Gwalior Pollution News: फागर से छिड़काव पर कचरे में लग रही है आग
पिछले 27 दिन से शहर के लोग जहरीली हवा के बीच में सांस ले रहे हैं। जिन फागरों को निगम ने प्रदूषण काे नियंत्रण के लिए खरीदा था उनका उपयोग पेडपौधों की सिंचाई के लिए कर रहा था। जब प्रदूषण नियंत्रण के बाहर हुआ तो निगम ने फोगरों से सडकाें पर पानी का छिडकाव कराना शुरू कर दिया है।
By Vikash Pandey
Publish Date: Sun, 24 Nov 2024 11:31:06 AM (IST)
Updated Date: Sun, 24 Nov 2024 11:31:06 AM (IST)
झांसी रोड पर सडक पर पानी का छिडकाव करता फोगर HighLights
- ग्वालियर शहर का एक्यूआई अब भी 300 के पार
- 27 दिन से जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं लोग
- फागरों का सही प्रयोग होता तो इतने नहीं बिगड़ते हालात
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। शहर करीब 27 दिन से जहरीली हवा में सांस लेने काे मजबूर है। कराेड़ाें की लागत से खरीदीं फागर मशीनें अब तक वर्कशाप में खड़ी थीं, या पाैधाें काे पानी देने में काम आ रही थी। अब जब हालात बेकाबू हाेने से लगे ताे अफसराें काे फागर मशीन काे सड़काें पर उतारना ही पड़ा। फागर मशीनें शनिवार काे झांसी राेड इलाके में सड़काें की धुलाई करती नजर आई।
इससे हवा में उड़ रही धूल मिट्टी जमीन पर बैठक गई और लाेगाें काे राहत मिली। जिन इलाकाें में प्रदूषण अधिक था, यदि वहां इन मशीनाें का उपयाेग लगातार किया जाता ताे अब तक लाेगाें काे प्रदूषण से शायद राहत मिल चुकी हाेती।
केंद्र सरकार ने नेशनल क्लीन एयर प्राेग्राम के तहत शहर में प्रदूषण कम करने के लिए 2019 से 2022 के बीच करीब 102 कराेड़ की रकम दी गई थी। जिससे कुछ इलाकाें काे डस्ट फ्री करने के लिए पैवर्स लगाए गए। कुछ पार्क विकसित करने का दावा किया गया। सबसे अधिक खर्च मशीनाें पर किया गया।
बढ़ते प्रदूषण के कारण अब जब भाेपाल तक हड़कंम मचा ताे अफसराें ने फागर मशीनाें का उपयाेग शुरू कराया है। साथ ही माइक्राे प्लान के तहत अधिकारियाें काे फील्ड में उतारा गया है। हालांकि अब प्रदूषण काफी फैल चुका है, इसलिए काबू पाने में भी समय लगना तय है। यदि अफसराें ने पहले इस दिशा में काम शुरू किया हाेता ताे शायद स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती।
अब भी एक्यूआई 306
26 अक्टूबर के बाद से लगातार प्रदूषण बढ़ ही रहा है, इस बीच कभी भी पीएम 10 का लेवल 200 के नीचे नहीं आया है। हालांकि एक समय ताे ऐसा भी आया कि एक्यूआई 400 पार पहुंच गया। शनिवार काे भी डीडी नगर में एक्यूआई 310, सिटी सेंटर में 307 और महाराज बाड़े पर 302 एक्यूआई रिकार्ड हुआ है। जबकि शहर का एक्यूआई 306 दर्ज हुआ है। मतलब अब भी खतरे के निशान के ऊपर ही है।
यहां भी ध्यान देने की जरुरत
- कचरे का निस्तारण:-शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं। कचरा ट्रांसफर स्टेशनाें से पूरा कचरा नहीं उठ रहा है। ऐसे में इस कचरे में आग लगा दी जाती है। सिटी सेंटर इलाके में भी कचरे में आग के कारण धुआं उठता दिखाई दिया। कुछ इलाकाें में ताे कचरा जलने से धुंध की चादर सी बन जाती है।
- निर्माण कार्य:-शहर में रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य जारी है। हाट स्ट्राम वाटर ड्रेनेज लाइन के लिए खाेदी सड़क पर अब धूल मिट्टी के गुबार उड़ रहे हैं। स्मार्ट सिटी के कई काम भी जारी हैं। इसके अलावा सिराेल, सागरताल, बड़ागांव इलाके में भी बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहे हैं। कहीं भी ग्रीन नेट के जरिए प्रदूषण काे राेकने के इंतजाम नहीं किए गए हैं।
- सीएंडडी वेस्ट:-सड़क, मकान, इमारताें के निर्माण के दाैरान जमा मलबा इसमें शामिल हाेता है। निर्माण कार्य के दाैरान अक्सर काफी मात्रा में इस प्रकार का वेस्ट निकलता है। साथ ही लाेग रेता, मिट्टी भी सड़क पर डलवा देते हैं, जाे बाद में हवा के साथ उड़कर वातावरण में धूल मिट्टी के कण बढ़ाते हैं।