-अनुदान से तैयार अधोसंरचना की दिल्ली से सीधे होगी निगरानी
-21 करोड़ की लागत से सुधारे जाएंगे एफसीटीएस
-दो करोड़ की लागत से 30 नए सीएनजी टिपर वाहन खरीदेगा निगम
-इस बार केंद्र सरकार से 50 करोड़ का अनुदान मिलना संभव
प्रियंक शर्मा, ग्वालियर। केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन-2 में साफ-सफाई को लेकर नियम सख्त कर दिए गए हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 का सिटीजन फीडबैक शुरू कर दिया गया है और नई परीक्षा अब 7500 के बजाय 9500 अंकों की होगी। अंक बढ़ाने के साथ ही अब स्वच्छ सर्वेक्षण में नए घटक जोड़े गए हैं। अब सर्वे की टीम को दिखाने के लिए नहीं, बल्कि असल में सफाई करनी होगी। इसका कारण यह है कि सर्वेक्षण से पहले अब नगर निगम को टीम को आने की कोई सूचना नहीं दी जाएगी। अभी तक निगम को 24 से 48 घंटे पहले सूचना दे दी जाती थी। इसके अलावा केंद्र सरकार अब अधोसंरचना मजबूत करने के लिए अनुदान देगी, जिसकी सीधी निगरानी दिल्ली से होगी। यदि फिर भी मौके पर काम नहीं होता है, तो केंद्र सरकार से मिलने वाले अनुदान को बंद कर दिया जाएगा।
स्वच्छता की रैंकिंग में तीन पायदान पिछड़ने के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने नए सर्वेक्षण के लिए कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया है। हालांकि केंद्र सरकार ने भी ग्वालियर में सफाई व्यवस्था को बेहतर करने के लिए लगभग 50 करोड़ रुपए का अनुदान देने का वादा किया है। इसके लिए 33 करोड़ रुपए की राशि दे दी गई है। स्वच्छ भारत मिशन के लिए अब 33 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार, 33 प्रतिशत राज्य सरकार और 34 प्रतिशत राशि नगर निगम को मिलाकर काम करने होंगे। नगर निगम की सबसे खराब स्थिति गार्बेज फ्री सिटी के मामले में रही है। इस श्रेणी में निगम को सिर्फ 48 प्रतिशत अंक मिले हैं। इसको देखते हुए अब दो करोड़ रुपए की लागत से 30 नए सीएनजी टिपर वाहन खरीदे जा रहे हैं। नगर निगम का असली फोकस अब डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन वाहनों की रियल टाइम मानिटरिंग पर होगा। इंदौर की तर्ज पर अब वार्डवार टिपर वाहनों के रूट तैयार कर उनकी निगरानी की जाएगी। इसमें यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि घरों से गीला-सूखा कचरा मिल रहा है या नहीं। यह जीपीएस से ही पता चल सकेगा। साथ ही लैंडफिल साइट पर कचरे के निस्तारण और घरों से जीरो वेस्ट को प्राथमिकता दी जानी है। इसके लिए नगर निगम के अधिकारियों को तीन दिन तक दिल्ली में ट्रेनिंग देकर सभी बिंदुओं को अच्छे से समझा दिया गया है कि इस बार की परीक्षा असल काम पर आधारित होगी। नगर निगम को 33 करोड़ रुपए भी इसी शर्त पर दिए गए हैं कि मार्च तक इन पैसों से कचरे का निस्तारण कर लिया जाए।
-ऐसे बांटा है 9500 अंकों को
इस बार सेवा आधारित प्रगति पर 3000 की जगह 4525 अंक, सर्टिफिकेशन पर 2250 की जगह 2500 अंक और सिटीजंस वाइस पर 2250 की जगह 2475 अंकों की व्यवस्था की गई है। सेवा आधारित प्रगति के 4525 में से कचरा सेग्रीगेशन और कलेक्शन के 1750 अंक, प्रसंस्करण एवं निपटान के 1830 अंक और संवहनीय स्वच्छता एवं सफाई मित्र सुरक्षा के 945 अंक होंगे।
-सात एफसीटीएस का होगा सुधार
ईको ग्रीन कंपनी ने शहर में सात स्थानों पर फिक्स्ड काम्पेक्ट ट्रांसफर स्टेशनों की स्थापना की थी, लेकिन अधिकतर ट्रांसफर स्टेशन चालू अवस्था में नहीं हैं। ईको ग्रीन कंपनी के काम छोड़ने के बाद इन स्टेशनों का रखरखाव नगर निगम द्वारा ही किया जा रहा है। अब निगम तीन-तीन करोड़ रुपए की लागत से इन स्टेशनों में सुधार करेगा। इसके लिए नगरीय विकास विभाग द्वारा अधिकृत की गई कंपनी जे मास प्रोजेक्ट्स ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसके अलावा सीएंडडी वेस्ट प्लांट के लिए भी 10 करोड़ रुपए की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
हम तैयारी कर रहे हैं
हम पुराने सर्वेक्षण में कहां कमजोर रहे और उन्हें कैसे सुधारा जाए। इसके लिए मंथन किया जा रहा है। इसके अलावा नए सर्वेक्षण के लिए भी तैयारी शुरू कर दी है। एक-दो दिन में ही पूरा प्लान तैयार कर लिया जाएगा। हम अपनी ओर से इस बार कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
किशोर कान्याल, आयुक्त नगर निगम