- जीआरएमसी के डीन को लिखा आयुर्वेद कालेज से लिखा गया पत्र
ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। आयुर्वेद कालेज में कैडेवर(शव) की उपलब्धता न होने का संकट बना हुआ है। इस संकट से निजात पाने के लिए आयुर्वेद कालेज के एनाटोमी विभागाध्यक्ष द्वारा जीआरएमसी के डीन को पत्र लिखा है। जिसमें कैडेवर की मांग की गई है। जिससे आयुर्वेद के छात्रों की पढ़ाई अच्छे से कराई जा सके। यदि कैडेवर की उपलब्धता नहीं हुई तो आगे परेशानी खड़ी होगी और बाहर से इसका इंतजाम करने के लिए कदम उठाना पड़ेगा। कालेज प्रबंधन का कहना है कि अब यदि कैडेवर उपलब्ध नहीं होता तो मुंबई के जेजे हास्पिटल से संपर्क किया है। हालांकि इससे पहले वह एक बार जीआर मेडिकल कालेज के डीन से कैडेवर उपलब्ध कराने की मांग करेंगे। यदि इस बार भी उन्हें कैडेवर की उपलब्धता नहीं हुई तो वह राज्य सरकार की मदद से मुंबई से कैडेवर लाने का प्रयास किया जाएगा। हालांकि इससे पहले आयुर्वेद कालेज मुंबई के जेजे हास्पिटल से संपर्क कर चुके हैं। तब जेजे अस्पताल के काेरोनल कोड प्रबंधन द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से कैडेवर की मांग करने पर उपलब्धता कराने का आश्वासन दिया था। अब यदि जीआरमएसी कालेज से कैडेवर की उपलब्धता नहीं होती है तो आयुर्वेद कालेज प्रबंधन आयुर्वेद के स्टेट कार्डिनेटर के माध्यम से जेजे हास्पिटल को पत्राचार कराएगा। गौरतलब है कि आयुर्वेद कालेज के एनाटोमी विभाग को हाल ही में राज्य सरकार ने 6 पीजी की सीट की अनुमति दी है। लेकिन इन पीजी की सीट पर छात्रों केा प्रवेश देने से पहले राष्ट्रीय आयुर्वेद काउंसिल से इसकी अनुमति लेनी होगी। अनुमति देने से पहले दिल्ली से टीम आकर कालेज का निरीक्षण करेगी। जिसमें दो कैडेवर कालेज में होना आवश्यक हैं जिस पर पीजी छात्र शारीरिक सरंचना सीख सकें। यह कैडेवर आयुर्वेद कालेज को जीआरएमसी से उपलब्ध कराए जाना है। लेकिन पिछले 19 साल 2003 से जीआरएमसी कालेज द्वारा आयुर्वेद कालेज काे कैडेवर उपलब्ध नहीं कराया। जिससे इन 19 साल में आयुर्वेद कालेज से 1200 डाक्टर तैयार हुए लेकिन इनमें से किसी ने भी कैडेवर पर शारीरिक सरंचना न तो देखी न सीखी। इसलिए अब आयुर्वेद कालेज मुंबई के जेजे अस्पताल से दो कैडेवर लाने का प्रयास कर रहा है।