Gwalior DRDE News: वरुण शर्मा.नईदुनिया ग्वालियर। देश को जैविक-रासायनिक खतरे के बचाने के लिए काम करने वाली दो बड़ी एजेंसियां अब साथ काम करेंगी। रसायन, जैव रक्षा क्षेत्र में अग्रणी संस्थान रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना ग्वालियर (डीआरडीइ) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे (एनआइवी) की दोनों प्रयोगशालाएं साथ अनुसंधान करने के साथ विकास कार्य में काम करेंगी। एनआइवी देश की एकमात्र बीएसएल-4 लैब है और डीआरडीई की ग्वालियर में नई लैब निर्माणाधीन है। इसके बाद देश में दो लैब हो जाएंगी। हाल में दोनों लैबों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं जिसमें साथ अनुसंधान करने के साथ-साथ एनआइवी पुणे बीएसएल-4 प्रयोगशाला में उच् जोखिम वाले रोगाणुओं पर अनुसंधान करने के लिए कार्मिकों को अल् कालीन और दीर्घकालीन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद ग्वालियर डीआरडीई के विज्ञानी व स्टाफ बीएसएल-4 लैब के लिए तैयार भी हो जाएंगे।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डीआरडीइ) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक भारतीय रक्षा प्रयोगशाला है। ग्वालियर में स्थित, यह मुख्य रूप से जहरीले रासायनिक और जैविक एजेंटों के खिलाफ पहचान और सुरक्षा के अनुसंधान और विकास की दिशा में काम करती है। डीआरडीइ की नई बीएसएल-4 लैब ग्वालियर में ही महाराजपुरा इलाके में निर्माणाधीन है। आइसीएमआर के तहत कार्य करने वाली पुणे की एनआइवी लैब विषाणु विज्ञान के क्षेत्र में काम करती है। अब पहली बार ऐसा होगा कि दोनों लैब जैविक खतरे से लड़ने के लिए साथ काम करके नए आयाम खड़े कर सकेंगी। दोनों संस्थानों के बीच कुछ दिनों पहले दिल्ली में एक समारोह में आपसी समझ के ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये। इस दौरान डीआरडीइ ग्वालियर के निदेशक डा मनमोहन परीडा एवं डा यू.के. सिंह, महानिदेशक (जैव विज्ञान) एवं डा राजीव बहल, सचिव एवं महानिदेशक, आइसीएमआर विशेष तौर पर मौजूद रहे।
डीआरडीई के निदेशक डा मनमोहन परीडा ने बताया कि डीआरडीइ व एनआइवी के बीच यह एमओयू रक्षा एवं जन-स्वास्थ्य के महत्व के जैविक अभिकारकों एवं उच्च जोखिम वाले विषाणुओं के विरुद्ध उन्नत निदान एवं उपचार प्रणाली विकसित करने के उद्देश्य से किया गया है। इसका उद्देश्य देश को जैविक खतरे विशेष रूप से विषाणु अभिकारकों से सुरक्षित करना है।
डीआरडीई ग्वालियर और एनआइवी पुणे के बीच अहम समझौता हुआ है और अब दोनों लैब मिलकर कार्य करेंगी। डीआरडीई के कार्मिकों को एनआइवी भेजा जाएगा जिससे वे बीएसएल-4 लैब की कार्यप्रणाली को समझ सकेंगे। जैविक खतरे से लड़ने की दिशा में दोनों संस्थाओं का शोध कारगर होगा।
डा मनमोहन परीडा, निदेशक, डीआरडीइ, ग्वालियर