Rakshabandhan 2021: वरुण शर्मा, ग्वालियर नईदुनिया। क्षणिक आवेश में लिए गए फैसले जिंदगी भर के पछतावे की वजह बन जाते हैं। अगर इन्हें समय रहते सुधार लिया जाए तो जीवन आसान हो जाता है। ऐसा ही एक प्रयास कर रहे हैं ग्वालियर के आफ्टर केयर में रहने वाले 19 वर्षीय अनुज सिंह (परिवर्तित नाम)। महाराष्ट्र के जालना जिले में रहने वाले अनुज ने सात साल पहले अपने पिता की डांट के डर से घर छोड़ दिया था, तब अनुज 12 साल का नाबालिग था। अब इतने दिनों बाद उसकी कलाई पर राखी बंधेगी।
वह जब घर से निकला था तब ट्रेन में बैठकर ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर उतरा और काफी समय स्टेशनों पर जिंदगी गुजारता रहा। 2018 में रेलवे चाइल्ड लाइन ने लावारिस हालत में मिले अनुज को महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंप दिया। काउंसिलिंग में अनुज ने बताया कि उसकी माता-पिता नहीं हैं, जबकि हकीकत में उसके मात-पिता और भाई, व तीन बहनें भी हैं। उसने पिता के प्रति गुस्से के कारण यह बात छिपाई थी। ग्वालियर में पढ़ा फिर नौकरी भी पाई। अब उसे अपने स्वजन की याद सताने लगी है, खासकर अपनी बहनों की क्योंकि सात साल से उसकी कलाई सूनी है। खुद परिवार का पता लगाकर अनुज ने तय किया कि इस साल वह अपनी बहनों से राखी बंधवाकर रहेगा। अनुज अपने परिवार को खोजते हुए जबलपुर पहुंच गया है। 22 अगस्त को उसकी कलाई पर राखी बंधेगी।अनुज की मां और दो भाई व दो बहनें जबलपुर की हाथीताल कालोनी में रहते हैं। अनुज ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से पता लगाया कि उसका परिवार होशंगाबाद के पास सुहागपुर में रहता है। पिता का वहीं पता मिला है और मां के साथ दो भाई व दो बहनें छोटी बहन जबलपुर में हैं। एक और बहन है जो कुछ साल पहले लापता हो गई थी और अभी तक उसका पता नहीं चला है। अनुज अब अपने घर पहुंच गया है जहां वह अपनी दो बहनों से राखी बंधवाएगा।
कांच का सामान टूटने के बाद डांट पड़ने के डर से छोड़ दिया था घरः अनुज ने बताया कि उसके घर में कांच के सामान का काम होता था। एक दिन उसके हाथों से कांच से बना एक कीमती सामान टूट गया। उसे डर सताने लगा कि अगर यह बात उसके पिता को पता चलेगी तो उसे बहुत डांट पड़ने वाली है। इसीलिए उसने घर से भागना उचित समझा।
विभाग ने पढाया,ट्रेनिंग कराई,पहचान मिली: ग्वालियर में महिला बाल विकास विभाग ने 2018 में उसे आठवीं कक्षा में भर्ती कराया। इसके साथ ही उसने अंग्रेजी की कोचिंग की। साथ ही उसने फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग ली, जिसके कारण उसे दावर्स इंडस्ट्री में नौकरी भी मिल गई है। अनुज जब तीन साल पहले विभाग को रेलवे चाइल्ड लाइन के जरिए मिला था तब उसके पास कोई पहचान नहीं थी। अब अनुज के पास सारे दस्तोवज हैं और वह नौकरी कर रहा है।
वर्जन-
अनुज एक उदाहरण है कि सब कुछ खोने के बाद हिम्मत न हारो तो सब मिल जाता है। पहले अनुज के परिवार का पता नहीं था वह भी मिल गया। पहचान बनी और नौकरी भी मिल गई। अब रक्षाबंधन पर अनुज अपनी बहनों से राखी बंधवाएगा। काफी समय बाद वह अपने परिवार से मिला है।
शालीन शर्मा, असिस्टेंट डायरेक्टर,महिला एवं बाल विकास विभाग, ग्वालियर