वरुण शर्मा. नईदुनिया ग्वालियर। चीतों को खुले जंगल में छोड़ने के लिए स्टैंडर्ड आपरेशन प्रोसीजर (एसओपी) तैयार हो चुका है। इस एसओपी को अंतिम रूप देने के लिए मप्र, राजस्थान और उप्र वन विभाग के अधिकारी नवंबर के अंतिम सप्ताह में रणथंभौर में जुटने वाले हैं। यहां चीतों के एक दूसरे राज्य की सीमा में आने को लेकर सुरक्षा, भोजन व निगरानी, क्या कैसे की जाएगी, यह सब शामिल अंतिम स्वरूप दिया जाएगा। किसी भी राज्य को चीतों को लेकर कोई असमंजस न रहे, इसी के लिए एसओपी तैयार हुई है।
इस एसओपी को एनटीसीए (नेशनल) ने तैयार किया है। इस बैठक में तय हो जाएगा कूनो के बड़े बाड़े से चीतों को जंगल में छोड़ा जाएगा। बता दें कि चीतों को छोड़ने की तैयारी को लेकर सितंबर के अंतिम सप्ताह में कूनो में बैठक का आयोजन किया जा चुका है। बैठक में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 22 वन मंडलाधिकारी शामिल हुए थे।
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार एक चीते के लिए करीब 100 वर्ग किमी क्षेत्र की जरूरत होती है। कूनो के जंगल का क्षेत्र करीब 1200 वर्ग किमी है। इसमें 748 वर्ग किमी मुख्य जोन में और 487 किमी बफर जोन में है। कूनो में शावकों सहित 24 चीते हैं इस लिहाज से कूनो के जंगल का क्षेत्र चीतों के लिए कम ही होगा।
ऐसी होगी एसओपी: चीतों को छोड़ने को लेकर प्रदेश के वन अधिकारियों ने सुरक्षित एसओपी के जरिए आगामी व्यवस्था चलाने का निर्णय लिया है, चीता प्रदेश से राजस्थान या उप्र पहुंचता है तो वहां संबंधित वन मंडल चीतों की निगरानी, भोजन एवं सभी प्रोटोकाल फालो करेगा। प्रदेश के कूनो के चीते भले ही हों लेकिन दूसरे राज्य के अधिकारी व अमला भी प्रदेश की तरह की चीतों की देखरेख करेगा। ऐसे बिंदुओं को एसओपी में शामिल किया है।
चीतों को छोड़ने को लेकर डेढ़ माह पहले सहमति बन चुकी है, इसके लिए केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव का अप्रूवल भी मिल चुका है। मप्र राज्य का यह चाहता है कि निर्धारित की जा रही एसओपी के तहत ही चीतों को छोड़ा जाए। यही कारण है कि सभी जगह से हरी झंडी मिलने के बाद भी अभी चीतों को खुले जंगल में नहीं छोड़ा गया है, क्योंकि एक बार चीते बाहर छोड़े गए और दूसरे राज्य में निकल गए बाद में असमंजस की स्थिति न हो।
चीतों को खुले में छोड़े जाने को लेकर सभी स्वीकृतियां दी जा चुकी हैं, चीतों को खुले में छोड़ने के बाद वे जहां भी जाएं उनका पूरा ध्यान रखा जाए, इसके लिए एनटीसीए ने एसओपी तैयार की है। इसी एसओपी के आधार पर राज्य के अधिकारी कार्य करेंगे।
डा. राजेश गोपाल, चेयरमैन, चीता स्टीयरिंग कमेटी