नईदुनिया प्रतिनिधि. ग्वालियर। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महान आर्यमन की अगुवाई में नौ दिन की क्रिकेट दावत (मध्यप्रदेश लीग 'सिधिया कप) का खास हो या आम सबने खूब लुत्फ उठाया। इतना ही नहीं लाखों क्रिकेट लवर ने टेलीविजन और सवा लाख से ऊपर लोगों ने आनलाइन स्कोरिंग देखकर नौ दिन (15-23 जून) तक टकटकी लगाए रहे।
इतनी शानदार दावत के अंतिम दिन ऐसा क्यों हुआ कि क्रिकेट लवर उग्र हो गए। खूबसूरत स्टेडियम को भी देर रात तक नुकसान पहुंचाने में पीछे नहीं हटे। मैच शुरू होने के एक घंटे बाद तो इंटरनेट मीडिया पर 2018 की दो अप्रैल याद दिला दी।
सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ, जिस क्रिकेट लवर को खुद महान आर्यमन हर माध्यम से आम जनता को स्टेडियम बुला रहे थे तो वे फाइनल मैच में आए तो मैच देखने के जगह आक्रोशित हो गए। ग्वालियर की क्रिकेट दावत को खराब करने की साजिश की बू को लेकर नईदुनिया ने आउटफील्ड (आयोजकों के बीच) में जाकर जाना। इसमें सामने आया लीग दो एजेंसियों के बीच में फंस गई। पहली लीग की ठेकेदार जीस वर्ल्ड कास्ट कंपनी और दूसरी स्टेडियम की मालिक मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन।
ग्वालियर डिवीजन को नजर अंदाज कर इनके रोज के नए- नए फरमान फाइनल वाले मैच के दिन बम की तरह फूट गए। इसका खामियाजा क्रिकेट लवर को डंडे, पत्धर खाकर भुगतना पड़ा। लीग के मध्य तो ये हालात देखने को मिले वीआइआइपी साउथ पवेलियन में बाहरी सुरक्षा कर्मियों की बदतमीजी पर ग्वालियर डिवीजन को व्यवस्था संभालना पड़ी, जबकि इंदौर (एमपीसीए) वाले अनजान बने सुनते और देखते दिखे।
सूत्र बताते हैं- दो दिन पहले तो एमपीसीए के सीइओ रोहित पंडित स्वयं स्टेडियम खराब होने का अंदेशा जताते हुए बाहर और अंदर पाबंदियां लगाने से बाज नहीं आए। ऐसा क्यों हुआ या तो आने वाला समय बताएगा कि शहर को जब अंतरराष्ट्रीय मैच की मेजबानी मिलने का अवसर मिलेगा तो क्या इन बातों को देखा जाएगा। या नहीं। अगर देखा गया तो सबकुछ होने के बाद ग्वालियर मैच और शहर के विकास को दूर से देखता नजर आएगा।
भारतीय सेना की भर्ती रैली। 10 साल पहले 2014 में ग्वालियर में हुई थी। उस समय अभ्यर्थियों ने यहां उपद्रव किया था। पत्थरबाजी से लेकर आम लोगों से लेकर पुलिस तक पर हमला किया। गाड़ियों में आग लगाई, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद ग्वालियर को सेना द्वारा ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। यहां शारीरिक परीक्षा होना बंद हो गई, जिसका नुकसान अंचल के उन अभ्यर्थियों को हुआ, जो आर्थिक रूप से कमजोर थे और ग्रामीण पृष्ठभूमि से थे। इन्हें परीक्षा में शामिल होने सैंकड़ों किलोमीटर दूर जाना पड़ता था, किराये के पैसे न होने पर कई शामिल ही नहीं हो पाते थे। अब 10 साल बाद यह मौका मिला है, लेकिन सेना से लेकर प्रशासन तक अब भी पशोपेश में है। इसलिए कड़ी सुरक्षा के बीच परीक्षा कराने की तैयारी है।
पंजाबी सिंगर गुरु रंधावा की म्यूजिकल नाइट ग्वालियर के जेयू मैदान में 18 दिसंबर 2018 को हुई थी। इस म्यूजिकल नाइट में जब मैदान फुल हो गया तो प्रवेश रोका गया। इसके बाद भीड़ गुस्से में आ गई। लोगों ने जबरन घुसने का प्रयास किया, जब रोका तो मारपीट शुरू हो गई। इसके बाद पथराव हुआ। जमकर तोड़फोड़ हुई। पुलिस को लाठी चलानी पड़ी थी। इसमें कई लोग घायल हुए थे। दो घंटे तक यहां हंगामा हुआ था। गुरु रंधावा को चार गानों की परफार्मेंस के बाद ही लौटना पड़ा था। आयोजन पूरा तक नहीं हो पाया था। यह आयोजन भी स्पोर्टस टूर्नामेंट के तहत हुआ था। स्पोर्ट्स एसोसियेशन आफ मिक्सड मार्शल आर्ट्स द्वारा आयोजित अमेचर फाइट चैंपियंस लीग के तहत यह म्यूजिकल नाइट हुई थी।
भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच फरवरी 2010 में ग्वालियर के रूपसिंह स्टेडियम में क्रिकेट मैच हुआ था। इस दौरान स्टेडियम के बाहर भीड़ ने उपद्रव किया था। भीड़ ने जबरन गेट के अंदर से घुसने का प्रयास किया था। इसके बाद से कोई इंटरनेशनल क्रिकेट मैच ग्वालियर को नहीं मिला। इसी मैच में सचिन तेंदुलकर ने दोहरा शतक जमाया था।
एमपीएल देश के बड़े टूर्नामेंट में शामिल हुआ है। यह बड़ी सफलता है। इस टूर्नामेंट से ग्वालियर का भी नाम पूरे देश में हुआ। भविष्य में बड़े टूर्नामेंट के मैच, आइपीएल के मैच भी मिलेंगे। इस तरह के उपद्रव से छवि खराब होती है। हमारी ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई थी। लोग उस गेट से प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे, जहां से वीआइपी और पास वाले लोगों को प्रवेश दिया जा रहा था। रोका तो हंगामा कर दिया और पथराव चालू कर दिया।
संजय आहूजा, सचिव, जीडीसीए।