मोटा अनाज देता शरीर को आवश्यक पोषक तत्व,प्रधानमंत्री ने कहा विदेशी पर्यटकों को भी परोसें मोटे अनाज का भोजन
ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। बदलती जीवन शैली का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। बच्चों से लेकर बड़े घर से अधिक बाहर होटल, रेस्टोरेेंट पर बना भोजन पसंद बनता जा रहा है जो स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। बिगड़ती सेहत को फिर से दुरस्त बनाने के लिए शासन कृषि पर विशेष ध्यान दे रही है। यही कारण है कि अब कृषि के क्षेत्र में जैविक खेती को प्रमोट किया जा रहा है। साथ ही मोटे अनाज को भोजन में शामिल करने के लिए शासन स्तर से प्रयास तेज किए जा रहे हैं।
पिछले महीने में श्योपुर के कूनों में आमजन को संबोधित करते हुए खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोटे अनाज से तैयार भोजन विदेशी पर्यटकों को पराेसने की वकालत की। क्योंकि हमारा परंपरागत भोजन मोटे अनाज ज्वार, बाजरा, मक्का से ही तैयार होता था। इनकी रोटी हमारी सेहत को मजबूत बनाता है। मोटा अनाज का सेवन पाचन तंत्र केा मजबूत करता है। जिससे कई बीमारियां स्वत: ही समाप्त हो जाती है या फिर आती ही नहीं है। कृषि विभाग नए नए ओर अच्छे बीज किसानों के बीच में ज्वार,बाजरा व मक्का के ला रहा है । मोटे अनाज के सेवन से कुपोषण की समस्या नहीं रहती क्योंकि इससे सभी पोषक तत्व शरीर को मिल जाते हैं। मोटा आनाज की पैदावार बढ़ने से भुखमरी की समस्या समाप्त होगी। जिसको लेकर वैज्ञानिक बेहतर उत्पादन वाले बीजों को तैयार कर किसानो के बीच पहुंचा रहे हैं। 16 अक्टूबर को खाद्य दिवस के रुप में मनाया जाता है जिससे कुपोषण व भुखमरी के लिए लोगों में जागरुकता फैलाई जा सके। गौरतलब है कि हमारे देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में कुपोषण के मामले बढ़ रहे हैं। इसलिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। एक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर खाना बहुत अहम है, लेकिन आज भी हजारों लोग कुपोषण की वजह से अपनी जान गवां रहे हैं। ऐसे में खाने को हर व्यक्ति का मौलिक और बुनियादी अधिकार माना जाता है. इसलिए करीब 150 देश मिलकर यह दिवस मनाते हैं।