औद्योगिक क्षेत्र के गंदे पानी को री-यूज करने स्थापित होगा सीईटीपी
सीईटीपी प्लांट में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला दूषित पानी को शोधित किया जाएगा। दूषित पानी को साफ करने की योजना के पहले चरण में प्रथम फेज के लिए यूनिट तैयार की जाएगी। आवश्यकता अनुसार इसका विस्तार किया जा सकेगा। इकाइयों से निकलने वाले दूषित पानी को इस यूनिट में लाकर प्राथमिक स्तर पर साफ करने के बाद दूसरी और तीसरी स्टेज पर भी साफ किया जाएगा।
By Ajay Upadhyay
Publish Date: Tue, 30 Jul 2024 10:49:24 AM (IST)
Updated Date: Tue, 30 Jul 2024 10:49:24 AM (IST)
मालनपुर में गंदे पानी को संसोधित करने के लिए सीईटीपी प्लांट लगाया जाएगा। HighLights
- ग्वालियर के पास भिंड जिले के मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र में भी लगाने की तैयारी में एमपीडीआइसी
- औद्योगिक क्षेत्र में गंदे और विषैले पानी को शोधित करने के लिए काम आता है सीईटीपी
- शोधित पानी को फिर से औद्योगिक इकाईयों में किया जाएगा उपयोग, पानी का होगा बचाव
अजय उपाध्याय.नईदुनिया ग्वालियर। इंदौर के झाबुआ के बाद ग्वालियर के पास भिंड जिले के मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र में इकाइयों से निकलने वाले गंदे और विषैले पानी को शोधित करने के लिए कामन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी)प्लांट लगाया जाएगा। इस वक्त उज्जैन स्थित औद्योगिक क्षेत्र में इस तरह का प्लांट लगाया जा रहा है। लेकिन अब ग्वालियर के पास स्थित मालनपुर में भी लगाने की तैयारी एमपीडीआइसी (मध्य प्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन) कर रहा है।
इसके लिए हाल ही में एक दल अहमदाबाद होकर आया है। जहां के औद्योगिक क्षेत्र में सीईटीपी लगा हुआ है, जिससे इकाइयों से निकलने वाले गंदे पानी को शुद्ध कर उसको पुन: उपयोग के लायक तैयार किया जाता है। जिससे गिर रहे भू-जल स्तर को रोका जा सकेगा और विषैले पानी से होने वाले नुकसान को नियंत्रित किया जा सकेगा।
सीईटीपी इस तरह से करेगा काम
- सीईटीपी प्लांट में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला दूषित पानी को शोधित किया जाएगा। दूषित पानी को साफ करने की योजना के पहले चरण में प्रथम फेज के लिए यूनिट तैयार की जाएगी। आवश्यकता अनुसार इसका विस्तार किया जा सकेगा। इकाइयों से निकलने वाले दूषित पानी को इस यूनिट में लाकर प्राथमिक स्तर पर साफ करने के बाद दूसरी और तीसरी स्टेज पर भी साफ किया जाएगा, ताकि इसे फिर से इस्तेमाल करने लायक बनाया जा सके।
- एक पाइपलाइन पूरी आइएमटी में बिछाई जाएगी, जिससे इकाइयों को कनेक्शन मुहैया करवाया जाएगा, ताकि जरूरत पड़ने पर वह इस शोधित पानी को इस्तेमाल में ला सके। शोधित पानी निर्माण से लेकर अन्य कामों में इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही शोधित पानी का उपयोग खेती किसानी में भी उपयोग किया जा सकेगा। सीईपीटी स्थापित करने की योजना पर जल्द ही काम किया जाएगा।
यह होगा लाभ
- इकाईयों से निकलने वाला दूषित पानी खुले में नहीं बहेगा।
- कैमिकल युक्त पानी नदी,तालाब और जमीन के अंदर नहीं जाएगा।
- दूषित पानी का शुद्धिकरण होगा तो जानवरों को खतरा नहीं रहेगा।
- जमीन में शुद्ध जल में जब कैमिकलयुक्त पानी नहीं मिलेगा तो बीमारियों पर रोक लगेगी।
- तेजी से गिर रहा भू जल स्तर पर नियंत्रण लगेगा।
- इकाईयों में जरूरत अनुसार पानी को री-यूज में लिया जा सकेगा।
- खेती किसानी में भी इसका प्रयोग किया जा सकेगा।
यह हो रहा है नुकसान
- औद्योगिक इकाइयों में पानी का बढ़ता प्रयोग से भू-जल स्तर गिर रहा है।
- इन इकाइयों से निकलने वाले दूषित पानी के संपर्क में आने से जानवर बीमार हो रहे हैं।
- कैमिकल युक्त दूषित पानी जब नदी, तालाब और जमीन के अंदर पहुंचता है तो वह शुद्ध पानी को भी दूषित कर देता है।
- दूषित पानी से कई तरह की बीमारियां पनप रही हैं। इसमें पेट संबंधी विकार सर्वाधिक हैं।
- कैमिकल युक्त दूषित पानी का प्रयोग खेती किसानी या ग्रीन बेल्ट में भी उपयोग नहीं लिया जा पा रहा है।
देश के अलग अलग औद्योगिक क्षेत्रों में क्या बेहतर है यह देखने भेजा था। देखा कि अहमदाबाद में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले दूषित पानी को री यूज करने के लिए सीईटीपी प्लांट लगाया हुआ है। जिससे वहां पर पानी का दोहन कम हुआ और खुले में दूषित पानी न रहने से बीमारियों पर नियंत्रण लगा। ऐसा ही सिस्टम ग्वालियर के औद्योगिक केन्द्रों में स्थापित किया जाएगा। सबसे पहले मालनपुर में होगा। इसकी कार्य योजना तैयार की जाएगी।
प्रातुल चन्द्र सिन्हा, एक्जुकेटिव डायरेक्टर, एमपीआईडीसी रीजनल आफिस ग्वालियर-चंबल।