नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। आइपीएस ग्रुप आफ कालेज की बस ने तानसेन नगर रोड पर बीटीआइ स्कूल के 14 वर्षीय छात्र भविष्य पुत्र नंदराम वर्मा को रौंदकर मार डाला। छात्र गुरुवार दोपहर करीब 2.30 बजे अपने दोस्त हिमांशु के साथ साइकिल से जा रहा था। छात्र सड़क किनारे चल रहा था, लेकिन बस एमपी07 पी 0168 के चालक ने लापरवाही से बस मोड़ी और बस की चपेट में मासूम भविष्य आ गया। बस का चालक करीब 10 मीटर तक उसे घसीटता ले गया। पीछे बैठा हिमांशु बाल-बाल बच गया।
जब राहगीरों ने शोर मचाया तब चालक ने ब्रेक लगाए, तब तक मासूम भविष्य गंभीर रूप से घायल हो चुका था। यह देख बस चालक यहां से बस छोड़कर भाग गया। राहगीरों ने छात्र भविष्य की मां को फोन लगाया, फिर पुलिस को खबर की। उसे जयारोग्य अस्पताल के ट्रामा सेंटर ले जाया गया। जहां उसकी हालत बिगड़ती गई। आखिर 17 घंटे बाद शुक्रवार सुबह छात्र ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया। दिल दहला देने वाली इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। जिसने भी फुटेज में घटना देखी, उसकी रूह कांप गई। बस चालक की लापरवाही से घर का इकलौता चिराग बुझ गया।
भविष्य अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। जिस बस की टक्कर से छात्र की मौत हुई, उस बस में कालेज के छात्र भी सवार थे। चीखता-गिड़गिड़ाता रहा छात्र: यह हादसा तानसेन नगर स्थित आरपी कालोनी के मोड़ पर हुआ। बस चालक ने बाईं ओर लापरवाही से बस को मोड़ा। छात्र चपेट में आया और उसका दोस्त दूर जा गिरा। साइकल के साथ छात्र भविष्य घिसटता जा रहा था। वह चीखा, गिड़गिड़ाया, बचने की कोशिश भी की, लेकिन बस के टायर की चपेट में आ गया।
चालक भी आगे बढ़ता गया। जब राहगीर शोर मचाने लगे और एक बाइक सवार बिलकुल आगे आ गया। तब उसे होश आया और उसने ब्रेक मारे। खुद मजदूरी कर बच्चों को बेहतर शिक्षा दे रहे थे नंदराम, बोले- दुनिया उजड़ गई: नंदराम और उनकी पत्नी बेसुध हैं। उनकी दो बेटियां और इकलौता बेटा था। बेटियों का नाम प्राची और आकांक्षा है। बेटा भविष्य सबसे छोटा था। नंदराम खुद मजदूरी करते हैं, लेकिन बच्चों को बेहतर शिक्षा दे रहे थे।
प्राची बीएससी कर रही है। नंदराम बोले- उनके बच्चे पढ़ लिखकर अफसर बनें, यह चाहत थी। भविष्य इकलौता बेटा था, इसलिए सपना था कि वह बड़ा अफसर बनकर नाम रोशन करेगा। लेकिन उनकी दुनिया ही उजड़ गई।
चालक ने टक्कर मारी, पहली लापरवाही तो यहां रही। फिर दूसरी लापरवाही और समाने आई। टक्कर मारने के बाद वह बस छोड़कर भाग निकला। बस चालक को यहां भी अपनी गलती का अहसास नहीं हुआ। वह यहां से बच्चे को अस्पताल लेकर भागता तो शायद बच्चे को समय पर इलाज मिलने की वजह से उसकी जान बच जाती। भविष्य की बहन प्राची वर्मा ने बताया कि जब भविष्य को अस्पताल ले गए तो शाम को चालक अपने एक दोस्त के साथ आया। वह बोला कि इलाज का खर्चा देगा। फिर अचानक भविष्य की हालत बिगड़ने लगी तो अस्पताल से भाग गया। पहले बोल रहा था कि रिपोर्ट न करें, फिर भाग गया।
परिवहन विभाग: बसों की फिटनेस से लेकर स्कूल, कालेज की बसों के चालकों का बौद्धिक स्तर, इनकी नजर की जांच, इनकी ड्राइविंग स्किल कैसी है। इसकी जांच कभी परिवहन विभाग द्वारा नहीं की जाती। इसलिए यह हादसे होते हैं। परिवहन विभाग द्वारा अगर समय-समय पर जांच की जाए तो इस तरह के हादसे न हों। ट्रैफिक पुलिस: ट्रैफिक पुलिस द्वारा भी बसों और चालकों की जांच नहीं की जाती। जब हादसा होता है, तभी सुध आती है।
नंदराम और उनकी पत्नी बेसुध हैं। उनकी दो बेटियां और इकलौता बेटा था। बेटियां का नाम प्राची और आकांक्षा है। बेटा भविष्य सबसे छोटा था। नंदराम खुद मजदूरी करते हैं, लेकिन बच्चों को बेहतर शिक्षा दे रहे थे। प्राची बीएससी कर रही है। नंदराम बोले- उनके बच्चे पढ़ लिखकर अफसर बने यह चाहत थी। भविष्य इकलौता बेटा था, इसलिए सपना था, वह बड़ा अफसर बन रोशन करेगा लेकिन दुनिया ही उजड़ गई।