राकेश वर्मा. ग्वालियर। करवाचौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए सखी की तरह साथ निभाती है,दूध से बनी मिठाई रबड़ी। करवाचौथ का उपवास रखने वाली महिलाओं को दिन भर निर्जला रहकर व्रत को पूर्ण करना होता है। इस मौके पर दूध से बनी शुद्ध रबड़ी को महिलाएं खाती हैं। इसको खाने से प्यास कम लगती है। इस खास मौके पर शहर में शुद्ध व स्वादिष्ट रबड़ी बनाने के लिए मशहूर मिठाई की दुकान बंशी स्वीट्स और भोलेनाथ मिष्ठान भंडार पर तैयारियां शुरू हो गई हैं।
75वर्ष पूर्व लोहिया बाजार में स्व.वंशीधर गुप्ता ने रबड़ी का व्यवसाय शुरू किया था,जिसे उनके पुत्र शिवकुमार गुप्ता और उनके पोते अनूप गुप्ता ने आगे बढ़ाते हुए शहरवासियों को गाय के दूध से बनी लच्छेदार रबड़ी उपलब्ध कराने का क्रम जारी रखा है। संचालक अनूप गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे यहां की गाय के दूध से बनी लच्छेदार केसरिया रबड़ी के स्वाद का कोई तोड़ नहीं है।
लच्छेदार और केसरिया रंग की रबड़ी है खासियत
संचालक अनूप गुप्ता बताते हैं कि गाय के दूध में इलायची और शक्कर मिलाकर कढ़ाही में घंटों तक दूध को उबाला जाता है। दूध का रंग केसरिया होने के बाद उसके लच्छों को कड़ाही से उतारते जाते हैं। लच्छों को ठंडा करने के बाद तैयार हो जाती है स्वादिष्ट रबड़ी।
शहर में रबड़ी और मावामिश्री के स्वाद के लिए मोची ओली स्थित 70वर्ष पुरानी दुकान भोलेनाथ मिष्ठान भंडार भी मशहूर है।स्व.रामचंद्र कुशवाह ने सराफा बाजार में हाथ ठेले पर रबड़ी और मावामिश्री बनाकर बेचना शुरू किया था। इसके बाद मुकेश सिंह राजावत ने दुकान खोलकर व्यवसाय शुरू किया। वर्तमान में तीसरी पीढ़ी के प्रदीप सिंह राजावत यह व्यवसाय कर रहे हैं।
करवाचौथ पर बढ़ती है रबड़ी और मावा मिश्री की बिक्री
संचालक प्रदीप सिंह राजावत ने जानकारी देते हुए बताया कि सामान्यत रबड़ी की बिक्री अन्य दिनों की अपेक्षा करवाचौथ के एक दिन पहले ज्यादा होती है। इसके लिए पहले से तैयारी करके रखते हैं,ताकि सभी को शुद्ध और स्वादिष्ट मिठाई रबड़ी उपलब्ध करा सकें।
शुद्धता का रखते हैं ध्यान
रबड़ी व मावामिश्री मिठाई का उपयोग करवाचौथ के व्रत के लिए किया जाता है इसलिए स्वाद के साथ-साथ शुद्धता का ध्यान रखकर इसे तैयार किया जाता है।दूध,इलायची और शक्कर से तैयार किया जाता है।इसमें स्वाद के लिए किसी तरह का रंग या फ्लेवर का उपयोग नहीं करते हैं। यह 400 से 460 रूपये प्रतिकिलो के भाव से लोगों को उपलब्ध कराते हैं।इस बार भी महिलाओं के लिए रबड़ी बनाने की व्यवस्था अलग से की गई है।