Gwalior illegal Colony News: ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाैहान ने अवैध कालाेनी काटने वालाें पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। उन्हाेंने स्पष्ट शब्दाें में शुक्रवार काे कहा है कि अगर अवैध कालाेनी कटती है आैर उसे वैध किया जाता है ताे उसके जिम्मेदार कलेक्टर आैर निगम आयुक्त हाेंगे। इस निर्देश के बाद प्रशासनिक व निगम अधिकारियाें के बीच खलबली का माहाैल बना हुआ है। सूत्राें के अनुसार शहर में काटी जा रहीं कालाेनियाें में पांच प्रतिशत ही वैध हैं आैर 95 प्रतिशत अवैध हैं। पड़ताल में सामने आई स्थिति के अनुसार नगर निगम सीमा के अंदर लगभग सात साै से अधिक अवैध कालाेनियां है। इस वैध-अवैध के खेल में कालाेनाइजर सिर्फ किसानाें से एग्रीमेंट कर नजूल की एनआेसी से पूरी कालाेनी काट रहे हैं। अवैध कालाेनियाें काे राेकने के लिए कलेक्टर ने जिला प्रशासन आैर नगर निगम की भवन शाखा काे मिलाकर संयुक्त टीम भी बनाई थी, लेकिन इस टीम ने अभी तक काेई कार्रवाई नहीं की है। इतना ही नहीं भवन शाखा की कालाेनी सेल ने सिर्फ 24 नाेटिस ही जारी किए हैं।
चाराें विधानसभा क्षेत्राें का हालः शहर के चारों विधानसभा क्षेत्राें में अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं। दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में सिंकदर कम्पू, गुढ़ा गुडी का नाका, तिघरा रोड़, शीतला माता रोड़, आदि क्षेत्र शामिल हैं। इसी प्रकार पूर्व विधानसभा क्षेत्र में नाका चंद्रबदनी, लालटिपारा गोशाला के पास, मुरार, सिरौल क्षेत्र आदि क्षेत्र, जबकि ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में चार शहर के नाका के पास, ट्रिपल आईटीएम के पास, सागरताल रोड़ आदि शामिल हैं। वहीं ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में बडागांव, खुरैरी, महाराजपुरा, शताब्दीपुरम के पास, वीरपुर, शिवपुरी लिंक रोड़, गिरवाई, पुरानी छावनी में भी कई क्षेत्रों में अवैध कालोनियों को काटी जा रही हैं।
ऐसे विकसित हाे रही अवैध कालाेनियांः कालोनाइजर किसान से एग्रीमेंट करता है, इसके बाद वह जिला प्रशासन से नजूल की एनओसी लेकर किसान के नाम से ही कालोनी को काट देता है। प्रत्येक भूखण्ड की रजिस्ट्री भी किसान करता है। इस दौरान कालोनाइजर जमीन का लैंडयूज भी नहीं बदलवाते हैं। इससे शासन को काफी नुकसान होता है।
यह है कालोनी को वैध कराने की प्रक्रियाः कालोनी को वैध कराने में कालोनाइजर का रजिस्ट्रेशन लगाना होता है, इसके साथ ही जमीन की रजिस्ट्री, सम्पत्तिकर की रसीद, नामांकन , डायवर्सन, सीमांकन, नजूल की एनओसी, टीएनसीपी की परमिशन के दस्तावेज लगाए जाते हैं। इसके बाद कालोनी विकास अनुज्ञा 25 स्र्पये स्क्वायर मीटर जमा होती है, इसके साथ ही आश्रय शुल्क 100 स्र्पये स्क्वायर मीटर, बाहरी विकास शुल्क 50 स्र्पये प्रति स्क्वायर मीटर, जमा करना होता है। इसके साथ ही 10 प्रतिशत भूखण्ड नगर निगम में बंधक रखे जाते हैं। यह भूखण्ड इसलिए बंधक रखे जाते हैं।
कलेक्टर ने बनाई कमेटी नहीं हुई कार्रवाईः अवैध कालोनियों पर कार्रवाई के लिए कलेक्टर ने कमेटी बनाई थी, इसमें एसडीएम , तहसीलदार, नगर निगम के भवन अधिकारी, कालोनी सेल, सहायक सिटी प्लानर व सिटी प्लानर शामिल थे। इस कमेटी को अवैध कालोनियों के बारे में रिपोर्ट पेश करनी थी, लेकिन आज तक कलेक्टर को रिपोर्ट पेश नहीं की गई।
