Gwalior Chambal River news: ग्वालियर . नईदुनिया प्रतिनिधि। वर्ष 2055 तक शहर की प्यास बुझाने के लिए चंबल व कोतवाल डेम से पानी लाने की परियोजना की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को राज्य स्तरीय कमेटी से स्वीकृति मिल गई है। 376.04 करोड़ रुपये की इस परियोजना को अमृत फेज 2.0 में शामिल किया गया है।
स्थानीय स्तर पर मेयर इन काउंसिल (एमआइसी) और नगर निगम परिषद से प्रस्ताव पास होने के बाद इसे राज्य स्तरीय तकनीकी समिति ने भी स्वीकृत कर दिया था। इसके बाद इसे राज्य स्तरीय उच्च शक्ति प्राप्त संचालन समिति से स्वीकृति मिल चुकी है। अब इसके टेंडर के दस्तावेज तैयार करा लिए गए हैं और आगामी एमआइसी व निगम परिषद की बैठक में इसे रखकर इसी माह टेंडर कर लिए जाएंगे।
सीएम चौहान दे चुके हैं सैद्धांलित सहमति
इस परियोजना का बजट उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सितंबर 2022 में ही सैद्धांतिक सहमति दे चुके हैं। इसके अंतर्गत चंबल नदी से प्रतिदिन 90 एमएलडी और कोतवाल डेम से 60 एमएलडी पानी जलालपुर स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक लाया जाना है, ताकि भविष्य की आबादी की जरूरतों को पूरा किया जा सके। डीपीआर के अनुसार मुरैना के देवरी से अंडरग्राउंड डक्ट बनाकर 47 किमी लंबी पाइप लाइन बिछाई जाएगी। परियोजना की 70 प्रतिशत राशि यानी लगभग 270 करोड़ रुपये सिर्फ पाइप में ही खर्च होंगे। इन पाइपों को बिछाने के लिए नगर निगम को देवरी से लेकर मोतीझील तक अंडरग्राउंड डक्ट बनाने के लिए कहा गया है।
दरअसल, पहले निगम ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से आगरा हाईवे की सर्विस लेन पर खुदाई करने की अनुमति मांगी थी, क्योंकि हाईवे के दोनों ओर निजी भूमि पर लोगों के मकान और दुकानें बनी हुई हैं। इस पर प्राधिकरण का कहना है कि हाइवे पर भारी वाहनों का आवागमन होता है और रात के समय ये वाहन सर्विस लेन की ओर खड़े हो जाते हैं। खोदाई के बाद जब पाइप बिछाए जाएंगे, तो कई बार वाहनों के भार से ये लेन दरक सकती है। डक्ट बनाने में लगभग 30 करोड़ खर्च किए जाएंगे। शेष खर्च खोदाई, पंप लगाने, विद्युत सब स्टेशन बनाने, इंटक वेल तैयार करने में किया जाएगा।
वर्षों से हो रही है पानी लाने की मांग
ग्वालियर की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए चंबल नदी से पानी लाने की मांग कई वर्षों से हो रही है। वर्तमान में शहर की पानी की आपूर्ति तिघरा बांध से होती है। तिघरा में जल स्तर कम होने पर इसे ककैटो और अपर ककैटो बांध से भरा जाता है। तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री माया सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान चंबल से पानी लाने की परियोजना की शुरुआत कराई थी।
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की बढ़ेगी क्षमता
चंबल नदी से पानी लाने की परियोजना को अमृत योजना में जोड़ दिया गया है। मुरैना से इस पानी को पंपों की सहायता से लिफ्ट किया जाएगा। चंबल नदी से पानी लाकर सीधे कोतवाल बांध में डाला जाएगा। यहां से पानी को मोतीझील एवं जलालपुर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक लाया जाएगा। वहीं मोतीझील वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 68 एमएलडी से बढ़ाकर 124 एमएलडी किया जाएगा।
टेंडर के दस्तावेज कर दिए हैं तैयार
राज्य स्तरीय उच्च शक्ति प्राप्त संचालन समिति ने भी चंबल नदी से पानी लाने की डीपीआर को स्वीकृति दे दी है। इसके टेंडर दस्तावेज भी तैयार हो गए हैं। सिर्फ एमआइसी और निगम परिषद से टेंडर प्रक्रिया की अनुमति मिलना शेष है। इसी माह हम टेंडर कर देंगे।
रामू शुक्ला, कार्यपालन यंत्री पीएचई