Hindi Bhavan वरुण शर्मा.ग्वालियर। देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी का ग्वालियर में हिंदी भवन का सपना अब जल्द पूरा होगा। वर्ष 2004 में इसके लिए सिटी सेंटर में टेनिस कोर्ट के पास जमीन आवंटित हुई थी और 2018 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सात करोड़ की राशि स्वीकृत की थी। इसके बाद सरकार गई तो मामला अटक गया था। अब सरकार ने पूर्व से स्वीकृत सात करोड़ की राशि में दो करोड़ रुपये की पहली किश्त जारी कर दी है। 2007 में बनाए गए डिजायन को भी बदला जा रहा है। हिंदी सहित अन्य भाषाओं पर शोध संस्थान के रूप में बनने वाला यह हिंदी भवन 2025 में बनकर तैयार हो जाएगा। यहां बता दें, अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति को बनाए रखने के लिए ग्वालियर के सिटी सेंटर में टेनिस कोर्ट से सटी 30 हजार वर्ग फीट जमीन पर हिंदी साहित्य भवन बनाने का निर्णय लिया गया था। जीवाजी यूनिवर्सिटी की यह जमीन थी, जिसे जेयू से लेकर हिंदी साहित्य भवन के लिए रिजर्व कर दिया गया।
अटलजी के रहते हुए उनके निर्देश पर यह पूरी कवायद हुई और पूरा प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। 2018 में सात करोड़ की राशि स्वीकृत होने के बाद इसके प्रोजेक्ट के लिए प्रयास नहीं हुए और अब जाकर इस स्वीकृत राशि की पहली किश्त जारी हो गई है। शिक्षा व शोध का संस्थान बनेगा: हिंदी साहित्य भवन का अब जो स्वरूप तैयार किया जा रहा है, वह प्रदेश में हिंदी सहित अन्य भाषाओं को समझने और शोध के लिए भी होगा। अटलजी के हिंदी को लेकर योगदान का महत्व भी बताया जाएगा। हिंदी पर शोध का संस्थान आकर्षक रूप से तैयार होगा। इसका डिजायन फायनल कर ले-आउट को तैयार किया जाएगा। अभी वर्तमान में स्थल पर मध्य भारत हिंदी साहित्य सभा का बोर्ड लगा हुआ है।
अटलजी ने कहा था-क्या मेरे मरने के बाद बनेगा हिंदी भवन विदेश मंत्री रहने के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में हिंदी में भाषण देकर राष्ट्रभाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया था। हिंदी के प्रति उनके प्रेम को उनके इस उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं। उनका सपना था ग्वालियर में हिंदी भवन का निर्माण हो। यहां ग्वालियर आगमन के दौरान हिंदी साहित्य भवन के लिए उन्होंने जीते-जी काफी प्रयास किए। ग्वालियर के अपने साहित्यकार साथियों से उन्होंने यहां तक कहा कि च्क्या मेरे मरने के बाद बनेगा हिंदी भवनज्। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि उनके निधन के साल भर बीत जाने के बाद हिंदी भवन के लिए आवंटित भूमि पर घास-फूस नजर आती है।
अटलजी का सपना था कि हिंदी साहित्य भवन बने। इसको लेकर सिटी सेंटर में जमीन आवंटित है। सात करोड़ की स्वीकृत राशि में से पहली किश्त दो करोड़ के रूप में जारी हो गई है। अब नया डिजायन तैयार किया जाएगा। क्योंकि पहले जो कल्पना की गई थी, वह 2007 के अनुसार थी। अब नया डिजायन बनेगा और इसके बाद टेंडर प्रक्रिया होगी। 2025 में यह तैयार हो जाएगा।
कुमार संजीव, अध्यक्ष, मध्य भारत हिंदी साहित्य सभा