Gwalior smart city News: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। स्मार्ट सिटी मिशन के आठ साल पूरे हो चुके हैं। ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन भी अपना आठवां स्थापना दिवस मना रहा है। पूरे हो चुके आठ प्रोजेक्ट भी स्टूडेंट्स को घुमाए गए हैं। आठ साल में कार्पोरेशन सिर्फ आधी परियोजनाओं को ही पूरा कर पाया है। जो परियोजनाएं पूरी हुई हैं, उनमें से कई बंद हो गईं और प्रचार-प्रसार के अभाव में कईयों की जानकारी ही लोगों को नहीं है। नईदुनिया ने शहर के अलग-अलग वर्गों के लोगों से स्मार्ट सिटी की परियोजनाओं के बारे में राय ली, तो लोगों ने औसतन 10 में से पांच नंबर दिए। कुछ ने परियोजनाओं की तारीफ की तो कुछ ने विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण परियोजनाओं की दुर्गति होने की बात कही।
- वन सिटी वन एप (39 लाख): इतनी बड़ी रकम खर्च कर तैयार कराए इस एप को अब कोई नहीं पूछता। शहर की कोई विशेष जानकारी नहीं है।
- पब्लिक बाइक शेयरिंग (5.62 करोड़ रुपये): यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से फ्लाप हो चुका है। अब साइकिलें जंग और धूल खा रही हैं।
- सिटी बस सेवा: तय रूट पर बसें नहीं चल सकीं। द्यस्मार्ट रोड (300 करोड़ रुपये): सिर्फ थीम रोड पर ही काम हो सका। 10 किमी लंबी सड़कों को डिस्कोप किया गया।
1. इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर (45.71 करोड़ रुपये): कोरोना काल में शहर का पूरा प्रबंधन यहीं से संचालित हुआ।
2. आइटीएमएस (65.02 करोड़ रुपये): पूरे मध्यप्रदेश में सबसे बेहतर प्रदर्शन है। पांच करोड़ रुपए की राशि चालानों के बदले वसूल की गई है।
3. डिजिटल म्यूजियम और प्लेनेटोरियम (10.62 करोड़ रुपये): इतिहास को प्रदर्शित करता बेहतरीन म्यूजियम है। प्लेनेटोरियम भी लोगों को खासा पसंद आता है।
4. फूलबाग चौपाटी (2.12 करोड़ रुपये): कार्पोरेशन ने संवारकर शेड तैयार किए हैं। अब शाम को सैलानियों की अच्छी भीड़ पहुंचती है।
5. सेंट्रल लाइब्रेरी डिजिटलाइजेशन (15.78 करोड़ रुपये): संविधान की मूल प्रति सहित किताबों को डिजिटलाइज किया गया है।
(नोट: इसके अलावा गोरखी स्कूल, अटल म्यूजियम, स्मार्ट टायलेट्स कैफे, बाड़ा की इमारतों का फसाड लाइटिंग के अलावा रीजनल आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर जैसे प्रोजेक्ट सफल हुए हैं।)
तय समय सीमा में निर्धारित रूट पर सिटी बसें न चलाने पर स्मार्ट सिटी सीइओ नीतू माथुर ने मंगलवार को ठेकेदार एजेंसी नीरज ट्रैवल्स का अनुबंध समाप्त करने के नोटिस पर हस्ताक्षर कर दिए। अनुबंध की शर्तों के मुताबिक ठेकेदार को 15 दिन का अंतिम नोटिस देना है। बुधवार को यह नोटिस जारी कर दिया जाएगा। इसके अलावा बस आपरेटर की लगभग दो करोड़ रुपये राशि की बैंक व परफार्मेंस गारंटी भी जब्त की जा रही है। आपरेटर को गत 19 जून को टीआर-1 और टीआर-2 रूटों पर बस चलाने के लिए अंतिम समय सीमा दी गई थी, लेकिन उसने सिटी बसों का संचालन नहीं किया। स्मार्ट सिटी सीइओ नीतू माथुर ने बताया कि नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह ने आपरेटर को अंतिम समय सीमा दी थी। आपरेटर ने बस का संचालन नहीं किया। अब कार्पोरेशन द्वारा आपरेटर के साथ अनुबंध समाप्त करने की कार्रवाई की जा रही है। इस क्रम में टर्मिनेशन का अंतिम नोटिस जारी कर दिया जाएगा। बैंक गारंटी भी हम जब्त कर रहे हैं। बसों के परमिट निरस्त कराने के संबंध में भी प्रक्रिया की जाएगी।