यह बनाए थे तीन नियमः कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने आदेश जारी किया था इसमें तीन नियम अवैध कॉलोनियों के लिए बनाए हैं। अवैध कॉलोनी बसाने वाले कालोनाइजर पर एफआइआर कराई जाएगी और उसकी निजी संपत्ति से पैसा लेकर कॉलोनी का विकास कराया जाएगा। अगर अवैध कॉलोनी बसना शुरू हो रही है तो बने मकानों को छोड़कर या पूरी कॉलोनी के प्लॉट नगर निगम अटैच कर लेगा। उस सर्वे नंबर के खसरे के कालम नंबर तीन में नगरीय सीमा में नगर निगम और ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत का नाम लिखवा दिया जाएगा। इससे रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी और अवैध कालोनाइजर काम नहीं कर पाएगा।
अवैध कालोनी काटने पर हो सकती है 7 साल की सजाः नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने अवैध कालोनियों को रोकने लिए 15 फरवरी 2021 को आदेश जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि भवन अधिकारी व भवन निरीक्षक अपने-अपने क्षेत्रों में अवैध कालोनियों को रोके और कार्रवाई करें। उन्होंने आदेश में लिखा था कि अवैध कालोनी काटना और अवैध कालोनी काटने में सहयोग करने वाले पर नियम 292 (सी) 292 (डी) 292 (डीए) 292 जी धाराओं के तहत 3 से 7 साल की सजा का प्रावधान है।
वर्जन
अवैध कालोनी काटने वाले कालोनाइजरों को समय-समय पर नोटिस जारी किए गए हैं। साथ ही उन पर कार्रवाई करने का भी आदेश भवन अधिकारियों और निरीक्षकों को दिया है।
पवन सिंघल, प्रभारी सिटी प्लानर
वर्जन
अवैध कालोनियों पर कार्रवाई करने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया है, हम प्लानिंग कर रहे हैं, दो से तीन दिन में शहर में आपको कार्रवाई देखने को मिलेगी। साथ ही आपकों भी लगता है कि कहीं पर अवैध कालोनी काटी जा रही है तो शहरवासी भी इसकी सूचना दे सकते हैं।
शिवम वर्मा, नगर निगम आयुक्त
कलेक्टर काैशलेंद्र विक्रम सिंह से सीधी बातः
सवाल: मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि अवैध कॉलोनी अब नई बसी तो कलेक्टर व नगर निगम आयुक्त जिम्मेदार होंगे,आपकी क्या तैयारी है?
जवाब: अवैध कॉलोनियों को लेकर सभी अधिकारियों से जांच रिपोर्ट मांगी गई है, इसको लेकर हमने कार्ययोजना भी तैयार की है। कार्रवाई की जाएगी।
सवाल: ग्वालियर में 600 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां हैं,लोगों को ठगा जा रहा है,आए दिन शिकायतें आ रही हैं,इन्हें कैसे रोका जाएगा?
जवाब: सभी राजस्व अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश हमने दिए हैं कि अवैध कॉलोनी की शिकायत पर तत्काल जांच की जाए,हाल ही में गिरवाई तहसीलदार ने अवैध प्लॉट काटने पर एफआइआर कराई है।
सवाल: ग्वालियर में जमीन की धोखाधड़ी और अवैध कॉलोनियों का कारोबार पुराना है,कभी इस पर लगाम नहीं लगी,अफसर सब जानते हैं,आपका क्या कहना है?
जवाब: जमीन संबंधी मामले जनसुनवाई से लेकर अफसरों के पास आते हैं। समस्याओं का निराकरण हो और गरीब आदमी की कमाई न डूबे इसको लेकर हम ध्यान रखते हैं। अवैध कालोनी बसाने वालों पर अब कड़ी कार्रवाई करेंगे।