नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। सरकारी स्कूलों के भवनों का बुरा हाल है। जिले के 500 ऐसे भवन है जिन्हें तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है, लेकिन शासन स्तर से इन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जो किसी समय बड़े हादसे का कारण बन सकता है, क्योंकि इन स्कूलों की दीवारों में दरारें हैं तो किसी की छत से पानी टपक रहा है। इसके बाद भी इन जर्जर भवन में कक्षाएं संचालित हो रही हैं और अफसर मौन हैं। यह हालत शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक बनी हुई है। जर्जर भवन के संधारण के लिए भोपाल स्तर पर प्रस्ताव भी भेजे गए, लेकिन शासन स्तर से कभी ध्यान नहीं दिया गया। शासन की इस तरह की अनदेखी हादसे का कारण भी बन सकती है।
सरकारी स्कूलों की बात करें तो ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों की सबसे बुरी स्थिति है। कई भवन की दीवारें दरकीं हुई हैं तो कुछ की छत से पानी टपक रहा है। हालांकि शहर में भी करीब 50 ऐसे स्कूल हैं जिनकी हालत खराब है।
प्राथमिक विद्यालय छत्री बाजार
छत्री बाजार में संचालित प्राथमिक विद्यालय का भवन वर्ष 2010 से पहले बना था। इस भवन की छत से पानी टपकता है और दीवारों में दरार आ चुकी है। इसके बाद भी इस भवन में नियमित कक्षाएं लगाई जा रही हैं। पर बुरी स्थिति वर्षा के मौसम में बनती है जब वर्षा का पानी छत से टपकता है।
सिंधिया नगर में संचालित हो रहे प्राथमिक विद्यालय के और भी बुरे हाल है। शाला का भवन 2010 से पहले का बना हुआ है, इस की छत से प्लास्टर ही झर रहा है। वर्षा के मौसम में छत से पानी के साथ प्लास्टर भी नीचे आ जाता है। टूटी दीवारों में सीलन बैठ रही है।
मेवाती मोहल्ला में संचालित हो रहा मिडिल स्कूल वर्षा 2000 से पहले का बना है। इसकी छत और दीवारें जर्जर हालत में है। छत से पानी टपकता और दीवारों में सीलन बैठने के साथ वह दरक भी रहीं हैं। इसके बाद भी अफसर भवन संधारण पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सौंजना प्राथमिक विद्यालय का भवन तैयार हुए दस साल का वक्त ही बीता होगा, लेकिन भवन की गुणवत्ता इतनी खराब है कि उसकी छत से पानी टपक रहा है। इसके कारण फर्स पर बैठने के लिए छात्रों के पास स्थान नहीं होता। प्राथमिक विद्यालय में शासन की ओर से फर्नीचर मिला नहीं है जिसके कारण विद्यार्थी वर्षा के मौसम में काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं।
जिले में प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के भवन की बुरी हालत है, जो भवन 2010 से पहले के बने है उन सभी की मरम्मत कराने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल वार्षिक कार्य योजना में प्रस्ताव भेजा जाता है, लेकिन भोपाल के अफसर इस तरह के प्रस्ताव पर ध्यान नहीं देते, जिसके कारण स्कूल के भवन की मरम्मत के लिए विभाग के पास फंड की उपलब्धता नहीं हो पाती। ऐसे में जर्जर भवनों में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं।
काफी सारे स्कूल ऐसे है जिनकी मरम्मत कराने की आवश्यकता है। इसको लेकर समय समय पर शासन को अवगत कराते हुए प्रस्ताव भी भेजे गए। इस बार भी प्रस्ताव गया है यदि उसे मंजूरी मिली तो खराब स्थिति में पहुंचने वाले सभी भवनों की मरम्मत कराई जाएगी।
-रविन्द्र सिंह तोमर, डीपीसी।