ग्वालियर। मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने राज्य शासन को बड़ा झटका देते हुए नगर पालिका निगम कॉलोनाइजर रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन एवं शर्त नियम 1998 की धारा 15 ए को शून्य (निरस्त) घोषित कर दिया। इस नियम के तहत प्रदेश में अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए नगर निगम आयुक्त व अन्य अधिकारियों ने जो प्रक्रिया की थी, वह अवैध मानी जाएगी।
अवैध कॉलोनियों को वैध करने के अब तक जो भी फैसले लिए गए थे, वह निरस्त हो जाएंगे। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि नगर निगम आयुक्त चाहें तो नगर पालिका एक्ट 1956 की धारा 292 ई के तहत अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। लेकिन इस नियम के तहत प्रक्रिया बेहद जटिल है।
जनहित याचिका पर दिया फैसला
यह फैसला ग्वालियर खंडपीठ के न्यायमूर्ति संजय यादव व न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की युगल पीठ ने सुनाया है। उमेश कुमार बोहरे ने वर्ष 2018 में एक जनहित याचिका दायर कर अवैध कॉलोनियों को वैध करने के शासन के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि जमीन का लैंडयूज में बदलाव किए बगैर सरकार अवैध कॉलोनियों को वैध कर रही है। ये वह कॉलोनियां हैं, जिन पर प्रशासन ने डॉयवर्सन शुल्क के नाम पर करोड़ों का जुर्माना भी लगाया है, लेकिन सरकार अवैध कॉलोनियों को वैध कर रही है।
बिल्डरों को सीधा लाभ
याचिका में कहा गया है कि 8 मई 2018 से अवैध कॉलानियों को वैध करने के अभियान की शुरुआत की है। इससे बिल्डर को सीधा फायदा होगा, क्योंकि उन्होंने अवैध कॉलोनियां बसाकर पैसे कमा लिए हैं। अब उनकी कॉलोनी वैध होती है तो उन्हें सीधा फायदा होगा। इसलिए अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया निरस्त की जाए। तत्कालीन भाजपा सरकार ने चुनाव में फायदा लेने के लिए नियम विरुद्ध काम किया।
25 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था
याचिका पर नगर निगम व शासन का जवाब आने के बाद हाई कोर्ट ने नगर पालिका निगम कॉलोनाइजर रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन एवं शर्त नियम 1998 के की धारा 15 ए की वैधता को परखा था। इस संबंध में नगर निगम व शासन से जवाब मांगा था, लेकिन शासन व निगम ने अपना जवाब न देते हुए कहा कि फाइनल बहस की जाए। कोर्ट ने 25 अप्रैल को फाइनल बहस की और फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने सोमवार को धारा 15 ए को शून्य घोषित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मूल नियम से आगे जाकर नियम नहीं बनाया जा सकता। 15 ए अवैध है, इसलिए इसे शून्य घोषित किया जाता है। कॉलोनियों को धारा 292 ई के तहत ही वैध किया जाए।
धारा 292 के तहत सजा व अर्थदंड का प्रावधान
- नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 292 में अवैध कॉलोनी बसाने पर दंड का प्रावधान है। इसमें स्पष्ट लिखा है कि कोई व्यक्ति भूमि का विपरीत उपयोग करता है। उसे तीन साल की सजा व 10 हजार का अर्थदंड लगाया जा सकता है। इस कानून का सरकार ने उल्लंघन किया है।
- धारा 292 ई में प्रावधान किया गया है कि अगर किसी अवैध कॉलोनी को वैध किया जा रहा है तो उसका प्रबंधन आयुक्त अपने हाथ में लेगा।
-प्रबंधन हाथ में लेने के बाद सभी रजिस्ट्रियां शून्य हो जाएंगी। संपत्ति जब्त मानी जाए।
-उसके बाद अपनी शर्तें लगाते हुए कॉलोनी को विकसित करेगा। फिर से कॉलोनी में प्लॉट आवंटित किए जाएं।
-जो लोग पूर्व से रह रहे हैं उन्हें भी दे सकते हैं या फिर नए लोगों को जो कॉलोनी विकसित करने का शुल्क जमा कर देते हैं, उन्हें प्लॉट दिए जा सकते हैं।