Gwalior Golden Line River: ग्वालियर . नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर के बीच से होकर बहने वाली स्वर्ण रेखा नदी अब पूरी तरह से नाले में तब्दील हो चुकी है। इसका उद्गम हनुमान बांध से हुआ। आज स्वर्ण रेखा नदी का नाम सरकारी कागजोंं में तो है, लेकिन असल मेंं यह लोगों और प्रशासन की लापरवाही से एक नाला बन चुकी है।
जब से स्वर्ण रेखा कंक्रीट की बनी है तब से नगर मेंं भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह ने इसकी सफाई के निर्देश दिए हैं, लेकिन दो बार निरीक्षण के दौरान काम बंद मिला है।
नौका विहार के लिए किए थे करोड़ों खर्च
स्वर्ण रेखा में साफ पानी बहाकर उसमें नाव चलाने के नाम पर एक दशक पहले करोड़ोंं रुपये खर्च कर इसे पक्का कर दिया था। नाव तो नहीं चली, लेकिन तब से शहर का भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। इसके अलावा स्वर्ण रेखा में सीवर का पानी बहता रहता है। स्वर्ण रेखा नदी में सीवर के लिए अमृत योजना के तहत लाइन डाली जानी है। दो साल से यह काम नहीं हो पाया है, क्योंकि निगम के अधिकारी इस कार्य के लिए लिए रुचि नहीं दिखा रहे हैं। वे तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि सीवर लाइन बाहर से डाली जाए या अंदर से।
2009 में जल संसाधन विभाग ने किया था पक्का
दरअसल, वर्ष 2009 से पहले स्वर्ण रेखा को जलसंसाधन विभाग के माध्यम से पक्का किया गया, लेकिन इसमें नाले-नालियों का निकास बंद नहीं किया गया। लश्कर और ग्वालियर उपनगर के अधिकतर गंदे नालों का निकास इसी नदी में है। पीएचई ने शहर के सीवर को बाहर ले जाने के लिए स्वर्णरेखा के नीचे सीवर लाइन बनाई है। सीवर लाइन की गंदगी लगातार नदी में घुलती जा रही है। बीते सात साल से स्थिति यह है कि नदी में बने सीवर के चैंबरों से गंदगी निकलती हुई साफ देखी जा सकती है। कुछ वर्ष पहले तत्कालीन निगमायुक्त विनोद शर्मा ने स्वर्ण रेखा को पिकनिक स्पाट बनाने की कोशिश की थी। इसके लिए नदी का बहुत सा हिस्सा साफ भी किया गया था। इसके बाद इसके दोनों किनारों पर सर्विस रोड भी डालने की योजना बनाई थी, ताकि शहर की यातायात व्यवस्था काबू में आए और नदी को प्रदूषित होने से बचाया जा सके, लेकिन उनके रिटायरमेंट के बाद ये प्लान ठप हो गया।