Gwalior Tunkar Column News: विजय सिंह राठौर, ग्वालियर नईदुनिया। वाह महाराज वाह...मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया रहे राजा साहब (दिग्विजय सिंह) के मुंह से जैसे ही यह शब्द फूटे, ग्वालियर के महाराज (ज्योतिरादित्य सिंधिया) ने शिष्टाचार निभाते हुए आशीर्वाद मांग लिया, लेकिन इस छोटे से संवाद को सुन देश की सबसे बड़ी पंचायत के सभी सदस्य खिलखिला उठे। कहने वाले कहां चूकते हैं कि उच्च सदन (राज्यसभा) में हुआ राजा-महाराजा का यह सूक्ष्म एवं इस तंजात्मक संवाद सियासत की तमाम कुटीलताओं से लवरेज था। शायद यही कारण है कि छोटा व मामूली सा लगने वाला संवाद देश की बड़ी सुर्खी बना। इस संवाद के बहाने मध्यप्रदेश की सियासत पर संसद भवन ठहाकों से गूंज गया। राजासाहब जहां महाराज के मुंह हुई आलोचना तुरंत नहीं पचा सके। वहीं कृषि कानून को लेकर सिंधिया ने जिस तरह कांग्रेस की आलोचना की, उसके इनाम के तौर पर प्रधानमंत्री ने स्वयं महाराज की तारीफ कर दी।
सिंधिया समर्थक का तमगा हटाने की जद्दोजहदः ज्योतिरादित्य सिंधिया कौन है मैं नहीं जानता, मैं बीजेपी का कार्यकर्ता हूं" ग्वालियर के महाराज ने अपने दिल का हाल बीते दिनों खुद मुंह-जुबानी पत्रकारों को सुनाया। मप्र में कांग्रेस सरकार का तख्तापलट कैसे हुआ यह जगजाहिर है। अपने कहे मुताबिक सिंधिया का सड़क पर उतरना कमल नाथ सरकार को सड़क पर ले आया, लेकिन इन दिनों सिंधिया समर्थक का तमगा खत्म करने की जद्दोजहद शायद स्वयं महाराज, मंत्री व उनके सिपहसलार कर रहे हैं। तमाम मौकों पर न केवल कांग्रेसी, बल्कि भाजपा के असंतुष्ट भी सिंधिया समर्थक व पुराने भाजपाइयों के अलग-अलग होने का जुमला फेंक देते हैं। यही कारण रहा होगा कि महाराज ने खुद इस तमगे को खत्म करने की बात जोर देकर कही। 7 फरवरी को मुख्यमंत्री व महाराज का नगर आगमन हुआ। स्वागत के कई होर्डिंगों में मंत्री प्रद्युम्न के साथ मुख्यमंत्री का फोटो था, महाराज का नहीं।
पावर हाउस बना चैंबर कार्यालयः ग्वालियर के व्यापारियों का सबसे बड़ा संगठन चैंबर आफ कामर्स का कार्यालय इन दिनों विद्युत विभाग का अघोषित पावर हाउस बनता जा रहा है। अचलेश्वर मंदिर रोड पर बने इस कार्यालय से भलें विद्युत सप्लाई का काम न किया जाता हो, लेकिन विद्युत संबंधी तमाम समस्याओं के निवारण के लिए इस कार्यालय में इन दिनों दरबार सजने लगा है। इसका एक कारण यह भी है कि ऊर्जावान मंत्री के एक खास पदाधिकारियों के पास शहर के तमाम व्यापारी विद्युत विभाग से जुड़ी समस्याएं लेकर जाते हैं। हालांकि इस दरबार में अन्य विभागों से जुड़ी समस्याओं के समाधान की उतनी गारंटी नहीं होती, जितनी विद्युत विभाग से जुड़ी समस्याओं के लिए होती है। हो भी क्यों न ऊर्जावान मंत्री खुद भी तो यहां बार-बार पहुंच जाते हैं। अब कार्यालय में हर महीने की 15 तारीख को विद्युत समस्याओं से जुड़ा शिविर भी लगा करेगा।
किसानों का नाम, कांग्रेस में बनेगा कामः आगामी नगरीय-निकाय एवं महापौर चुनाव में उम्मीदवारी तय कराने इन दिनों कांग्रेस की महिला नेत्रियों के बीच जंग छिड़ी हुई है। गली-मोहल्लों के इस चुनाव में स्थानीय व नजदीकी मुद्दे इस बार प्रासंगिक नहीं समझे जा रहे हैं। महिला नेत्रियों का सड़क, नाली, पानी, बिजली व महंगाई आदि की समस्याओं को लेकर गंभीर न होना अधिक परेशान करने वाला है। कांग्रेस ने इन दिनों केवल किसान शब्द रट लिया है और उसी में पूरी तरह मग्न हो गए है। कृषि विधेयक का विरोध व समर्थन करने के लिए सभी स्वतंत्र हैं, लेकिन कांग्रेस 'किसानों का नाम, अपना बनेगा काम" की तर्ज पर काम कर रही है। विचारणीय पहलू यह है कि क्या केवल अन्नदाता के नाम पर ही आंदोलित रहने से सभी मोहल्लों की सभी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। अरे भाई महापौर के सामने हर मोहल्ले का व्यक्ति भिन्न-भिन्न समस्याएं लेकर पहुंचता है।