- 350 परमिट हुए थे सरेंडर
Gwalior RTO News: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। कोविड-19 के संक्रमण के चलते बसों के संचालन पर प्रतिबंध लगा हुआ है। जून में यह प्रतिबंध संमाप्त होने की संभावना देखी जा रही है, लेकिन बस आपरेटर परमिट उठाने को लेकर असमंजस में है, क्योंकि बस स्टैंडों से यात्री नहीं दिख रहे हैं। एसी स्थिति में बस का संचालन मुश्किल हो जाएगा। यात्री नहीं मिले तो खर्च निकालना मुश्किल हो जाएगा। बस आपरेटरों का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में बस चलाने पर घर से पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
अप्रैल में कोविड-19 का संक्रमण फैलने के बाद बसों के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस प्रतिबंध के चलते इंटर स्टेट व जिले की रूटों की बसें बंद हो गई, लेकिन खड़ी बस का टैक्स न देना पड़े, उसको लेकर आपरेटर को विकल्प दिया था कि वे परमिट सरेंडर कर सकते हैं। इस विकल्प का चुनाव करते हुए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में 350 परमिट सरेंडर हुए थे और बसों को अपने यार्ड में रख दिया। अब कर्फ्यू में ढील मिलने की उम्मीद को देखते हुए परमिट उठाने को लेकर असमजस है।
हर पांच मिनट में बस, यात्री भरना संभव नहीं
- जिले के रूट पर हर पांच मिनट में बस हैं। एसी स्थिति में हर बस का भरना मुश्किल है। आपरेटरों को 50 फीसद लोड की उम्मीद नहीं है।
- पिछले साल में कोविड संक्रमण कम होने के नवंबर के बाद बसों की हालत में सुधार आया था।
स्कूल बसें कंडम हालत की ओर
स्कूल बंद हुए 14 महीने बीत गए हैं। इन बसों को खड़े हुए लंबा समय हो गया। ये कंडम हालत में पहुंच रही हैं। रखे-रखे बैटरी खराब हो गई हैं। फिटनेस समाप्त हो चुकी है। टायर भी खराब हो रहे हैं। हालांकि स्कूल बस पर रोड टैक्स का ज्यादा बोझ नहीं है। एक महीने में 50 सीटर बस का 50 रुपये टैक्स देना पड़ता है। जबकि परमिट सरेंडर करने में 800 रुपये फीस लगती है। स्कूल बस के परमिट सरेंडर नहीं हुए हैं। स्कूल बस अापरेटर नीलू भदौरिया का कहना है कि बसों की कबाड़े की स्थिति हो रही है। फिलहाल स्कूलों के शुरू होने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
- बसों में सफर से लोग बच रहे हैं। जून में ट्रेफिक उम्मीद नहीं है। असमजस की स्थिति बन गई है कि बस को चलाए या नहीं। 50 फीसद लोड पर चलाय तो खर्च भी नहीं निकलेगा। हर पांच मिनट में बस है। इसलिए भरने संभव नहीं है।
पदम गुप्ता, महासचिव रोडवेज बस आपरेटर यूनियन