Hanuman Janmotsav 2023: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। ज्ञान, बल, बुद्वि और विद्या से भरपूर पवनपुत्र हनुमान। शक्तिशाली होने के बाद भी विनम्र और कुशल प्रबंधन करने वाले संकटमोचक हर मुश्किल घड़ी में बल देते हैं। कठिनाईयों से निकलकर कैसे आगे बढ़ा जाता है, यह हनुमानजी से सीख मिलती है। ऐसे एक दो नहीं अनगित उदाहरण हैं जो मुश्किल समय हो या असमंजस, ऊर्जा और बल जब-जब हनुमानजी का स्मरण किया तो अंधेरे में रोशनी मिली। कार्य कुशलता का गुण, नीति कुशलता, लीडरशिप हो या दूरदर्शिता, सब में कुशल हैं हनुमान जी। हनुमानजी से प्रेरणा लेने वाले, सीखकर आगे बढ़ने वाले और अपने जीवन में हनुमान का अनुसरण करने वाले ऐसे शहर के प्रतिष्ठित लोगों के अनुभव, हनुमानजी के प्रति उनका समर्पण हनुमान जन्मोत्सव पर हम आपसे साझा कर रहे हैं। साथ ही हनुमानजी से अपने जीवन में वह किस तरह कनेक्ट हैं और कैसे पल-पल बल उन्हें मिला।
आराध्य हनुमानजी की मूर्ति को आकार देने की इच्छा जागृत हुई तो एक वर्ष के भीतर ही उनकी मूर्ति बनाने का पहला अवसर मिल गया। एक साक्षात्कार में मेरी इच्छा के बारे में पूछा गया तो मैंने अपने आराध्य को मूर्तिरूप में प्रकट करने की इच्छा जाहिर की। 15 वर्ष पूर्व हनुमानजी की 21 फीट ऊंची फायबर की खड़ी हुई मूर्ति बनाई जो मालनपुर में स्थापित हुई। इसके बाद दूसरी मूर्ति दिल्ली के करोलबाग और हनुमानजी के कीर्तन करते हुए मंत्रमुग्ध करने वाली मूर्ति इंदौर के पितृ पर्वत पर स्थापित की गई। यह मूर्ति 65 फीट ऊंची, 50 फीट चौड़ी और 150 टन वजनी है। यह हिन्दुस्तान की अष्टधातु से बनाई गई एक मात्र हनुमानजी की मूर्ति है। कोई भी काम करने से पहले मैं अपने आराध्य हनुमानजी का ही ध्यान करता हूं। यही कारण है कि कोई भी असाधारण कार्य करने में मुझे हमेशा सफलता मिली है।
प्रभात राय, मूर्तिकार
हनुमानजी की मूर्ति के सामने मिलता है मुझे आत्मबल
खेड़ापति मंदिर में जब मैं हनुमानजी की मूर्ति के सामने खड़ा होता हूं तो मुझे आत्मबल मिलता है। मुझे ऐसा लगता है कि मैं कोई भी कार्य बड़ी ही आसानी से कर सकता हूं या यूं कहूं कि सेल्फ कांफीडेंस दोगुना हो जाता है। जब मैं 21 साल का था और अपना खुद का कारोबार करने का मन में विचार किया तो समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं और कैसे करूं। मैंने दुकान डालने का विचार किया और खेड़ापति मंदिर में हनुमानजी के दर्शन करने जा पहुंचा। वहां पर मुझे ऐसा लगा कि मैंने जो निर्णय लिया है वह उचित है और मैं उसे कर सकता हूं। इसके बाद मैंने दुकान डाली, फिर मैं आटोमोबाइल सेक्टर में आ गया, लेकिन मेरा नियम हर मंगलवार को खेड़ापति मंदिर जाने का बना रहा, क्योंकि वहां से मुझे कार्य करने की निष्ठा व शक्ति दोनों ही मिलती थी। हनुमानजी की तस्वीर मैं हमेशा अपने साथ रखता हूं।
चरणजीत नागपाल, संचालक, प्रेम मोटर्स
हनुमानजी को अनुशासन का देवता कहा जाता है। यदि कोई उनके जैसे अनुशासन का पालन करता है, तो व्यक्ति तरक्की की ऊंचाई पर पहुंच सकता है। मैंने अपने जीवन में हनुमानजी के अनुशासन का पालन किया। हर समय उनके अनुशासन को ध्यान में रखता हूं। जब हनुमानजी हिमालय पर संजीवनी लेने गए थे, तो उन्हें संजीवन समझ नहीं आई तो वे पूरे पर्वत को ही उठा लाए। रास्ते में उनके ऊपर भरतजी ने बांण चलाकर घायल कर दिया था। जब वे घायल हो गए तो भरतजी ने कहा कि मेरे बांण पर बैठ जाओ, जिससे समय पर संजीवनी लेकर पहुंच जाओगे। घायल होने के बाद भी वह खुद से वहां पहुंचे। मैं इसी अनुशासन का अनुशरण करता हूं। हमेशा अपने पक्षकार के केस के लिए मैंने इस तरह के अनुशासन का पालन किया। अपने घर में हनुमानजी का मंदिर बनाया है। उनकी पूजा से ही अपने कार्य शुरू करते हैं।
एमपीएस रघुवंशी, अतिरिक्त महाधिवक्ता