हाई कोर्ट ने माना बदले की भावना से दर्ज कराया था छेड़छाड़ का मुकदमा, चार्जशीट निरस्त
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उक्त मामला पूरी तरह बदले की भावना में दर्ज करवाया गया है। इसलिए मामले की चार्जशीट को निरस्त किया जाए और झूठा मुकदमा दर्ज करवाने वाले आरोपितों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।
By Vikram Singh Tomar
Publish Date: Fri, 08 Nov 2024 12:26:32 PM (IST)
Updated Date: Fri, 08 Nov 2024 12:26:32 PM (IST)
हाई कोर्ट ने माना बदले की भावना से दर्ज कराया था छेड़छाड़ का मुकदमा। HighLights
- मारपीट की शिकायत की तो पड़ोसी ने अपनी पत्नी से लगवाया छेडछाड का मामला
- झूठा आरोप लगाने वाली महिला पति और सास के खिलाफ प्रकरण दर्ज
- राजीनामा नहीं किया तो दवाब बनाने के लिए दर्ज करा दिया छेड़छाड़ का मामला
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। छेड़छाड़ का झूठा मामला दर्ज कराने वाली महिला कुसुम त्रिपाठी सहित उसके पति किशन कुमार त्रिपाठी और सास वंदना त्रिपाठी के खिलाफ न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी विवेक सिंह राजन ने प्रकरण दर्ज कर सम्मन द्वारा न्यायालय में तलब किया है।
इन्होंने आपसी रंजिश के चलते बदले की भावना से पड़ोस में रहने वाले आलोक मिश्रा पर छेड़छाड़ का फर्जी मुकदमा दर्ज करवाया था। हाईकोर्ट में उक्त मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि आरोप निराधार है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उक्त मामला पूरी तरह बदले की भावना में दर्ज करवाया गया है। इसलिए मामले की चार्जशीट को निरस्त किया जाए और झूठा मुकदमा दर्ज करवाने वाले आरोपितों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।
शिव निवारा कालोनी महाराजपुरा निवासी आलोक मिश्रा के अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने बताया कि उसके पड़ोस में रहने वाले किशन कुमार त्रिपाठी ने 14 फरवरी 2021 को किसी आपसी विवाद के चलते उसकी बुरी तरह से मारपीट की थी। पीड़ित की शिकायत पर त्रिपाठी पर केस दर्ज हुआ और उसे सजा हुई। इस मामले में राजीनामा करने के लिए किशन कुमार त्रिपाठी ने शिकायतकर्ता पर बहुत दबाव बनाया, लेकिन जब वह नहीं माना तो आरोपित ने अपनी पत्नी कुसुम त्रिपाठी से उसके खिलाफ छेड़छाड़ का झूठा मामला दर्ज करवा दिया। आलोक मिश्रा के खिलाफ चालान प्रस्तुत किया जिसे हाईकोर्ट खंडपीठ ग्वालियर में चुनौती दी गई।
40 कालेजों के अकाउंट आडिट के मामले में हाई कोर्ट ने बरकरार रखा स्टे का आदेश
- जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई अकाउंट आडिट के लिए 40 कालेजों की सूची का मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा। कालेज संचालकों ने आपत्ति दर्ज करवाते हुए उक्त आदेश को चुनौती दी है। जिस पर हाई कोर्ट की ओर से स्टे मिल गया था लेकिन आडिट विभाग ने उस स्टे को हटाने के लिए हाई कोर्ट में आवेदन पेश किया। उक्त आवेदन पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने उस आवेदन को खारिज कर दिया। साथ ही जीवाजी विश्वविद्यालय को इस मामले में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
- बता दें कि आडिट विभाग और जीवाजी विश्वविद्यालय ने अंचल के 40 कालेजों को नोटिस जारी करते हुए उनसे अकाउंट की रिपोर्ट तैयार रखने और उसका आडिट किए जाने की बात कही थी।
- इस आदेश पर आपत्ति जताते हुए अशासकीय कालेज संघ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। उन्होंने बताया कि वह अशासकीय कालेज हैं जीवाजी विश्वविद्यालय उनका एकाउंट आडिट नहीं कर सकता है। हाई कोर्ट ने सुनवाई में इस आदेश को स्टे कर दिया था।