स्मार्ट सिटी के तहत किये गये कार्यों से महाराज बाड़े के ऐतिहासिक रूप में निखार आ रहा है। यह और भी सुंदर लगने लगा है। लोग बाड़े की सुंदरता को देखने के लिए आएंगे। कुछ कार्य ऐसे भी किये जा रहे हैं, जिनकी आवश्यकता नहीं थी। लंबे समय की प्लानिंग के साथ विकास कार्य किए जाने चाहिए।
- राजेश ऐरन, अध्यक्ष अग्रवाल युवक-युवती परिचय सम्मलेन
स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट ग्वालियर में आकार ले रहे हैं, कुछ ऐसे भी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हैं जो समय पर पूरे होने जरूरी हैं। इसमें थीम रोड सहित ऐसे प्रोजेक्ट हैं। ग्वालियर को स्मार्ट करने के मकसद से इन प्रोजेक्टों को लाया गया है, टाइमलाइन को लेकर ध्यान रखा जाए यह बहुत महत्वपूर्ण है। भविष्य में इनका बेहतर लाभ शहर को मिलने की उम्मीद है।
- रंजीत पंजवानी, सचिव, जीवायएमसी
स्मार्ट सिटी द्वारा तैयार किए गए डिजिटल म्यूजियम और प्लेनेटोरियम के साथ ही चौपाटी अच्छा प्रोजेक्ट है। आइटीएमएस से ट्रैफिक अनुशासित हुआ है, लेकिन लेफ्ट टर्न की समस्या है। पब्लिक बाइक शेयरिंग का लोग इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन ये प्रोजेक्ट बंद हो गया। जो प्रोजेक्ट डंप हो चुके हैं, उन्हें दोबारा शुरू करना चाहिए।
- विजयभान प्रताप सिंह धाकड़ असिस्टेंट प्रोफेसर जेयू
स्मार्ट सिटी के आठ साल पूरे हो गए। ग्वालियर में स्मार्ट सिटी के कई कार्याें का आमजन को लाभ मिल रहा है और कुछ का मिलने वाला है। कार्य के साथ स्थिति को देखते हुए भी संशोधन करना पड़ता है। प्रोजेक्ट को लेकर पहले से फेल्योर का पता नहीं होता है। कई बार संशोधित स्वरूप में भी प्राेजेक्ट को आकार दिया जाता है। शेष प्रोजेक्ट जल्द पूरे करने का प्रयास है।
- अक्षय कुमार सिंह, कलेक्टर
स्मार्ट सिटी अभी तक कोई भी प्रोजक्ट फाइनल नहीं कर सका। इन प्रोजक्ट के परिणाम नहीं आ सके। स्मार्ट सिटी जब भी गए, कोई न कोई समस्या लेकर ही गए। बाड़ा सुंदर बन रहा है, तो इसमें व्यापारी को खुश होना चाहिए, लेकिन वह नाराज है।
-दीपक अग्रवाल, सचिव चैंबर
स्मार्ट सिटी के पास प्लानिंग नहीं है। थीम रोड बना फिर खुद गया, अब तक पूरा नहीं हुआ। बाड़े की हालत ही खराब है। स्मार्ट सिटी ने जो भी काम किया, उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है। मैं 10 में से चार अंक ही दूंगा।
- डा. सुनील अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन
स्मार्ट सिटी और अन्य विभागों के बीच में समन्वय की कमी है। स्मार्ट सिटी की ओर से जो सड़क डाली गई, वहां किसी न किसी काम के बहाने फिर से खोदाई शुरू हो गई। स्मार्ट सिटी के प्रोजक्टों को मैं दस में से छह अंक देता हूं।
- डा. अशोक मिश्रा, पूर्व अधीक्षक जेएएच
स्मार्ट सिटी ने जो भी प्रोजक्ट लिए, वह पूरे नहीं कर सके। कई काम 40 फीसद ही हो सके। जितनी आशाएं थीं, वह निराशाओं में बदलीं। न स्मार्ट सिटी समय पर काम पूरा कर सकी न ही गुणवत्तापूर्ण कार्य किया। मैं 10 में से छह अंक ही दूंगा।
- रवि गुप्ता, प्रदेश महामंत्री कैट