ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया सरलता, सहजता और संवेदनशीलता की त्रिवेणी थीं। वे वात्सल्य की धनी थीं। वे ममतामयी थीं। कल राजमाता सिंधिया की 100वीं जयंती है।
उन्हें एक बार जनसंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की दृष्टि से 1972 में स्वयं अटलजी और आडवाणीजी उनके पास आए, राजमाता से दोनों नेताओं ने चर्चा की। राजमाता ने कहा कि मुझे एक दिन का समय चाहिए। राजमाता आध्यात्मिक भी थीं। वे दतिया पीताम्बरा पीठ गईं, अपने गुरु जी से चर्चा की और लौटीं तो उन्होंने अटलजी और आडवाणीजी से कहा कि वे भारतीय जनसंघ की सेवा एक कार्यकर्ता के रूप में सदैव करती रहेंगी।
राजमाता सिंधिया की 100वीं जयंती समारोह के मौके पर उनके जीवन से जुड़े दुर्लभ फोटोग्राफ उपलब्ध कराए हैं शहर के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट केदार जैन ने। राममंदिर आंदोलन के दौरान 1991 भिंड के अटेर में सभा के मंच पर मौजूद राजमाता सिंधिया। साथ में कल्याण सिंह, सुंदरलाल पटवा, उमाभारती, आचार्य धर्मेंद्र, लालजी टंडन।
उन्हें पदों के प्रति कभी आकर्षण नहीं रहा। राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने भारतीय राजनीति में महिला के नाते देश में एक आदर्श कायम किया। उनकी राष्ट्रहित के प्रति जागरूकता ने ही उन्हें राजमाता से लोकमाता बनाया। भारतीय जनसंघ से भाजपा तक उनकी यात्रा में उनेक उतार-चढ़ाव आए, पर उन्होंने अपने सिद्धांत और विचारधारा के प्रति जो समर्पण रहा उसे कभी नहीं छोड़ा।
जयविलास पैलेस के दरबार हॉल में विदेशी मेहमान मार्शल टीटों के साथ डिनर करतीं राजमाता। डिनर चांदी की ट्रेन से परोसा जा रहा है।
उनका जन्म सागर के राणा परिवार में 12 अक्टूबर 1919 को हुआ। विवाह से पहले उनका लेखा दिव्येश्वरी था और उनकी शादी ग्वालियर राजघराने के अंतिम महाराज जीवाजीराव सिंधिया से हुआ। उनकी तीन बेटियां ऊषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे सिंधिया है। एकमात्र पुत्र स्व माधवराव सिंधिया भारतीय राजनीति में जानामाना नाम था।ग्वालियर महाराजा जीवाजीराव सिंधिया से विवाह के पश्चात पहली बार ग्वालियर आईं राजमाता विजयाराजे सिंधिया को कुछ तरह पर्देदारी में लाया गया।
भारतीय राजनीति में उन्होंने मध्य प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री डी.पी. मिश्रा की सरकार को जब गिराया था और जनसंघ के विधायकों के समर्थन से स्व. गोविंद नारायण सिंह को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था, तभी से लोग राजनैतिक तौर पर राजमाता की ताकत का एहसास करने लगे थे।
पारिवारिक पूजन कार्यक्रम में माधवराव सिंधिया के साथ राजमाता, यशोधरा राजे, वसुंधरा राजे।
जयविलास पैलस में माधवराव सिंधिया के विवाह के मौके पर राजमाता सिंधिया।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और राजमाता की मझली बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया के विवाह के मौके पर माधवराव सिंधिया और राजमाता सिंधिया।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया के पुत्र स्व. माधवराव सिंधिया और राजमाता के तत्कालीन सहयोगी स्व. महेन्द्र सिंह कालूखेडा, दोनों ही जनसंघ से चुनाव लड़े। राजमाता ने स्व. माधवराव सिंधिया को पहली बार सांसद का चुनाव भारतीय जनसंघ से लड़ाया और वे भारतीय जनसंघ के सांसद बने। इसी तरह महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा भी जनसंघ से ही निर्वाचित हुए।
राजमाता के निधन पर मां को अंतिम विदाई देते माधवराव सिंधिया।
राजमाता जनसंघ की नेता के नाते पूरे देश में उनका अखंड दौरा प्रारम्भ हुआ। भारतीय जनसंघ को एक सशक्त महिला नेत्री मिली। राजमाता पूरी तरह अपने चुनाव चिह्न दीए को लेकर गांव-गांव पहुंचने लगीं। भारतीय जनसंघ की वैचारिक पृष्ठभूमि तेजी से तैयार होने लगी। इस बीच देश में स्व. इंदिराजी ने आपातकाल लगा दिया।
महल में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल, भाजपा के वरिष्ठ नेता कुशाभाऊ ठाकरे के साथ राजमाता।
अयोध्या में रामजन्म भूमि रामकथा कुंज में कारसेवकों को संबोधित करतीं राजमाता। मंच पर हैं लालकृष्ण आडवानी।
अयोध्या में रामजन्म भूमि रामकथा कुंज में कारसेवकों को संबोधित करतीं राजमाता। मंच में लालकृष्ण आडवानी।
1980 में राजमाता को जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष चन्द्रशेखर ने आग्रह किया कि वे'' स्व. इंदिरा गांधी के विरुद्ध जनता पार्टी की ओर से रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ें। राजमाता ने कहा कि जो पार्टी तय करे। राजमाता रायबरेली गईं और स्व. इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ीं। वे पीछे नहीं हटीं। वे चुनाव हार गईं। लेकिन उन्होंने संगठन के निर्णय को बिना किसी विरोध के शिरोधार्य किया। संगठन निष्ठ होने को यह अनुपम उदाहरण है।
फूलबाग मैदान में आयोजित राजमाता के अमृत महोत्सव 75वीं वर्षगांठ के मौके पर राजमाता का सम्मान करते शिवराज पाटिल, अटल बिहारी वाजपेयी।
एक बार प्रख्यात वकील श्री राम जेठमलानी के मुकदमे में ग्वालियर हाईकोर्ट आए। उनके आगमन पर कांग्रेस के लोगों ने उन पर पथराव किया। जेठमलानी के सिर में चोट आयी। उस समय राम जेठमलानी भाजपा में थे। राजमाता को जब ज्ञात हुआ तो वे भाजपा का झंडा लेकर स्वयं ग्वालियर के इंदरगंज थाने में हजारों कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचीं और रिपोर्ट दर्ज कराई। उन्होंने अपने ऊपर कभी भी राजघराने या राजशाही को हावी नहीं होने दिया। वे राजमाता होते हुए सदैव लोकमाता के मार्ग पर चलीं। यही कारण है कि देश ने उन्हें लोकमाता के रूप में स्वीकार किया।
100वीं जन्म जयंती पर श्रद्धांजलि सभा, वसुंधरा और यशोधरा आएंगी
भाजपा की संस्थापक सदस्यों में शामिल भारतीय राजनीति की अविस्मरणीय नेत्री राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जन्म शताब्दी वर्ष के मौके पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है। थीम रोड सिंधिया राजवंश के छत्री परिसर में यह आयोजन 12 अक्टूबर शनिवार को प्रात: 8:45 बजे आरंभ होगा।
कार्यक्रम में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और मप्र की पूर्व मंत्री और शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया विशेष तौर पर मौजूद रहेंगी। इसके साथ ही भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे।