Gwalior School Reopen News 2021: ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रदेश में काेराेना मरीजाें की संख्या कम हुई ताे अब शासन ने स्कूल खाेलने की हरी झंडी दे दी है। बुधवार से 6वीं से लेकर 8वीं तक के विद्यार्थी स्कूल गए, लेकिन शासकीय स्कूलों का बुरा हाल बना हुआ है। यहां क्लास रूम अब स्टाेर रूम बन चुके हैं, फर्नीचर, टायलेट से लेकर परिसर में गंदगी का आलम है। डेंगू, मलेरिया का प्रकाेप जिले में तेजी से फैल रहा है, ऐसे में बच्चाें के स्वास्थ्य काे ध्यान में रखते हुए स्कूल प्रबंधन के लिए पढ़ाई से पहले सफाई चुनाैति बनने वाली है। यह स्थिति स्कूल शुरू होने के कुछ ही घंटे पहले की है।
कैसे होगा शारीरिक दूरी का पालन: विद्यार्थियों के लिए कोविड की गाइडलाइन अनिवार्य की गई है। वे शारीरिक दूरी बनाकर कक्षाओं में बैठेंगे, जबकि शासकीय प्राथमिक विद्यालय सनातन धर्म क्रमांक एक मुरार की कक्षाओं को स्टोर बना दिया गया है। सवाल यह है कम स्पेस में कोविड की गाइडलाइन का पालन कैसे होगा। यहां कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। परिसर में पुरानी बिल्डिंग में कोविड आने से पहले कक्षाएं संचालित होती थीं। प्रबंधन चाहता तो स्कूल बंद होने के दौरान बिल्डिंग की मरम्मत करा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अधिक पुरानी बिल्डिंग होने से वह जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी है। बिल्डिंग पर पीडब्ल्यू विभाग ने जर्जर भवन होने का बोर्ड भी लगा दिया है। इसके बाद भी नए कक्षों का निर्माण नहीं किया गया। स्थिति के अनुसार बच्चों के लिए दो ऐसे कक्षों में कक्षाओं का संचालन किया जाएगा, जहां जगह कम है, साथ ही अंधेरा भी रहता है।
विद्यालय के टूटे पड़े हैं शौचालय, काम शुरू हुआ, मगर बंद कर दियाः शासकीय प्राथमिक विद्यालय सनातन धर्म क्रमांक एक में विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए शौचालय तक नहीं है। शौचालय बनाने का काम शुरू भी हुआ, जो बंद कर दिया गया। स्कूल प्राचार्य बृजेश शर्मा का कहना इस समस्या के बारे में कई बार ठेकेदार और अधिकारियों को फोन से बताया गया, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
स्कूल में संख्या के अनुसार नहीं हैं कक्षः शासकीय माध्यमिक विद्यालय क्रमांक एक में 400 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, लेकिन कक्षाओं के लिए पांच ही कक्ष हैं। स्कूल प्राचार्य बीएल धाकड़ ने बताया कि स्कूल परिसर में तीन आफिस संचालित किए जा रहे हैं। जगह कम होने से खेलने के लिए कोई मैदान या पार्क नहीं है। इन ऑफिस और स्कूल का प्रवेश द्वार एक होने के कारण विद्यार्थी लंच के समय बाहर रोड पर खड़े होकर खेलते हैं। इससे उनकी जान को भी खतरा बना रहता है। अगर सभी विद्यार्थी एक साथ आ जाते हैं तो शिक्षकों को मैदान में लगे बरगद के पेड़ के नीचे कक्षाएं लेनी पड़ती हैं। कई बार डीईओ और बीईओ को पत्र लिख चुके है, मगर कोई कार्रवाई नहीं होती है। इस स्थिति में पांच कक्षों में 50 फीसदी संख्या के साथ 200 विद्यार्थियों को पढ़ाना मुश्किल नजर आ रहा है।
ऐसी रही व्यवस्था : शिक्षा विभाग ने 6वीं से 8वीं तक के विद्यार्थियों के लिए कोविड की गाइडलाइन के साथ स्कूल शुरू कर दिए है। हर कक्षा में 50 फीदस विद्यार्थियों की ही मौजूदगी रही। इससे पहले अभिभावकों से सहमति पत्र ले लिया गया है। कक्षाओं का संचालन आफलाइन के साथ आनलाइन भी किया गया। विद्यार्थियों के लिए स्कूल स्तर पर मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई थी। हर दिन तीन से चार घंटे ही कक्षाएं लगेंगी।
वर्जन-
कोरोना काल में शासकीय प्राथमिक विद्यालय सनातन धर्म क्रमांक एक मुरार को बुक डिस्ट्रीबूशन का केंद्र बनाया था। अभी बुक्स को वहां से हटाना मुश्किल है। अब तो लगातार बुक का स्टॉक आना है। जिस जगह किताबें रखी जा रही हैं वो बिल्डिंग विद्यालय को सुपूर्द नहीं की गई है। इसलिए वहां किताबें रखी जा रही हैं।
मंजू सिंह, बीईओ, शिक्षा विभाग