प्रियंक शर्मा,(ग्वालियर नईदुनिया)। नगर निगम में आउटसोर्स फर्जी भर्ती के मामले में आउटसोर्स पर रखे गए 1500 से अधिक कर्मचारियों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है। इससे यह पता लगाया जा रहा है कि कहीं इनमें से कोई कर्मचारी फर्जी तो नहीं है, जिसके नाम पर वेतन का आहरण किया जा रहा हो, लेकिन वह काम नहीं कर रहा है। आगामी 15 सितंबर को होने वाले शिलान्यास कार्यक्रम में व्यस्तता के चलते जांच की गति धीमी है, क्योंकि अधिकतर अफसर तैयारियों में व्यस्त हैं। नगर निगम आयुक्त ने गत 23 अगस्त को एक आदेश जारी कर अपर आयुक्त मुकुल गुप्ता की अध्यक्षता सात सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी।
निगमायुक्त ने जांच कमेटी में सामान्य प्रशासन विभाग के कार्यालय अधीक्षक प्रभाकर द्विवेदी, राजस्व शाखा के कार्यालय अधीक्षक लोकेंद्र चौहान, स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय अधीक्षक सुभाष गुप्ता, सहायक कार्यालय अधीक्षक सामान्य प्रशासन रमेश शर्मा, सहायक वर्ग तीन संजय करोसिया और सहायक राजस्व निरीक्षक आकाश कुशवाह को शामिल किया था, लेकिन अब यह जांच कमेटी ही सवालों के घेरे में आ रही है। दरअसल, आउटसोर्स फर्जी भर्ती के मामले में सबसे बड़ी भूमिका सामान्य प्रशासन विभाग की रही है, लेकिन अभी तक इस विभाग में बैठे जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं इस विभाग में पदस्थ बाबू हेमंत कुशवाह अनुकंपा नियुक्ति को लेकर हेरा-फेरी कर रहे हैं। इनके द्वारा फाइलों के नामिनेशन फार्म निकालकर मृतक कर्मचारियों के परिवार को परेशान किया जा रहा है। निगम में अनियमितता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज सिक्योरिटी एजेंसी द्वारा भर्ती को लेकर बाकायदा निगम अधिकारियों को पत्र लिखे जाते रहे, लेकिन आज तक किसी भी पत्र का कोई जवाब नहीं दिया गया। इतना ही नहीं कंपनी के संचालक आरके अग्रवाल का कहना है कि भर्ती को लेकर ई-मेल तक भी किए गए हैं, लेकिन कहीं से कोई भी जवाब नहीं आया।