Gwalior DRDE News: ग्वालियर(नप्र)। देश की दूसरी सबसे अहम रक्षा अनुसंधान व विकास स्थापना की अत्याधुनिधक लैबोरेटरी का काम रफ्तार में हैं। प्रस्तावित लैब की बाउंड्रीवाल का काम पूरा हो गया है, साथ ही अधोसरंचना आधारित कार्य भी तेजी से चल रहा है। मौजूदा स्थिति में अब नई लैब की हद को दूर से भी देखा जा सकता है। इसमें गेट भी लगा दिए गए हैं। नई लैब विशेष मटेरियल से बनेगी, जिसका शुभारंभ लगभग एक साल पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वर्चुअली किया था। डीआरडीई की सिटी सेंटर स्थित लैब का क्रिटिकल पार्ट यहां शिफ्ट किया जा रहा है, इसलिए बायोलाजिकल-केमिकल लिहाज से विशेष सुरक्षा मानकों का पालन किया जाएगा। लैब में किसी भी प्रयोग या शोध के दौरान कोई वायरस या अन्य तत्व लैब से बाहर न जा पाए, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा। देश में पुणे के बाद यह सबसे अहम लैब होगी, जो बुहान और अमेरिका के स्तर की बनाई जा रही है।
यहां बता दें कि यह देश की दूसरी और रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत पहली प्रयोगशाला होगी, जिसमें खतरनाक सूक्ष्मजीवों पर अनुसंधान कार्य संभव होगा और भविष्य में होने वाली आपदाओं का सामना प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा। वर्ष 2026 तक यह प्रयोगशाला बनकर तैयार हो जाएगी और इसमें अनुसंधान कार्य आरंभ हो जाएंगे। वर्तमान में देश में इकलौती लैब पुणे में है। वर्तमान में डीआरडीई की लैब सिटी सेंटर में स्थित है जिसके 200 मीटर के दायरे में निर्माण प्रतिबंधित था। रक्षा मंत्रालय के इसी नियम के आधार पर यहां दस हजार करोड़ की संपत्तियां खतरे में आ गईं थीं। मामला हाई कोर्ट में पहुंचा तो अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए। माननीयों ने लैब शिफ्टिंग को लेकर पत्र लिखकर अनुरोध किए। हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई और सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे कर दिया। इसके बाद शासन स्तर पर डीआरडीई की नई लैब के लिए महाराजपुरा में जमीन आवंटित हुई।
ग्वालियर का नाम और ऊंचा होगा
डीआरडीई की यह लैब देश की दूसरी सबसे अहम लैब होगी और इस तरह सामरिक दृष्टि से ग्वालियर और मजबूत व महत्वपूर्ण हो जाएगा। यह विश्वस्तरीय लैब होगी और रक्षा से जुड़े नए शोधों को लेकर संभावनाएं और बढ़ जाएंगी। रक्षा मंत्रालय की निगरानी में यह पूरा कार्य कराया जा रहा है।