Nigam me andar ke bol: दीपक सविता, ग्वालियर नईदुनिया। कोरोना से पीड़ित लोगों की मृत्यु के बाद लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में अंत्येष्टि की जा रही है, लेकिन यहां मृतकों के शव उठाने से लेकर अंतिम संस्कार तक में स्वजन से वसूली की जा रही है। इस वसूली की शिकायत निगमायुक्त तक पहुंच चुकी है। वसूली रोकने निगमायुक्त ने तमाम प्रयास कर लिए। हेल्प डेस्क बना दी, स्ट्रेचर भिजवा दिए। यहां तक की अधिकारी भी बदल दिए, लेकिन इसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। आज भी वहां पर पहुंच रहे मृतकों के स्वजन से अवैध वसूली की जा रही है। निगमायुक्त अवैध वसूली गिरोह को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वे अभी तक सफल नहीं हो पाए हैं, क्योंकि मजबूरी मृतक के स्वजन की है, वह शव को छूने में डर रहे हैं। ऐसे में उन्हें यही सहारा दिख रहे हैं, जो अंतिम संस्कार करवा रहे हैं।
आक्सीजन बढ़ा रही 'स्मार्ट" कर्मचारियों की हार्ट बीटः कोरोना महामारी में विगत दिनों मची आक्सीजन की कमी ने अधिकारियों के माथे पर पसीना ला दिया। ऐसे में जिले के सदर ने आक्सीजन सप्लाई की कमान स्मार्ट सिटी की मुखिया को सौंप दी। कमान मिलते ही स्मार्ट सिटी के सभी काम बंद हो गए और पूरा अमला आक्सीजन की सप्लाई में लग गया। सभी कर्मचारियों का ड्यूटी शेड्यूल भी बदल गया है। पांच बजे समाप्त होने वाली ड्यूटी के खत्म होने का अब कोई समय नहीं है। आखिर वह घर जाएं भी तो कैसे मैडम और निगम के सदर दोनों आधी रात तक कमांड सेंटर में बैठते हैं। साथ ही पूरी रात अपडेट लेते हैं, दोनों को देखकर कर्मचारियों की हार्ट बीट बढ़ी हुई है। क्योंकि इस काम में जरा सी लापरवाही किसी की जान ले सकती है। वहीं कर्मचारियों को पता है उनकी लापरवाही पर मैडम उनकी नौकरी ले सकती हैं।
ऊपरी कमाई कम तो घटी निगम कर्मचारियों की संख्याः एक ओर जहां पूरा शहर कोरोना से पीड़ित है, तो वहीं दूसरी ओर नगर निगम भी इससे अछूता नहीं है। निगम के कई अधिकारी इसकी चपेट में आ चुके हैं। हालात यह हैं कि निगम के दो अपर आयुक्त, सिटी प्लानर का परिवार सहित अन्य कई अधिकारी व उनके स्वजन इसकी चपेट में हैं। ऐसे में कोरोना के भय के चलते निगम के आधे से अधिक अधिकारी अब गायब हो चुके हैं। अब मैदान में अगर कोई बचा है तो वह निगम के सदर, क्षेत्राधिकारी, वार्ड कर्मचारी और सफाई कर्मचारी ही हैं। बाकी के कर्मचारी अब निगम मुख्यालय से गायब हो चुके हैं। अधिकारियों का मन कार्यालय में नहीं लगा रहा है, क्योंकि कोरोना के भय से निगम में ठेकेदार भी बिल बनवाने के लिए कम आ रहे हैं, जिससे अधिकारियों की हेाने वाली ऊपरी कमाई अब कम हो चुकी है।
अमृतपान कर रहे अधिकारी, विष पिएगी जनताः अमृत योजना का अधिकारियों ने जमकर अमृतपान किया है, जबकि विष शिवरूपी भोलीभाली जनता के गले में जाएगा। वहीं इस मामले में किले वाले सफाई पसंद मंत्री का अलग ही रुख है। उनका ध्यान अपने क्षेत्र में सीवर लाइन डलवाने पर है, जबकि मंत्री वह प्रदेश के हैं। हालात यह हैं कि जिन इलाकों में सीवर व पानी की लाइन पहुंचनी थी, वहां पर पहुंची ही नहीं है, जबकि जिन इलाकों में पहले से सीवर लाइन है, वहां पर फिर से नई लाइन डाली जा रही है। शहर के पॉश इलाके जहां से निगम को सर्वाधिक राजस्व प्राप्त होता है, उन इलाकों में आज भी कई क्षेत्रों में सीवर नालियों में बह रहा है, लेकिन सीवर कनेक्शन का चार्ज पूरे शहर से वसूला जाएगा। चार्ज वहां से लो, जहां सीवर व पानी की लाइनें डाली हैं, जहां डाली ही नहीं वहां टैक्स कैसा।