Gwalior News: ग्वालियर, (नईदुनिया प्रतिनिधि) श्री अचलेश्वर मंदिर में अब तक हुये निर्माण कार्य का आकलन करने के बाद ही मंदिर संचालन समिति ने पहली बैठक में लिया था। दूसरी बैठक में कान्टेक्टर को भुगतान करने के लिये हरी झंड़ी दे दी। कोषालय के अधिकारी ने यह कहकर चेक पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था कि बैठक में हुए निर्णय के अनुसार पहले निर्माण का आकलन कराया जाये। लेकिन अब पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने यह कहकर आकलन करने से इंकार कर दिया कि आरसीसी के निर्माण का आकलन करते हैं। पत्थर के निर्माण का आकलन केवल पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञ ही कर सकते हैं। इस पेंच के बाद समिति ने बगैर आकलन के कान्टेक्टर को भुगतान करने का मन बना लिया है। रुके हुये भुगतान में से 25 लाख रुपये का चेक कान्टेक्टर को देने पर सहमति हुई है।
अचलेश्वर मंदिर के निर्माण कार्य को लेकर लंबे समय से उंगलियां उठ रहीं हैं। जिसके कारण कई महीनों तक निर्माण कार्य भी बंद रहा। जिलाधीश के मंदिर संचालन समिति का गठन उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एनके मोदी के आश्वासन पर कान्टेक्टर ने फिर से कार्य शुरु किया है।
मंदिर के संचालन समिति की पहली बैठक में कान्टेक्टर के भुगतान का मामला उठा था। समिति ने निर्णय लिया था कि भुगतान से पहले मंदिर में अब तक हुये निर्माण कार्य का आकलन कराया जाये। पीडब्ल्यूडी से आकलन रिपोर्ट एक सप्ताह में लेने का तय हुआ था। दूसरी बैठक में संचालन समिति ने बगैर आकलन के भुगतान के हरीझंड़ी दे दी। माफी ओकाफ अधिकारी ने आकलन के बगैर चेक पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था। क्योंकि ढाई करोड़ से अधिक का भुगतान हो चुका है। मंदिर के निर्माण का ठेका तीन करोड़ 11 लाख रुपये में हुआ है। जिसमें जीएसटी प्रथक से है। अब फिर बगैर आकलन के कान्टेक्टर को मंगलवार को किये जाने का मन समिति ने बना लिया है। लेखाधिकारी वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि सोमवार को माफी ओकाफ अधिकारी के किसी कार्य में व्यस्त होने के कारण चेक पर हस्ताक्षर नहीं हो पाये हैं।
भंग अचलेश्वर न्यास के सदस्य संतोष सिंह राठौर ने सोमवार को कलेक्टर को एक पत्र दिया है। इस पत्र के माध्यम से अनुरोध किया है कि ट्रस्ट में हुई अनियमिताओं की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाये। क्योंकि ट्रस्ट में घोर अनियमिताएं हुईं है। पत्र में इस बात पर आपत्ति की गई है कि मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष पर पर्याप्त समय नहीं होने के कारण समय नहीं दे पा रहे हैं। जिसके कारण अपने प्रतिनिधि नियुक्त कर न्यास का काम चलाने का प्रयास कर रहे हैं। जिला न्यायाधीश नवम ग्वालियर द्वारा नियुक्त रिसीवर संजय चतुर्वेदी को कार्यमुक्त कर दिया था। उन्हें फिर से अध्यक्ष के प्रतिनिधि के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। पत्र में समिति के कार्यों पर सवाल उठाये हैं।