Piyush Mishra ग्वालियर। मैं बचपन में बहुत ही अंतरमुर्खी स्वभाव का था। मैं इतना अंतरमुर्खी था कि मोहल्ले के कुत्ते भी मुझ पर भौंकते नहीं थे, वे सोचते थे इस पर क्या भौंकना (हंसते हुए)। इसके बाद मैं 8वीं कक्षा में था तो मुझे स्कूल के स्टाफ रूम में बुलाया। तब काटजू मैडम हुआ करती थीं। बताया कि एक प्ले में मुझे लीड किरदार करना है। मैंने जब एक्ट किया तो सबने उस पर रिएक्ट किया। मैं हंसने का बोलता था तो लोग हंसते थे। एक अंतरमुर्खी स्वभाव वाले के लिए यह बिल्कुल अलग अनुभव था। इसी समय मैंने तय कर लिया था कि मुझे क्या करना है। वैसे भी मैथ्स और फिजिक्स तो मुझे समझ ही नहीं आते थे। अपनी जिंदगी और स्कूल के समय के कुछ ऐसे ही किस्से बॉलीवुड के एक्टर, सिंगर और लेखक Piyush Mishra ने शुक्रवार को कार्मल कॉन्वेंट स्कूल में साझा किए।
पीयूष मिश्रा ने कहा कि मैं 1977 में इस स्कूल से पासआउट हुआ था और आज यहां आकर बहुत भावुक महसूस कर रहा हूं। पीयूष बहुत ही दोस्ताना अंदाज में बच्चों से मिले और बात करते हुए बीच-बीच में कई बार अपनी क्लास 8वीं 'बी' के बारे में पूछ रहे थे। उन्होंने बच्चों से कहा कि 9वीं-10वीं कक्षा में शायद आपको यह पता नहीं चले कि आप आगे क्या करना चाहते हैं। लेकिन, आपको यह जरूर पता चल जाएगा कि आप क्या नहीं करना चाहते हैं। इस वक्त आप अपने दिल की सुनना और उसी के बताए रास्ते पर चलना। मैं सोचता था कि फिजिक्स जैसा सब्जेक्ट आखिर बनाया ही क्यों है। लेकिन 1999 में आइंस्टाइन प्ले किया तो फिजिक्स के सारे कंसेप्ट्स भी पढ़े, जिंदगी ऐसी ही है। आपको कर्म करते रहना चाहिए क्योंकि एक बार किया गया कर्म अपना फल दिए बिना नष्ट नहीं होता है। पीयूष मिश्रा को कार्मल कान्वेंट ओल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने पहला कार्मल रत्न देकर सम्मानित किया। स्टूडेंट्स ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दीं।
जिंदगी में कभी क्विट मत करना
पीयूष मिश्रा ने कहा कि मुझे पहला ब्रेक गुलाल मूवी में उस समय मिला जब मैं 46 साल का था। इस वक्त जब लोग रिटायर होने का सोच रहे होते हैें, उस समय मैंने इंडस्ट्री में जगह बनाना शुरू की। दरअसल आपको जिंदगी में कभी भी क्विट नहीं करना चाहिए। यदि मैंने ऐसा किया होता तो आज अमिताभ बच्चन के साथ पिंक मूवी में स्क्रीन शेयर नहीं की होती और न ही आज रणवीर के लिए शमशेरा लिख रहा होता।
6 बार टीसी मिली थी हमारे बैच को
अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए पीयूष मिश्रा ने स्टूडेंट्स से कहा कि हमारे समय में गर्ल्स बैच बहुत ही खूबसूरत था, वहीं हमारा बैच बहुत ही अतरंगी। आप इस बात से ही अंदाजा लगाओ कि हमारे बैच को 6-6 बार टीसी दी गई थी। हम शैतानियां बहुत किया करते थे। मुझे 10वीं कक्षा में क्लास का प्रिफेट (मॉनीटर) बना दिया गया था। मैं बड़ा परेशान था कि सबको शैतानी करने से रोकने की जिम्मेदारी मिली है, अब मैं कैसे शैतानी करूं। हालांकि हम शैतानियों का मौका ढूंढ ही लिया करते थे।
इक बगल में चांद होगा, इक बगल में रोटियां...
पीयूष मिश्रा ने बताया कि अपने स्कूल के दिनों में वे मोहम्मद रफी का गीत ऐ मेरी जौहराजबी तुझे मालूम नहीं... गीत बहुत गाया करते थे। इसके बाद उन्होंने यह गीत गाकर भी सुनाया। इसके साथ ही उन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर में उनका लिखा और गाया हुआ गीत इक बगल में चांद होगा, इक बगल में रोटियां... भी गाकर सुनाया। इसके साथ ही उन्होंने गुलाल फिल्म में उनका लिखा गीत आरंभ है प्रचंड आज...सुनाकर स्टूडेंट्स के दिल में जोश भर दिया।