ग्वालियर। नईदुनिया प्रतिनिधि
झगड़े में हवाई फायर करने पर 3 माह नहीं 3 से 7 साल तक की सजा हो सकती है। गोली चलाने पर अब मामला भारतीय कानून की धारा 336 की बजाय 308 के तहत दर्ज किया जाएगा। धारा 308 में 3 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। जबकि धारा 336 में केवल 3 माह का सजा का प्रावधान था। थाने से आसानी से जमानत भी मिल जाती थी। अब एसपी डॉ. आशीष ने सभी टीआई को झगड़े में गोली चलने पर धारा 308 के तहत मामला दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
जिले में 28 हजार से अधिक लाइसेंसी हथियार हैं और इससे तीन गुना अवैध हथियार होने का अनुमान है। छोटे-छोटे झगड़ों में गोली चलना आम बात हो गई है। हवाई फायर कर रंगबाजी करने वाले लोगों के खिलाफ एसपी डॉ. आशीष ने सख्त दिखाई है।
पथराव पर भी लगती है धारा 336
धारा 336 का उपयोग झगड़े में पथराव करने पर भी होता है। इस धारा में केवल 3 महीने की सजा और मात्रा ढाई सौ रुपए का जुर्माना करने का प्रावधान है। टीआई भी अमूमन इसी धारा का उपयोग करते हैं। हालांकि कौन सी धारा के तहत मामला दर्ज किया जाता है, यह विवेचक और फरियादी की तहरीर पर निर्भर करता है। कानून विशेषज्ञों के अनुसार हवा में गोली चलने पर धारा 307 (हत्या का प्रयास) व धारा 308 (मानव वध के प्रयास) के तहत भी मामला दर्ज हो सकता है।
सख्त कार्रवाई करें- एसपी ने जिले में होने वाले अपराधों का गहराई से अध्ययन किया। इसके पश्चात गोली चलाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए टीआईओं को निर्देशित किया है कि गोली चलाकर रंगबाजी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। उन्होंने धारा 308 के तहत प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए हैं, ताकि हवा में गोली चलाने वाले कानून से बच नहीं सकें।
गोली चलाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा
जिले में गोली चलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। अधीनस्थों को धारा 336 की बजाय धारा 308 के तहत अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अब तक आधा दर्जन से अधिक प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं।
डॉ. आशीष
एसपी
वकीलों का कहना है
गोली चलाने पर 308 लग सकती है-
अंचल में गोली चलाने की प्रवृत्ति काफी पुरानी है। इससे हमारी छवि भी खराब होती है। शादी समारोह और जुलूसों में लोग फायर करते नजर आते हैं। होली पर शिवपुरी में एक हवलदार की नशे की हालत में गोली चलाने से मौत हो गई। इस पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कार्रवाई जरूरी है। इसलिए गोली चलाने पर पुलिस को धारा 336 नही 308 के तहत मुकदमा दर्ज करना चाहिए। इससे लोगों में कानून का खौफ रहेगा।
राकेश पाराशर, अभिभाषक
फरियादी के आशय पर निर्भय करता है-
अपराध फरियादी की तहरीर के आशय पर निर्भय करता है। अगर फरियादी ये लिखित में दे रहा है कि भयकारित करने के इरादे से गोली चलाई गई है तो धारा 336 ही लगेगी। अगर तहरीर में ये बात साबित होती है कि गोली चलने से किसी की जान भी जान जा सकती थी और गोली चलाने वाले को इसका ज्ञान था। ऐसे में धारा 308 लगेगी। अपराध पर अंकुश लगाने के लिए कानून का भय जरूरी है। इसलिए एसपी के निर्देश उचित हैं। इससे हर्ष फायर पर भी रोक लगेगी। लोगों की दिमाग में ये बात रहेगी कि धारा 308 में थाने से जमानत नहीं हो पाएगी और सजा 3 से 7 साल हो सकती है।
वीरेंद्र पाल
बार काउंसिल के सचिव