Gwalior GR Medical College News: अजय उपाध्याय, नईदुनिया प्रतिनिधि। जीआर मेडिकल कालेज परिसर में 112 करोड़ की लागत से बनने वाले भवनाें का काम अभी पूरा नहीं हुआ हैं। जबकि इन्हें अधूरे कार्य के साथ ही मेडिकल कालेज को सौंपने की तैयारी है। स्थति यह है कि अभी 20 करोड़ के कार्य बाकी है। इसमें वायराेलॉजी लैब, फिजियोलॉजी भवन, अकादमिक भवन व हास्टल आदि शामिल हैं। इन भवनाें में 15 करोड़ की लागत के उपकरण भी लग चुके हैं, लेकिन 20 करोड़ का काम अधूरा होने के कारण वर्ष 2020 से अब तक हैंडओवर का मामला अटका हुआ है।
पीआइयू के संभागीय परियोजना यंत्री का कहना है कि इस बार मेडिकल कालेज के बीच समन्वय स्थापित हुआ है। इसलिए जल्द ही अब यह सभी भवन सौंप दिए जाएंगे। जो कार्य अधूरा है, उसके लिए शासन से बीस करोड़ का बजट मांगा गया है। बजट मिलने पर कार्य पूरा कर दिया जाएगा। क्योंकि जो राशि 112 करोड़ रुपये स्वीकृत हुई थीी, उसमें से 107 करोड़ खर्च हो चुके हैं। बाकी के बचे पैसों से तीन ब्लाक के लिए फर्नीचर खरीदना शेष है। जिसके लिए शासन से निर्देश मिलते ही फर्नीचर खरीद लिया जाएगा। खास बात यह है कि पिछली बार एनएमसी(नेशनल मेडिकल काउंसिल) की टीम ने कार्य अधूरे होने के कारण एमबीबीएस की 250 सीट की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। ऐसे में सीट वृद्धि का मामला फिर खटाई में पड़ सकता है। हालांकि कालेज प्रबंधन का तर्क है कि इस बार प्रभारी डीन डा समीर गुप्ता ने एनएमसी को शपथ पत्र देकर सभी तैयारियों को पूरा कराने का आश्वासन दिया है। इसलिए अनुमति मिलने में काेई दिक्कत नहीं आएगी।
112 करोड़ में यह कार्य होना थाः एमबीबीएस की 150 से 250 सीट की अनुमति के लिए एनएमसी ने साधन संसाधन बढ़ाने की शर्त रखी थी। इस शर्त को पूरा करने के लिए 112 करोड़ का फंड शासन द्वारा 27 जुलाई 2017 को स्वीकृत किया गया था। जिसमें 60 फीसद फंड केंद्र व 40 फीसद राज्य सरकार की ओर से मिला था। पीआइयू ने गुजरात राजकोट की आरपी स्ट्रक्चर ग्रुप को कार्य का ठेका दिया था। इसमें तीन शिक्षण ब्लाक, पुराने भवन का रिनोवेशन, साइट डवलपमेंट, छात्रों के रहने के दो हास्टल,लैक्चर हाल,वार्डन भवन, एंट्री व एग्जिट गेट, एवं तीनों ब्लाक में फर्नीचर आदि तैयार किया जाना था। बाद में शासन द्वारा तीन ब्लाक के दो फ्लोर कम कर दिए थे, जिससे 11 करोड़ की लागत कम हुई थी।
यह कार्य अभी तक नहीं हुए पूरेः 112 कराेड़ की राशि स्वीकृत हाेने के बाद निर्माण कार्याें पर 107 करोड़ की राशि खर्च भी की जा चुकी है। जबकि तीन ब्लाक के दो फ्लोर कम बनाने पड़े, इसके बाद भी बजट खत्म हाे गया। इस कारण से साइड डवलपमेंट,लैक्चर हाल, वार्डन भवन, एंट्री व एग्जिट गेट, हास्टल पर सौर ऊर्जा के पैनल, सीसीटीवी कैमरा व पुराने भवन का रिनोवेशन नहीं हो सका है।
सीधी बात- प्रदीप अष्टपुत्रे, संभागीय परियोजना यंत्री पीआइयू ग्वालियर
प्रश्न: चार साल का वक्त गुजर गया, फिर भवन अब तक हैंडओवर क्याें नहीं हाे सके।
उत्तर: डीन के साथ सहमति बन चुकी है, पजेशन देने की तैयारी चल रही है।
प्रश्न: साइड डवलपमेंट,लैक्चर हाल, वार्डन भवन, एंट्री व एग्जिट गेट, हास्टल पर सौर ऊर्जा के पैनल, सीसीटीवी कैमरा व पुराने भवन का रिनोवेशन अब तक क्याें नहीं हुआ।
उत्तर: इसके लिए शासन से बीस करोड़ का बजट मांगा है, मिलने पर कार्य करा दिया जाएगा।
प्रश्न: यह कार्य तो 112 करोड़ में ही पूरा होना था, जो राशि विभाग काे पहले ही मिल चुकी है।
उत्तर: हां पर कास्ट बढ़ गई, अभी तक 107 करोड़ खर्च हो चुके हैं, जो पैसा बचा है, उससे फर्नीचर खरीदना है। इसके लिए शासन से दिशा निर्देश मांगे गए हैं।
सीधी बातः आशीष सक्सेना संभागायुक्त एवं अध्यक्ष जीआर मेडिकल कालेज
प्रश्न: एमबीबीएस की सीट बढ़ाने को लेकर एनएमसी की शर्त के मुताबिक अब तक कार्य पूरा नहीं हो सका।
उत्तर: जो आवश्यक था, वह कार्य पूरा हो चुका है। भवन सुपुर्द करने की तैयारी चल रही है। डीन एनएमसी काे शपथ पत्र भी सौंप चुके हैं।
प्रश्न: भवनाें में अभी 20 करोड़ का कार्य बाकी है। ऐसे में क्या अधूरे भवनाें का पजेशन लिया जाएगा।
उत्तर: इसमें कुछ अतिरिक्त कार्य भी हैं, जो जल्द ही पूरे हो जाएंगे।
प्रश्न: अधूरा प्रोजक्ट का पजेशन पीआइयू देगा और आप लोग ले लेंगे।
उत्तर: पीआइयू के कहने से पजेशन थोड़े ही होगा, न मैं पजेशन लेता हूं, यह निर्णय तो चिकित्सा शिक्षा आयुक्त को करना है।