Gwalior Court News: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की युगलपीठ में बुधवार को स्वर्णरेखा नदी के पुनरुद्धार और सोलिड वेस्ट निराकरण से जुड़ी जनहित याचिका पर बुधवार सुनवाई हुई। युगलपीठ के समक्ष जो स्टेटस रिपोर्ट पेश हुई, उस पर जस्टिस आर्या ने बेहद नाराजगी जताई और तीखी टिप्पणी कीं। उन्होंने स्टेटस रिपोर्ट में कमियां पाते हुए कहा कि भोपाल से लेकर ग्वालियर तक अपना दिमाग किसी अधिकारी को नहीं लगाना होता है और खुद को आइएएस अधिकारी कहते हैं? क्या आपको यह लगता है कि हाईकोर्ट अपनी सुविधा के लिए यह सब काम करता है? आपकी मंशा क्या है, हाईकोर्ट को आप क्या समझते हो? हम सिर्फ शहर के लिए काम करते हैं।ज् स्टेटस रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए जस्टिस आर्या ने कहा कि भोपाल जाइये और अब मजबूत रिपोर्ट के साथ आना। रिपोर्ट के साथ मुझे शपथ पत्र भी चाहिए।
कोर्ट के समक्ष पेश प्रशासन के अधिकारी से जस्टिस आर्या ने कहा कि भोपाल के अधिकारियों को भी समझा दीजिए कि हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच भी इंदौर और जबलपुर के स्तर की ही बेंच है, इसके आदेश को गंभीरता से लिया करें। अगर आपकी भाषा नहीं समझें वो तो हमें बताइये, वो कोर्ट की भाषा जरूर समझ जाएंगे। अब इस मामले में 24 जनवरी को विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाएगी। हलफनामे पर भड़के जस्टिस आर्या सुनवाई के दौरान जिस रिपोर्ट पर चर्चा हो रही थी उसमें जो हलफनामा पेश किया गया था, उस पर चर्चा करते हुए जस्टिस आर्या ने उस व्यक्ति को पेश करने की बात कही, जिसने यह हलफनामा दायर किया था। उसके आने पर जस्टिस आर्या ने पूछा कि तुम भोपाल से हो तो उसने मना किया। इस पर वह बोले कि यह दस्तावेज तो भोपाल से आए हैं, तुम्हें इनको दायर करने का अधिकार किसने दे दिया। क्या तुम निलंबित होना चाहते हो? यह जो कागज लगाए हैं यह एक दूसरे से लिंक नहीं होते हैं। चिल्लाते हुए जस्टिस आर्या बोले-जब तक भोपाल से आपको नहीं बोला गया तो क्यों पेश किया हलफनामा? यह चपरासी की तरह काम किया है आपने, नौकरी खतरे में पड़ जाएगी।
(नगर निगम द्वारा पेश किए दस्तावेज को पढ़ते हुए जस्टिस आर्या बोले)
जस्टिस आर्या : अमृत योजना में 15वें वित्त आयोग में.. यह सब क्या ड्रामा है? यह सब फिजूल में क्यों है यहां ? इसका कोई अर्थ है यहां पर ? हमें यह तक समझ़ नहीं आ रहा कि इसमें जिन 170 करोड का जिक्र है वह किस लिए हैं? यहां किस का हवाला दिया जा रहा है ?
(अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने धीमी आवाज में अपना स्पष्टीकरण दिया )
जस्टिस आर्या : मिस्टर काउंसिल! अमृत योजना में आपको कितना पैसा मिला उसका आपने क्या किया इसकी बात ताे नहीं हो रही है ना ?
जस्टिस आर्या, न.नि आयुक्त से : मिस्टर सिंह ,क्या आपको 170 करोड़ रुपए मिले हैं ?
(न.नि. आयुक्त प्रोजेक्ट को समझाने लगे)
जस्टिस आर्या : प्रोजेंक्ट रिपोर्ट जो आपने पेश की है वह अलग काम की है जिसके लिए यह पैसा 170 करोड है वह अलग है। कोर्ट को भ्रमित क्यों कर रहे हो ?
(जस्टिस आर्या नगर निगम आयुक्त से बोले )
जस्टिस आर्या :आप एक काम करो , आप भोपाल चले जाओ, रिपोर्ट को एक्जामिन करवाने , क्योंकि जब तक वह एक्जामिन नहीं हो जाती तब तक फंड रिलीज नहीं हो सकता और काम भी नहीं शुरू हो सकता । वापस आ कर बताना कि क्या तय हुआ ? मुझे कुछ भी पेंडिंग नहीं चाहिए ।
जस्टिस आर्या : अब महीनों में एक्सपर्ट एक्जामिन करेंगे , फिर महीनों में रिपोर्ट आएगी । फिर आप कहेंगे हम कुछ नहीं कर सकते । अगर यह काम ईमानदारी से सही समय पर कर दिया जाता तो आज की तारीख में यह परेशानी नहीं होती ।
(जस्टिस आर्या नाराजगी भरे स्वर में चुप्पी साधे खडे अधिकारियों से बोले)
जस्टिस आर्या : आप लोग एक दूसरे के ऊपर क्यों डालते हो सब चीजें ? और वहां भोपाल में बैठे अधिकारी भी... क्या वह वास्तव मे आइएएस अधिकारी है या फिर .. ? मतलब भोपाल में बैठा हुआ कोई भी व्यक्ति अपना दिमाग लगाता भी है ? नवंबर में यहां से रिपोर्ट गई है अब जनवरी चल रहा है और अभी भी सब कुछ नमामि गंगे के लेटर के आसपास घूम रहा है ।
(जस्टिस आर्या ने काउंसिल अंकुर मोदी को एक दस्तावेज पढ़ने को कहा )
जस्टिस आर्या : अभी मिस्टर सिंह ने कहा कि 170 करोड का ट्रंक लाइन से कोई लेना देना नहीं है । फिर जो आपने इस दस्तावेज में जिक्र किया है उसका क्या लेना देना है ट्रंक लाइन से । वह अधिकारी हैं यहां जिसने यह लेटर लिखा है ?? ??
जस्टिस आर्या : क्या बात कर रहे हैं आप, हम इतने भी नासमझ नहीं है कि आप जो कहें हम उसको च्लीलज् जाएं। इस दस्तावेज में साफ साफ लिखा है।
जस्टिस आर्या : मोदी साहब! आप एक काम करो, आप भोपाल जा कर मीटिंग चेयर करो। क्योंकि आपके हिसाब से वहां मूर्खों की जमात लगी है। क्योंकि इस इंजीनियर ने तो इसमें अमृत 2.0 में मेन ट्रंक का जिक्र किया ही नहीं है।
(इस दौरान अधिकारी और प्रशासन के काउंसिल सिर्फ हां में गर्दन हिलाते रहे। )