Gwalior High Court: पत्नी ने खुद की पैरवी, दुष्कर्म व अपहरण के केस में पति हुआ दोषमुक्त
Gwalior High Court: पीड़िता (पत्नी) की गवाही पर ही विचारण न्यायालय ने दी थी दस साल सजा। हाई कोर्ट में लंबित थी अपील।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Wed, 29 Mar 2023 06:11:36 PM (IST)
Updated Date: Wed, 29 Mar 2023 06:18:52 PM (IST)
Gwalior High Court: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाई कोर्ट में एक रोचक मामला सामने आया है। जिस पीड़िता से दुष्कर्म के आरोप में अपीलार्थी सजा काट रहा था, उसी की पैरवी से वह कोर्ट से दोषमुक्त हो गया।
पीड़िता अपने बच्चों के साथ कोर्ट में खुद पैरवी के लिए पहुंची और उसने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि अपीलार्थी जब जमानत पर जेल से बाहर आया था, तब उसने विवाह कर लिया। उनके तीन बच्चे भी हैं, लेकिन विचारण न्यायालय ने उनके इस तथ्य की अनदेखी की और सजा सुना दी। पति के जेल जाने से उसका परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। कोर्ट ने युवती की पीड़ा को सुनते हुए दोषमुक्त कर दिया।
दरअसल 27 मार्च को अधिवक्ता हड़ताल पर थे। पक्षकारों की ओर से पैरवी के लिए अधिवक्ता उपस्थित नहीं हो रहे थे। एक महीने बाद विजय उर्फ चीकू की अपील सुनवाई में आई थी। यदि इस दिन सुनवाई नहीं होती तो तीन से चार महीने बाद अपील सुनवाई में आती। पत्नी के गवाही पर ही विजय सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दस साल की सजा काट रहा था। इसे ध्यान में रखते हुए विजय की पत्नी (पीड़िता) खुद पैरवी के लिए पहुंची।
उसने बताया कि दतिया के सिविल लाइन थाने में उसकी मां ने विजय के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी। वह स्वेच्छा से विजय के साथ गई थी और झांसी में दोनों ने विवाह भी किया था। झांसी में किए विवाह का फोटोग्राफ व प्रमाण पत्र भी पीड़िता ने पेश किया।
उसने बताया कि माता-पिता के दबाव में आकर बयान दिए थे। माता-पिता दूसरी जगह विवाह करना चाहते थे। जब विजय जमानत पर बाहर आया, तब उससे फिर से विवाह किया था। इसके बाद माता-पिता ने घर से निकाल दिया। ससुराल में एक कमरा दिया है। झाड़ू-पौंछा लगाकर तीन बच्चों का लालन पालन कर रही हूं। पति के जेल में होने से आर्थिक संकट है।
कोर्ट ने इस पूरे मामले पर शासकीय अधिवक्ता का पक्ष पूछा तो जवाब मिला कि अपील में कोई नया फैक्ट नहीं है, इसलिए अपील को खारिज किया जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद विजय को दोषमुक्त कर जेल से रिहा करने का आदेश दिया है।
यह है मामला
- दतिया के सिविल लाइन थाने में छह मई 2014 को नाबालिग के अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। तीन लोगों पर यह आरोप था। विजय उर्फ चीकू नाबालिग का अपहरण करके ले गया।
- 23 जुलाई 2021 को विजय को दस साल की सजा सुनाई। विजय तभी से जेल में था। इस सजा के आदेश को उसने हाई कोर्ट में चुनौती दी।