ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। वाहन डीलरों की कर चोरी रोकने के लिए परिवहन विभाग अब एनआइसी (नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर) के नेटवर्क से जुड़ेगा। इस नेटवर्क से जुड़ने से वाहनों की कीमत स्वतः परिवहन विभाग के सॉफ्टवेयर में अपडेट हो जाएगी। विभाग को सालाना 150 करोड़ रुपये का फायदा होने का अनुमान है। इससे वाहन रजिस्ट्रेशन पर होने वाली कर चोरी पर रोक लगेगी। अभी विभाग को बड़े जिले से 10 व छोटे जिलों से तीन से पांच करोड़ रुपये का सालाना नुकसान हो रहा है।
दरअसल, विभाग के सिस्टम में वाहनों की कीमत समय पर अपडेट नहीं होने से डीलर खरीदार से तो नई कीमत वसूल लेता है, लेकिन विभाग को पुरानी कीमत पर ही टैक्स देता है। डीलर एक वाहन पर 5 से 15 हजार रुपये तक बचा लेता है, इसलिए विभाग कर चोरी रोकने के लिए सिस्टम में बदलाव कर रहा है। एनआईसी नेटवर्क से जुड़ने पर जैसे ही नया वाहन बाजार में आएगा, वैसे ही सिस्टम में दरें अपडेट हो जाएंगी।
सिस्टम बदलना इसलिए जरूरी
- कोई कंपनी गाड़ी के मॉडल में बदलाव करती है। भाड़े सहित अन्य वजहों से हर प्रदेश व जिलों में दर अलग अलग होती है। विभाग में समय पर साफ्टवेयर में दरें अपडेट नहीं हो पाती थीं।
- अभी साल में एक बार या दो बार ही विभाग के सर्वर में वाहनों की कीमत अपडेट होती हैं। इसी का फायदा डीलर उठाते हैं।
- डीलर विभाग के कर्मचारियों व अफसरों से साठगांठ से टैक्स का काफी पैसे बचा लेते थे। विभाग में भी संबंधित कंपनी की वेबसाइट से दरों का मिलान नहीं किया जाता था।
वर्जन
वाहन के रजिस्ट्रेशन कार्य को एनआइसी नेटवर्क से जोड़ रहे हैं। इससे विभाग को सालाना 150 करोड़ रुपये तक के टैक्स का फायदा होगा। अभी यह टैक्स डीलरों के पास रह जाता था।
-अरविंद सक्सेना, अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन)
वाहनों की कीमत फीडिंग एक निजी कंपनी करती है, इसलिए दरें समय पर अपडेट नहीं होती। मैंने अपने समय कर चोरी के कई मामले पकड़े थे। विभाग के अफसर व कर्मचारी निजी कंपनी का बहाना कर बचाव कर लेते थे। विभाग एनआइसी पर आ रहा है, इससे विभाग को फायदा होगा।
-अशोक निगम, सेवा निवृत्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी