Gwalior Balram Jayanti News: ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। श्री धरणीधर समिति (किरार धाकड़ समाज संगठन) व माधवराव सिंधिया फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में बलराम जयंती बाढ़-पीड़ित परिवारों को राहत सामग्री बांटकर सेवा दिवस के रूप मनाई गई। कार्यक्रम में मुख्य रूप से समिति के मार्गदर्शक लोकेंद्र सिंह राजपूत पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय किरार क्षत्रिय महासभा व समिति के राष्ट्रीय संयोजक नरेश सिंह किरार उपस्थित रहे।
मोहना जिला ग्वालियर में बलराम जयंती का आयोजन किया गया। जिसमें 1100 किसानों का शाल श्रीफल से सम्मान किया गया। पोहरी-विजयपुर के दोनों जिलों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ से पीड़ित एक हजार परिवारों को राशन व राहत सामग्री का वितरण किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सलाहकार अजीत सिंह राजपूत, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लोकराजा सुसेरा कोठी, राष्ट्रीय सचिव मुरारीलाल धाकड़, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गौरीशंकर धाकड़, समिति के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष गणपतलाल मेहता, युवा प्रदेश अध्यक्ष अमर सिंह धाकड़, प्रदेश उपाध्यक्ष राधाकृष्ण धाकड़, प्रदेश उपाध्यक्ष रघुवीर धाकड़, जिला अध्यक्ष सुनील धाकड़, युवा जिला अध्यक्ष शैलेंद्र धाकड़, युवा अध्यक्ष रणवीर धाकड़, मुरैना जिला अध्यक्ष राजू धाकड़, दतिया जिला अध्यक्ष गौतम धाकड़ व सभी राष्ट्रीय व जिला स्तर के पदाधिकारी मौजूद रहे।
बलराम जयंती पर किसानों ने की हल की पूजा, रखा व्रतः हलषष्ठी व्रत शनिवार को श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। इसे ललही छठ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई, बलरामजी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को बलराम जयंती और हलषष्ठी के रूप में भी मनाया जाता है। लोगों ने अपने घर में रहकर ही शेषनाग के अवतार भगवान बलरामजी का पूजन किया और व्रत रखा। ज्योतिषाचार्य पं. गौरव उपाध्याय ने बताया कि चूंकि बलरामजी का प्रमुख शस्त्र हल था, इसलिए उन्हें हलधर भी कहा जाता है और उन्हीं के नाम पर इस पावन पर्व का नाम हलषष्ठी पड़ा। बलराम जयंती या हलषष्ठी व्रत के दिन हलधर की पूजा विधि विधान के साथ की गई। विशेषकर किसानों ने हल का पूजन किया। माताओं ने अपनी संतान की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर पूजन किया। जिसके लिए खेत में जोती बोई चीजें नहीं खाईं। साथ ही दूध-दही का सेवन भी नहीं किया।