ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अशोकनगर सीट से भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। साथ ही पुलिस अधीक्षक अशोकनगर को आदेश दिया है कि जज्जी के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में एफआइआर दर्ज करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि आदेश की कापी विधानसभा अध्यक्ष को भेजी जाए, ताकि विधायक की सदस्यता रद हो। हाई कोर्ट ने जज्जी पर 50 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया ने दिया है। जज्जी ने खुद को नट जाति का बताते हुए अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र हासिल किया था। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने वाले लड्डूराम कोरी ने हार के बाद हाई कोर्ट में वर्ष 2020 में फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर याचिका दायर की थी।
उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरडी जैन व अधिवक्ता संगम जैन ने तर्क कि जजपाल सिंह जज्जी ने अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। इसकी वजह से याचिकाकर्ता चुनाव हार गए। जज्जी ने जो जाति प्रमाण पत्र बनवाया है, वह निरस्त किया जाए। कभी जज्जी खुद को कीर जाति का बताते हैं, तो कभी नट जाति का प्रमाण पत्र हासिल कर चुनाव लड़ते हैं। वह सामान्य सीट पर भी चुनाव लड़ चुके हैं।
इस पर जज्जी की ओर से अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि उनके परदादा मध्य प्रदेश में आए थे। उन्हें 1950 के पहले गुना में बसाया गया था, इसलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। हाई कोर्ट ने बहस के बाद नौ दिसंबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था और 12 दिसंबर को इस याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुना दिया। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नट, कीर व बाजीगर जाति अलग-अलग हैं। जाति प्रमाण पत्र गलत तरीके से बनवाया गया है, इसलिए निरस्त किया जाता है।
कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे जज्जी
वर्ष 2018 में जज्जी ने कांग्रेस के टिकट पर विधायक का चुनाव जीता था। 2020 में केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जज्जी भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। 2020 में ही उन्होंने भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने।
ऐसे बनवाए जाति प्रमाण पत्र
जज्जी ने दो दिसंबर 1999 को अशोकनगर नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए स्वयं को कीर जाति का बताते हुए ओबीसी का जाति प्रमाण पत्र बनवाया। इसके आधार पर पांच साल तक नगर परिषद के अध्यक्ष भी रहे। बैजनाथ साहू ने 2002 में हाई कोर्ट मेें याचिका दायर की। कोर्ट ने हाई पावर कास्ट कमेटी को इनके आवेदन पर विचार करने के लिए कहा। 25 फरवरी 2004 को ओबीसी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया।
कीर जाति का प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद उन्होंने खुद को नट जाति का बताते हुए अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र हासिल किया। जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरा। रमेश कुमार इटोरिया ने इनके जाति प्रमाण पत्र पर आपत्ति कर दी। फिर मामला हाई पावर कमेटी के पास पहुंचा। नट जाति के जाति प्रमाण पत्र के आधार पर 2018 में विधानसभा का चुनाव लड़ा।