 2024 10:57:08 AM (IST)
फरियादी को आवेदन पर मिलेगी तारीख पर तारीख। सांकेतिक चित्र। HighLights
- शिकायत तक दर्ज न होना यह सिस्टम का गठजोड़ नहीं तो और क्या है
- जीवनभर की कमाई से जमीन-मकान खरीदे और ठगे गए
- कोर्ट का दरवाजा खटकाने के लिए मजबूर हैं फरियादी
अमित मिश्रा, नईदुनिया। शहर में जमीनों की धोखाधड़ी कर लोगों की जीवनभर की कमाई लूटने वाले ठग और माफिया बेखौफ हो गए हैं। इसकी वजह है- ग्वालियर पुलिस ने जमीनों के नाम पर धोखाधड़ी के मामलों में एफआइआर करना ही बंद कर दिया है। लोग थानों से लेकर पुलिस अधिकारियों के दफ्तरों तक के चक्कर लगाकर परेशान हैं, लेकिन एफआइआर दर्ज नहीं हो रही है।
इस अघोषित रोक के पीछे ठोस वजह भी कोई नहीं बता रहा। पुलिस आवेदन ले रही है, जांचें भी हो रही हैं, लेकिन एफआइआर नहीं। थानों में एक ही जवाब मिलता है, धोखाधड़ी की एफआइआर पर रोक है। रोक किसने लगाई, क्यों लगाई, क्या ग्वालियर में भारतीय न्याय संहिता की धाराएं मान्य नहीं हैं। इसका संतोषजनक जवाब देने को भी कोई तैयार नहीं है और महीनों से आवेदन लंबित हैं। नौकरीपेशा, देश की रक्षा करने वाले सैनिक, कारोबारी और गरीब लोगों के साथ जमीन बेचने का झांसा देकर धोखाधड़ी हुई, लेकिन फिर भी एफआइआर नहीं हो रही।
आवेदनों पर खेल...
- जमीन या पैसों के लेनदेन से जुड़ी किसी भी शिकायत पर नियमानुसार पहले जांच होती है, इसके बाद अभियोजन अधिकारी की सहमति के बाद ही एफआइआर होती है। ग्वालियर में धोखाधड़ी की एफआइआर पर अघोषित रोक का सीधा फायदा जांच करने वाले पुलिसकर्मी और जिनके खिलाफ शिकायतें पहुंच रही हैं, वह उठा रहे हैं। आवेदन पहुंचता है तो जिसके खिलाफ शिकायत पहुंची है, उसे थाने बुलाया जाता है।
- जिसके खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत है, वह किसी भी स्थिति में चाहता है, एफआइआर न हो। जिसके साथ ठगी हुई है, वह पीड़ित है और किसी भी तरह का प्रलोभन उसके द्वारा नहीं दिया जाएगा। जब एफआइआर पर अघोषित रोक लगी ही हुई है, तो इसकी आड़ में आवेदन ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। आवेदक को अलग-अलग तर्क देकर गुमराह कर दिया जाता है।
इन उदाहरणों से समझिए...कैसे हारकर कोर्ट तक का दरवाजा खटखटकाने को मजबूर हैं फरियादी
- मैं थाटीपुर क्षेत्र में रहता हूं। मेरे साथ प्लाट बेचने का झांसा देकर चार लोगों ने 40 लाख रुपये लिए। फिर न प्लाट दिया, न रुपये वापस दिए। सारे सबूत हैं, जिन्हें लेकर कई बार थाने से लेकर पुलिस अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटे। जांच एएसपी स्तर के अधिकारी ने की और सिद्ध कर दी गई। जिला अभियोजन अधिकारी कार्यालय से भी रिपोर्ट पुलिस ने ली, जिसमें एफआइआर के लिए लिखा गया। फिर भी एफआइआर नहीं हुई। परेशान होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, अब कोर्ट द्वारा बार-बार स्टेटस रिपोर्ट मांगने के बाद भी स्टेटस रिपोर्ट नहीं दी जा रही है।
गजेंद्र पांडे
- मैं चावड़ी बाजार का रहने वाला हूं। मेरे साथ मकान का सौदा कर दिया गया। अनुबंध हो गया, पैसे भी दे दिए गए लेकिन मकान नहीं मिला। अब मैं अलग-अलग थानों के चक्कर लगा चुका हूं, सुनवाई नहीं हो रही। आवेदन तो ले लिया जाता है, फिर कोई जवाब नहीं मिलता।
मयंक अग्रवाल
ये देखिए सिस्टम से त्रस्त फौजियों का दर्द...गुंडे जमीन पर कदम नहीं रखने दे रहे
- वायुसेनाकर्मी संजू सिंह तोमर ने बताया कि 2012 में सिकंदर लोधी से प्लाट लिया था। उनके अलावा करीब 20 लोग हैं और यह सभी सेना, मप्र पुलिस, एसएएफ, सीआरपीएफ सहित अन्य बलों में हैं। देश की रक्षा कर रहे हैं। प्लाट खरीदने के बाद नामांतरण करा लिया, कब्जा भी था। पिछले कुछ समय से यहां सिकंदर लोधी, बृजेंद्र यादव, देवेंद्र यादव, धर्मेंद्र भदौरिया, रामबाबू शर्मा सहित अन्य दबंग लोग प्लाट पर जाने ही नहीं देते।
- 27 अक्टूबर को बंदूक की दम पर इन लोगों को खदेड़ दिया। मुरार थाने से लेकर पुलिस अधिकारी, कलेक्ट्रेट, तहसीलदार, एसडीएम कार्यालय के चक्कर काटे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब पूर्व सैनिक संगठन की मदद से सभी पूर्व और वर्तमान सैनिक व इनके स्वजन इकट्ठे होकर पहुंचे। यहां निर्माण कार्य शुरू कराया। न तो पुलिस भू-माफियाओं पर एफआइआर कर रही है और न क्षेत्र के पटवारी, तहसीलदार ही मदद कर रहे हैं। संजू ने बताया कि थाने जाते हैं तो यहां पुलिसकर्मी विवाद होने पर मौके पर जाने के एवज में भी पैसे मांगते हैं।