MP Bijli Company: बीट से बार-बार गुल होती थी बिजली, काम कर गया पावर ट्रांसमिशन कंपनी का प्रयोग, पक्षियों की जान भी बच रही
मध्य प्रदेश में पावर ट्रांसमिशन कंपनी का एक अहम प्रयोग सफल रहा है। इससे एक साथ कई मकसद पूरे हो रहे हैं। पक्षियों के कारण बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होगी। साथ ही बेजुबान पक्षियों को भी बचाया जा सकेगा। नईदुनिया की स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए बिजली कंपनी की सफलता की पूरी कहानी।
By Anoop Bhargav
Publish Date: Sun, 01 Sep 2024 08:19:42 AM (IST)
Updated Date: Sun, 01 Sep 2024 08:20:25 AM (IST)
सफलता प्रयोग के बाद अब प्रदेश भर के 80 हजार टावरों पर इस तकनीक का उपयोग होगा। HighLights
- ट्रांसमिशन लाइनों में निर्बाध विद्युत प्रवाह के लिए बिजली कंपनी का प्रयोग सफल
- पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 20 हजार टावर पर लगाए बर्ड प्रिवेंटर, गार्ड और फ्लेपर
- बीट से होने वाले ट्रिपिंग और फाल्ट तो रुके ही, पक्षियों की मौत के मामले भी घरे
अनूप भार्गव, नईदुनिया ग्वालियर। मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी प्रदेश भर में ट्रांसमिशन लाइन पर पक्षियों की बीट से होने वाली ट्रिपिंग (बिजली की आपूर्ति में रुकावट) को बर्ड प्रिवेंटर, गार्ड और फ्लेपर जैसे उपकरणों से रोकने में कामयाब हो रही है। लाइनों से टकराने के कारण होने वाली पक्षियों की मौत भी रुकी है। कंपनी ने प्रदेश के 20 हजार टावरों पर इस तकनीक का प्रयोग पहली बार किया है, जिससे बिजली कंपनी ने ट्रिपिंग रोककर बिजली सप्लाई को सुचारू रखा है।
ट्रांसमिशन लाइनों पर बीट करने के कारण लाइन ट्रिप होने के साथ इंसुलेटर बर्स्ट हो जाते हैं। इससे बिजली गुल हो जाती है। लाइनों के संधारण कार्य में समय और श्रम लगता था। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ट्रांसमिशन कंपनी कुछ सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग किया। जिससे ट्रिपिंग व फाल्ट से निजात मिल गई है।
ऐसे काम करते हैं उपकरण
- बर्ड गार्ड: नुकीले होते हैं जो टावर में लगाए जाते हैं। इससे पक्षियों को बैठने की जगह ना मिले। सफलता के बाद अब प्रदेश भर के 80 हजार टावरों पर इन तकनीक का उपयोग होगा।
- बर्ड प्रिवेंटर: एक प्रकार की गोल प्लेट है, जो ट्रांसमिशन लाइन के इंसुलेटर के टॉप में लगाई जाती है। इससे पक्षी यदि बीट करें, तो वह इंसुलेटर में न गिरकर जमीन पर चली जाती है।
- बर्ड फ्लेपर: यह लाइनों में लगाए जाते हैं, जिससे पक्षी लाइनों से न टकराये और सुरक्षित दूरी बनाए रखें। यह रात के समय चमकते हैं। इससे पक्षी और लाइन दोनों का बचाव होता है।
पक्षियों की मौत में भी कमी आई
दुर्घटनाओं और लाइनों में आने वाले व्यवधान को रोकने के लिए कंपनी ने इस तरह के सुरक्षा इंतजाम किए हैं। इससे ट्रिपिंग व फाल्ट में कमी के साथ पर्यावरण संरक्षण में मदद मिली है। पक्षियों की मौत की घटनाओं में भी कमी आई है। - सुनील तिवारी, एमडी, मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी