नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। विजयपुर क्षेत्र के मतदाताओं ने प्रदेश के वन मंत्री रामनिवास रावत के लोकसभा चुनाव में दल-बदल के निर्णय पर अस्वीक़ृत की मौहर लगा दी है। रावत भाजपा मूल के कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्हौत्रा से 7428 वोटो के अंतर से पराजित हो गये हैं। रावत को विश्वासघात का सबक सिखाने के लिए कांग्रेस ने एकजुटता के साथ पुरी ताकत लगा दी थी।
इस चुनाव में प्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव व विधानसभाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की प्रतिष्ठा दांव पर लगाी थी। भाजपा ने कांग्रेस से इस सीट को छीनने के लिए तंत्र के साथ हर मंत्र का उपयोग किया, लेकिन रामनिवास रावत को हिट विकेट होने से नहीं बचा पाई।विजयपुर के आदिवासियों ने संक्रमण काल में कांग्रेस को आक्सीजन प्रदान करने का काम किया है।अब रावत को दल-बदल करने पर बतौर पुरुस्कार मिला वन मंत्री के पद से भी इस्तीफा देना पड़ेगा।
लोकसभा चुनाव में भाजपा के दवाब में रामनिवास रावत ने दल-बदल किया था।भाजपा इस दल-बदल से श्योपुर-मुरैना लोकसभा सीट जीतने में सफल हुई थी।इस एवज में पुरुस्कार के तौर कैबिनेट मंत्री का ओहदा भी मिला था ।
विजयपुर विधानसभा में हुए उपचुनाव के प्रमुख रणनीतिकार के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से नरेंद्र सिंह तोमर थे। मुख्यमंत्री ने आदिवासियों को साधने के लिए सीताराम आदिवासी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया। विजयपुर के विकास के लिए सरकार का खजाना खोल दिया।
क्षेत्र के आदिवासियों सहित सभी वर्गों को साधने के लिए रात्रि विश्राम सहित लगातार प्रवास कर सभाएं को की, लेकिन आदिवासियों को रिझाने में नाकाम रहे।केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने व्यक्तिगत नााराजगी के कारण उपचुनाव से दूरी बनाकर रखी थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने समूचे संगठन को चुनाव में लगा दिया था।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, राज्यसभा सदस्य अशोक सिंह, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार व जयवर्धन सिंह ने विजयपुर उपचुनाव में रामनिवास रावत को हराने के लिए कांग्रेस की पूरी ताकत लगा दी थी।एक-एक मतदान केंद्र पर अंचल के बड़े नेताओं की ड्यूटी लगाई थी।
कांग्रेस विधायक डॉ. सतीश सिकरवार व उनके अनुज पूर्व विधायक सत्यपाल सिकरवार नीटू ने भी लोकसभा चुनाव हार का बदला लेने के लिए केंप किया था।एक बार फिर कांग्रेस ने बता दिया है कि अगर एकजुटता से आज भी परिणाम बदलने में सक्षम हैं।
यह चुनाव रामनिवास रावत की राजनीति पर पूर्णविराम लगाने वाला साबित हो सकता है।क्योंकि अब कांग्रेस उनकी वापसी फिलहाल असंभव है और भाजपा में इससे अधिक कुछ और मिलने की उम्मीद न के बराबर है। छह बार के विधायक रावत कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
पिछले चुनाव में भाजपा की लहर के बाद भी रावत ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। 1998 और 2018 के चुनाव छोड़ दें तो 1990 से 2023 तक आठ चुनाव में 6 बार कांग्रेस ने विजयपुर सीट पर जीत दर्ज की थी।