New Zoo in Gwalior: ग्वालियर.नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर के शिवपुरी लिंक रोड अब पर्यटकों के लिए नया चिड़ियाघर तैयार किया जाएगा। 125 हेक्टेयर वन भूमि नए चिड़ियाघर के लिए देने की प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण में है। नया चिड़ियाघर तैयार हो जाने के बाद पर्यटकों के लिए ज्यादा वन्य प्राणियों को रखा जा सकेगा। नगर निगम नए चिड़ियाघर में पर्यटकों को सफारी जैसा आनंद उपलब्ध कराना चाहता है। यही कारण है कि यहां वन्य प्राणियों को पिंजरे में नहीं रखा जाएगा, बल्कि उनके बड़े-बड़े बाड़े बनाए जाएंगे। यहां पर्यटक गाड़ियों से बाड़े में जाकर खुले में शेर और बाघ को देख सकेंगे।
नए चिड़ियाघर के लिए पहले नगर निगम को रायरू के पास दुगनावली में 70 हेक्टेयर भूमि मिली थी, लेकिन यह जगह चिड़ियाघर के लिए उतनी मुफीद नहीं थी। इसके चलते नगर निगम ने गुढ़ा-गुढ़ी का नाका पहाड़ी पर 125 हेक्टेयर वन भूमि पर चिड़ियाघर सफारी का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके बदले में दुगनावली में 20 हेक्टेयर भूमि वन विभाग को ट्रांसफर कर दी जाएगी। निगम ने जमीन के आवंटन के लिए आनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर ली है और अब वन विभाग भी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है। ऐसे में जल्द ही नए चिड़ियाघर के विकास की प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी। यहां चिड़ियाघर सफारी की व्यवस्था की जाएगी। इसमें पर्यटक खुले में वन्य जीवों को देख सकेंगे।
सिर्फ 12 हेक्टेयर में बना है गांधी प्राणी उद्यान
वर्तमान में नगर निगम का गांधी प्राणी उद्यान सिर्फ 12 हेक्टेयर में बना हुआ है। इसमें 560 वन्य प्राणियों के केज बने हुए हैं। ऐसे में पर्यटक सिर्फ दूर से ही वन्य प्राणियों को देख पाते हैं। इस चिड़ियाघर को वर्ष 1902 में बनाया गया था। उस समय इसका नाम किंग जार्ज जूलाजिकल पार्क था। इस चिड़ियाघर में सिर्फ राजघराने के शाही मेहमानों को ही एंट्री मिलती थी, लेकिन वर्ष 1922 में इसे आम जनता के लिए खोलकर इसका नाम गांधी प्राणी उद्यान रख दिया गया। इसका सालाना बजट लगभग पांच करोड़ रुपए का है।
निगम उपलब्ध कराएगा गाड़ियां
नए चिड़ियाघर में सैलानियों के लिए नगर निगम ओपन जिप्सी उपलब्ध कराएगा। इस चिड़ियाघर में वन्य प्राणियों की श्रेणी के हिसाब से उनके क्षेत्र विकसित किए जाएंगे और उस क्षेत्र को फेंसिंग कर बंद कर दिया जाएगा। इस बाड़े में सिर्फ एक प्रवेश द्वार होगा, जिससे सैलानी ओपन जिप्सी में प्रवेश करेंगे और वह प्राकृतिक रूप से इन वन्य प्राणियों की जीवन शैली को अनुभव करेंगे। यह व्यवस्था ठीक उस तरह से होगी, जैसे अंचल के श्योपुर व शिवपुरी जैसे नेशनल पार्कों में सैलानियों को अनुभव कराई जाती है।
रेस्क्यू सेंटर भी बनाया जाएगा
ग्वालियर-चंबल संभाग में वन्य प्राणियों के शिकार की भी कई वारदातें सामने आती हैं। इसको देखते हुए यहां वन्य प्राणियों की देखभाल के लिए रेस्क्यू सेंटर भी तैयार कराया जाएगा। इस रेस्क्यू सेंटर में घायल वन्य प्राणियों का इलाज कराया जाएगा। फिलहाल रेस्क्यू सेंटर न होने की स्थिति में घायल वन्य प्राणियों को इलाज के लिए भोपाल भेजा जाता है, लेकिन नए चिड़ियाघर में यह व्यवस्था होने से घायल वन्य प्राणियों को इलाज कर उन्हें इसी चिड़ियाघर सफारी में रख लिया जाएगा।